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स्कूलों के आसपास सड़क सुरक्षा की होगी निगरानी, देश का पहला स्कूल जोन रोड सेफ्टी पोर्टल लांच; होगा यह फायदा

Road safety स्कूलों के आसपास अब सड़क सुरक्षा की निगरानी होगी। इंटरनेशनल रोड फेडरेशन ने देश का पहला स्कूल जोन रोड सेफ्टी पोर्टल लांच किया है। इसके जरिए माता-पिता यह देख सकेंगे कि उनके बच्चों के स्कूल में सड़क सुरक्षा के हालात कैसे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarPublished: Mon, 05 Dec 2022 09:01 PM (IST)Updated: Mon, 05 Dec 2022 09:01 PM (IST)
स्कूलों के आसपास सड़क सुरक्षा की होगी निगरानी, देश का पहला स्कूल जोन रोड सेफ्टी पोर्टल लांच; होगा यह फायदा
स्कूलों के आसपास सड़क सुरक्षा की होगी निगरानी

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। स्कूल जाने वाले अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहने वाले माता-पिता अब यह जान सकेंगे कि उनके स्कूलों के आसपास सड़क सुरक्षा की कैसी स्थिति है और उनके जोखिम को दूर करने के लिए क्या किया जा रहा है। सड़क दुर्घटनाओं में हर साल 14 साल तक के जितने बच्चों की जान जाती है, उसमें दस प्रतिशत भारतीय होते हैं। बच्चों की सुरक्षा को लेकर यह चिंता दूर होने वाली है।

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स्कूल जोन रोड सेफ्टी पोर्टल की शुरुआत

सड़क हादसों से स्कूली बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए इंटरनेशनल रोड फेडरेशन ने स्कूल जोन रोड सेफ्टी पोर्टल की शुरुआत की है। इसने दावा है कि यह देश का पहला ऐसा पोर्टल है, जो सभी स्कूलों के आसपास रोड सेफ्टी का डाटा एकत्र करेगा, जिससे अधिकारियों को खामियां दूर करने में मदद मिलेगी। दिल्ली में आयोजित ग्लोबल रोड कंस्ट्रक्शन एंड सेफ्टी कांफ्रेंस में इस पोर्टल की शुरुआत की गई।

पोर्टल की खूबियां

यह पोर्टल एक डैशबोर्ड में यह प्रदर्शित करेगा कि स्कूल में रोड सेफ्टी के क्या फीचर उपलब्ध हैं और इंटरनेशनल रोड कांग्रेस के मुताबिक क्या फीचर होने चाहिए। इस अंतर को कोई भी देख सकता है। इनमें स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता भी शामिल हैं। वे इसके जरिये स्कूलों पर बेहतर रोड सेफ्टी के लिए दबाव डाल सकते हैं। इसी तरह प्रशासन के लोग और इंजीनियरिंग अधिकारी भी स्कूलों के आसपास रोड सेफ्टी की खामियों को समझ सकेंगे और उन्हें इनको दूर करने की पहल करना होगी, ताकि स्कूल जोन बच्चों के लिए सुरक्षित बन सकें।

हर दिन 31 स्कूली बच्चों की होती है मौत

देश में हर दिन औसतन 31 स्कूली बच्चों की जान सड़क हादसों में जा रही है, लेकिन स्कूलों के आसपास सड़क सुरक्षा की स्थिति यह है कि केवल 17 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जिनके आसपास की सड़कों पर स्कूल जोन के साइनेज लगे हुए हैं। इसी तरह मात्र 11.5 प्रतिशत स्कूलों के इर्द-गिर्द स्पीड लिमिट के साइन हैं। इसके चलते स्कूल जोन के आसपास रोड सेफ्टी की जैसी स्थिति होनी चाहिए, वह नहीं है।

स्कूलों की होगी रैंकिंग

इस पोर्टल की खासियत यह भी है कि रोड सेफ्टी फीचर्स के आधार पर स्कूलों की रैंकिंग भी की जाएगी और इसे आइआरएफ की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा। आइआरएफ के मुताबिक, इस पोर्टल में ऐसी व्यवस्था की गई है कि अगर किसी खामी और कमी को दूर करने के लिए समयबद्द तरीके से काम नहीं हुआ तो उसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के स्तर पर ले जाया जाएगा।

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एक लाख स्कूलों का किया जाएगा रोड सेफ्टी आडिट

देश में इस समय 15 लाख से अधिक स्कूल हैं और पहले साल एक लाख स्कूलों का रोड सेफ्टी आडिट किया जाएगा और इसका डाटा पोर्टल पर आएगा। इस पहल को धीरे-धीरे बढ़ाकर अगले पांच साल में सभी स्कूलों को कवर किया जाएगा। आइआरएफ इसके लिए रोड सेफ्टी आडिटरों की संख्या भी बढ़ाने जा रहा है। युवा इंजीनियरों को ट्रेन करके रोड सेफ्टी आडिटरों का एक बड़ा पूल भी बनाया जा रहा है।

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