बुनियादी सुधारों से ही पुख्ता होगी सड़क सुरक्षा
देश में सड़क सुरक्षा को गति देने और इस पर चर्चा करने की जरूरत है। इस मुद्दे के प्रति स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज पर समर्थन और प्रतिबद्धता दिखानी होगी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। सड़क दुर्घटनाओं के चलते देश में रोजाना चार सौ से अधिक लोगों की मौत होती है। 50 देशों के तीन सौ संस्थानों के पांच सौ शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गई 2016 की ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट के मुताबिक भारत में असमय मृत्यु के शीष् दस कारणों में सड़क हादसे भी शामिल हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक देश की युवा आबादी की जान लेने के मामले में सड़क हादसे सबसे आगे हैं। 68.6 फीसद हादसों में 18 से 45 वर्ष की उम्र के लोगों की जान जाती है। इससे न सिर्फ उनके परिवारों को मानसिक व आर्थिक कष्ट से गुजरना पड़ता है, बल्कि इससे देश के मानव संसाधन को भी नुकसान पहुंचता है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक 10,150 लोगों ने प्राकृतिक आपदाओं में अपनी जान गंवाई। इसकी तुलना में सड़क हादसों में 14 गुना अधिक (1,48,707) लोगों की जान गई। साल दर साल सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों की बढ़ती संख्या देखकर यह सवाल लाजमी है कि आखिर देश में सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसों में क्यों होती हैं? अगर हम एक कदम पीछे लें, तो देखेंगे कि इसके पीछे चार बड़े कारण हैं- ड्राइवर का व्यवहार, सड़कों व वाहनों की खराब इंजीनिर्यंरग, अपर्याप्त सड़क सुरक्षा संसाधन और दुर्घटना हो जाने के बाद तत्काल उपचार न मिलना। उदाहरण के लिए, हमारे देश में लाइसेंस और प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया पूरी तरह खराब हो चुकी है। यहां वाहन चालकों को अच्छी तरह प्रशिक्षण देने को प्राथमिकता नहीं दी जाती है। इसपर भ्रष्टाचार के चलते ऐसे लोगों को भी आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाता है जो उसके लायक नहीं होते। यहीं से पूरा तंत्र बिगड़ जाता है।
देश में वाहनों का इस्तेमाल पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है, इसलिए यह जरूरी है कि हमारी सड़कें इस तरीके से बनी हों जिससे इंसानी गलतियों के बावजूद हादसों को टाला जा सके। हालांकि देश की सड़कों को देखकर लगता है कि इन्हें हादसों को दावत देने के लिए ही डिजाइन किया गया है। पिछले साल तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क के डिजाइन में खामी और सड़कों की जर्जर हालात की वजह से हुई।
ऐसे ही कई मुद्दों को सुलझाने के लिए बुनियादी सुधारों की जरूरत है। इस तरफ सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम होगा जरूरी नियमों को लागू करना। सरकार ने इसी आशय से 2016 में लोकसभा में मोटर व्हीकल सुधार कानून पेश किया था। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य था कि पुराने प्रावधानों को आधुनिक रूप देकर मजबूत कानून बनाया जाए। यह बिल फिलहाल विचाराधीन है, जिसपर राज्य सभा की खास कमेटी विश्लेषण कर रही है। मोटर व्हीकल (संशोधन) बिल, 2017 बेहतर सड़क सुरक्षा प्रदान करने की जमीन तैयार करता है। इसमें लाइसेंस देने की एकसमान व पारदर्शी प्रक्रिया, नियम उल्लंघन पर अधिक जुर्माने व बाल सुरक्षा का प्रावधान है। जैसे ही यह बिल पारित होता है, इसे ईमानदारी से लागू किए जाने की दरकार होगी। इसके लिए तकनीक, नवोन्मेष और कुशल नेतृत्व की जरूरत पड़ेगी।
फिलहाल देशभर में सड़क सुरक्षा मामले को गति देने और इसके बारे में चर्चाएं करने की जरूरत है। इस मुद्दे के प्रति स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज पर समर्थन और प्रतिबद्धता दिखानी होगी। हमें इस उद्देश्य से इस दिशा में काम करना होगा कि सड़क दुर्घटनाओं में एक भी इंसान की जान न जाए। फिलहाल यह एक भारी-भरकम काम लग सकता है, लेकिन इस दिशा में कदम उठाने ही होंगे। तभी सड़क हादसों में मौतों को रोका जा सकेगा।
देश में सड़क सुरक्षा को गति देने और इस पर चर्चा करने की जरूरत है। इस मुद्दे के प्रति स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज पर समर्थन और प्रतिबद्धता दिखानी होगी।
पीयूष तिवारी, सीईओ, सेव लाइफ फाउंडेशन