Road Safety: पंजाब से लेकर झारखंड तक सड़कें असुरक्षित उप्र, बिहार, मप्र में ब्लैक स्पाट हैं बड़ा खतरा
पढ़िए यह समग्र रिपोर्ट जो बताती है कि इन राज्यों में असुरक्षित सड़कें कितनी बड़ी समस्या हैं। ये आंकड़ें सड़क और परिवहन से संबंधित विभागों के मंत्रियों और अधिकारियों तक भी पहुंचाए जा रहे हैं क्योंकि हर जिंदगी बचाना बेहद जरूरी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुरक्षित यात्रा के मामले में भारत की स्थिति अत्यंत गंभीर है। रोड एक्सीडेंट में सर्वाधिक मौतें हमारे ही देश में होती हैं, लगभग हर चार मिनट में एक मौत। इन भागती दौड़ती सड़कों पर निर्माण, सुविधा और सुरक्षा की समीक्षा महाअभियान में दैनिक जागरण ने बीते दिनों देश के 11 राज्यों में विशेषज्ञों के साथ रोड आडिट किया। इस आडिट में पंजाब से लेकर झारखंड तक सड़कें यातायात के लिए पूरी तरह से सुरक्षित नहीं मिलीं। उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े प्रदेशों में सड़कों का संजाल बढ़ा है, लेकिन ब्लैक स्पाट बड़ा खतरा हैं। पढ़िए यह समग्र रिपोर्ट जो बताती है कि इन राज्यों में असुरक्षित सड़कें कितनी बड़ी समस्या हैं। ये आंकड़ें सड़क और परिवहन से संबंधित विभागों के मंत्रियों और अधिकारियों तक भी पहुंचाए जा रहे हैं क्योंकि हर जिंदगी बचाना बेहद जरूरी है।
उत्तर प्रदेश
हर पांच किमी पर ब्लैक स्पाट, तीन किमी पर अवैध कट
प्रदेश में औसतन हर 5.21 किलोमीटर की दूरी पर मार्ग दुर्घटना बहुल क्षेत्र (ब्लैक स्पाट) हैं। वाहन चालकों व सवारों को प्राय: चौंका कर मौत के मुंह में धकेलने वाले अवैध कट तो देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य की सड़कों पर प्रत्येक 3.12 किमी की दूरी पर मौजूद हैं।
लापरवाही: वर्ष 2016 में राज्य में चिन्हित ब्लैक स्पाट का रोड सेफ्टी आडिट अब तक नहीं पूरा किया जा सका है
बिहार
कहीं सड़क धंसी तो कहीं डिजाइन में खतरनाक खामी, पर्याप्त संकेतकों और प्रकाश व्यवस्था का अभाव
बिहार की विभिन्न सड़कों पर सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों संग िकए गए सघन रोड आडिट में ब्लैक स्पाट और अवैध कट बड़ी समस्या के रूप में सामने आए। इसके अलावा प्रदेश में केवल शहरी सड़कों पर ही प्रकाश की व्यवस्था समुचित दिखी जबकि अन्य प्रमुख सड़कों पर रात के समय बिखरा अंधेरा इन्हें असुरक्षित बनाता है। संकेतकों का अभाव और सड़कों के डिजाइन में गड़बड़ी जैसी कमियां भी मिलीं।
लापरवाही: सड़कों के निर्माण व रखरखाव से संबंधित विभागों की लापरवाही कई स्थानों पर उजागर हुई। नरकटियागंज-बेतिया स्टेट हाईवे पर आठ किमी की दूरी पर सड़क धंस गई है। छावनी-मैनाटांड़ मार्ग में छह किमी पर पुल के एप्रोच डिजाइन में गडबड़ी के कारण सड़क घुमावदार है जो वाहन चालकों के िलए खतरनाक है।
पंजाब
बाटलनेक हैं बड़ी समस्या, पैट्रोलिंग और आपात चिकित्सा सेवा की कमी भी दिख
प्रदेश की सबसे प्रमुख समस्या बाटलनेक की बड़ी संख्या है। तेज गति से चल रहे वाहनों के लिए ये बाटलनेक काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं।
लापरवाही: हाईवे एंबुलेंस की कमी हादसों में लोगों की जान न बच पाने का प्रमुख कारण है। विश्राम स्थल की कमी, डायवर्जन पर कमजोर सुरक्षा व्यवस्था व वाहनों की गलत पार्किंग खतरनाक हैं।
उत्तराखंड
पहाड़ी रास्तों पर क्रैश बैरियर न होने से वाहनों को खतरा, निर्माण की खामियां भी
गड्ढायुक्त व क्षतिग्रस्त सड़कों से होती है परेशानी
