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सशस्त्र सेनाओं में तालमेल बढ़ाने को तैयार हो रहा रोडमैप : जनरल रावत

जनरल विपिन रावत ने देश की सशस्त्र सेनाओं को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने की बात कही और कहा कि राष्ट्र इस बात से अवगत हैं कि प्रौद्योगिकी पर नियंत्रण आर्थिक राजनीतिक और सैन्य शक्ति को परिभाषित करता है।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 03:43 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 03:43 AM (IST)
सशस्त्र सेनाओं में तालमेल बढ़ाने को तैयार हो रहा रोडमैप : जनरल रावत
सशस्त्र सेनाओं में तालमेल बढ़ाने को तैयार हो रहा रोडमैप : जनरल रावत

नई दिल्ली, प्रेट्र।  साइबर स्पेस, इलेक्ट्रानिक वारफेयर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में नए दौर की प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित अपनी सशस्त्र सेनाओं को भारत पुनर्गठित और सही आकार देने की प्रक्रिया में है। यह बात चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat)  ने गुरुवार को कही।

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तालमेल बढ़ाने के लिए रोडमैप

एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने यह भी कहा कि समयबद्ध लक्ष्यों के साथ भारतीय सशस्त्र सेनाओं (Indian Army) के बीच एकीकरण और तालमेल बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। जनरल रावत ने कहा कि भारत रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर बनने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में उभरने की उसकी आकांक्षाओं को अब हथियारों के आयात का बंधक नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि युद्ध बदल रहा है। इसलिए चुनौतियां भी हैं, खासकर भारत के लिए। हमारे पड़ोसी देशों से मिलीभगत की धमकी, स्थलीय सीमाओं के पार सीमा घुसपैठ और सीमाओं पर फैले एक साथ कई मोर्चे, युद्ध का नई हकीकत हैं।

भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहे सेना 

जनरल रावत ने कहा कि देश की सशस्त्र सेनाओं को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। भारत के चारो ओर अनिश्चित माहौल को देखते हुए सुरक्षा की बदलती गतिशीलता के साथ तैयार रहना चाहिए। नए युग की प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र इस बात से अवगत हैं कि प्रौद्योगिकी पर नियंत्रण आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति को परिभाषित करता है।

डेफ-टेक इंडिया सम्मेलन में उन्होंने कहा कि हमारी रक्षा तैयारियों के लिए आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस का लाभ उठाने को उचित महत्व दिया जा रहा है। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, नैनो टेक्नोलॉजी, बिग डाटा एनालिटिक्स, ड्रोन टेक्नोलाजी, मानव रहित सिस्टम और अंतरिक्ष के सैन्यीकरण के साथ-साथ इंटरनेट मीडिया में हेरफेर जैसी विघटनकारी तकनीकों की खोज से नए खतरे सामने आ रहे हैं।


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