लापरवाही: नेशनल हाईवे पर सरकारी ट्रामा सेंटरों को लेकर स्थिति संतोषजनक नहीं है। आडिट में प्रदेश में आंतरिक शहरी मार्ग भी बेहद संकरे और बाटलनेक वाले मिले।
मध्य प्रदेश
सड़कों पर अव्यवस्था से बढ़ रहीं दुर्घटनाएं, यातायात व्यवस्थित करने के लिए संसाधनों की भी कमी
जगह-जगह ब्लैक स्पाट, अवैध कट और सड़क की डिजाइन में कमियों के चलते दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं
लापरवाही: प्रदेश में बनी जीरो विजन योजना भी सड़क दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़ों में 10 प्रतिशत कमी लाने के लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पाई है।
हिमाचल प्रदेश
संकरी सड़केंऔर रिफ्लेक्टर की कमी
कहीं सड़कों की बनावट सही नहीं है तो कहीं क्रैश बैरियर नदारद हैं। किनारे खड़े वाहन, संकेतक की कमी और तीखे मोड़ भी हादसों का कारण बन रहे हैं। रिफ्लेक्टर तक नहीं हैं।
लापरवाही: पहा़ड़ी सड़कों पर क्रैश बैरियर और रिफ्लेक्टर लगाने पर ध्यान न दिया जाना।
हरियाणा
प्रत्येक सड़क पर एक-दो खतरनाक दुर्घटना संभावित क्षेत्र
हरियाणा की प्रत्येक सड़क पर एक से दो ऐसे दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं, जिनसे वाहन चालकों व यात्रियों को जान हथेली पर रखकर निकलना पड़ता है।
लापरवाही: दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान होने के बाद भी इनमें सुधार में देरी होती है।
दिल्ली
देश की राजधानी की सड़कें भी खतरनाक
राष्ट्रीय राजधानी में अवैध कट, ब्लैक स्पाट, मोड़ों पर ब्लिंकर्सकी कमी, खस्ताहाल सड़कें, फुटपाथ व फुट ओवरब्रिज की कमी जैसी खामियां हैं।
लापरवाही: आज तक ऐसी कोई रिपोर्ट ही जारी नहीं की गई है, जिससे पता चल सके कि सड़कों की कमी की वजह से कितने लोगों की जान जा चुकी है।
जम्मू-कश्मीर
पहाड़ी रास्तों पर मौजूद तीखे मोड़ और सड़क निर्माण में खामी जान पर पड़ रही भारी
नेशनल हाईवे से लेकर अन्य सड़कों पर तीखे मोड़ और डिजाइन की कमी से वाहनों को खतरा है। पठानकोट-जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर लखनपुर से बनिहाल तक कदम-कदम पर हादसों के प्वाइंट हैं।
लापरवाही: निर्माण कार्यों में सुरक्षा नियमों की सीधी अनदेखी हो रही है, लेकिन प्रशासनिक अफसरों और संबंधित एजेंसियों का इस पर ध्यान नहीं है।
छत्तीसगढ़
गड्ढों और ब्लैक स्पाट बने सुरक्षित यात्रा में बाधक, राजधानी में ही हाईवे पर बड़ी संख्या में बने अवैध कट ले रहे लोगों की जान
ेज गति से चलते वाहन के सामने जब अचानक गड्ढा आ जाता है तो दुर्घटना की आशंका तो बढ़ती ही है, वाहन को भी नुकसान होता है। यह सुरक्षित यातायात के लिए बड़ी समस्या है। राजधानी के आसपास हाल बेहाल है तो बाकी जगहों के बारे में कल्पना की जा सकती है।
लापरवाही: प्रदेश में ब्लैक स्पाट और गड्ढों को ठीक करने के लिए अभी तक कोई ठोस कार्ययोजना धरातल पर नहीं है। सारी स्थिति की जानकारी के बावजूद संबंधित अधिकारी समाधान नहीं करते हैं।
झारखंड
हाईवे से शहरी सड़कों तक खामियों का अंबार, एक दूसरे को क्रास करती सड़कों की खतरनाक डिजाइन और ट्रामा सेंटर की कमी
हाईवे पर मिली कमियों के अलावा आंतरिक सड़कों में भी जर्जर हाल के कारण दुर्घटनाएं होती हैं। शहरों में सुरक्षा मानकों का उल्लंघन होता है।
लापरवाही: दुर्घटना जोन के आसपास ट्रामा सेंटर का नहीं होना और ज्यादातर जिलों में ट्रैफिक पुलिस का गठन नहीं हो पाना बड़ी चुनौती है।