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सड़क निधि पर अधिकार छिनने से सड़क मंत्रालय मायूस

वर्ष 2018-19 के बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने केंद्रीय सड़क निधि का नाम बदलकर केंद्रीय सड़क एवं अवसंरचना निधि कर दिया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 10:21 PM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2018 10:21 PM (IST)
सड़क निधि पर अधिकार छिनने से सड़क मंत्रालय मायूस
सड़क निधि पर अधिकार छिनने से सड़क मंत्रालय मायूस

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बजट में केंद्रीय सड़क निधि का नाम बदलकर केंद्रीय सड़क एवं बुनियादी ढांचा निधि रखने तथा इसके वितरण का अधिकार वित्त मंत्रालय को दिए जाने से सड़क मंत्रालय मायूस है।

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वर्ष 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्रीय सड़क निधि का नाम बदलकर केंद्रीय सड़क एवं अवसंरचना निधि कर दिया है। साथ ही इसके वितरण का अधिकार वित्त मंत्रालय के अधीन गठित होने वाली एक समिति को दे दिया है। सड़क मंत्रालय इससे थोड़ा मायूस है। क्योंकि अभी तक केंद्रीय सड़क निधि के वितरण पर उसका अधिकार होता था। जिसमें से रेलवे को 14 फीसद के अलावा इसकी अधिकांश राशि सड़कों (राष्ट्रीय राजमार्ग- 39 फीसद, प्रादेशिक राजमार्ग-10 फीसद, सीमा सड़कें-1 फीसद तथा ग्रामीण सड़कें-39.5 फीसद) के निर्माण और मरम्मत पर खर्च होती थी। हाल में एक्ट में संशोधन के जरिए सरकार ने केंद्रीय सड़क निधि की 2.5 फीसद राशि अंतर्देशीय जलमार्गो के विकास की मदद में देने का प्रावधान किया था।

परंतु बजट में की गई नई व्यवस्था के तहत निधि के बाबत दो महत्वपूर्ण निर्णय और लिए गए हैं। पहला-निधि के नाम में परिवर्तन कर इसमें बुनियादी ढांचे को शामिल किया जाना। इससे निधि में बुनियादी ढांचा क्षेत्र की भी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर दी गई है। और दूसरा-निधि के वितरण का अधिकार सड़क मंत्रालय के बजाय वित्त मंत्रालय द्वारा गठित की जाने वाली समिति को दिया जाना। यही नहीं, ये समिति ही अब ये भी तय करेगी कि रेल, राष्ट्रीय व प्रादेशिक राजमार्गो, ग्रामीण सड़कों, जलमार्गो तथा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से किसको कितने प्रतिशत राशि आवंटित की जाए। समिति हर साल इसमें बदलाव करने को स्वतंत्र होगी। ये प्रावधान वित्त विधेयक पारित होने के साथ ही कानून की शक्ल अख्तियार कर लेंगे। अभी केंद्रीय निधि एक्ट के तहत रेल, सड़क आदि के लिए आवंटन का प्रतिशत निर्धारित है और एक्ट में संशोधन के बगैर इनमें बदलाव संभव नहीं होता।

सड़क मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार वैसे तो नई व्यवस्था से सड़कों के आवंटन में कमी की संभावना नहीं है। क्योंकि पेट्रोल-डीजल पर सेस बढ़ाकर आठ फीसद कर दिया गया है। लेकिन उन सांसदों को समझाना मुश्किल होगा जो अपने क्षेत्र की सड़कों का आवंटन बढ़वाने के लिए मंत्रालय का चक्कर काटते हैं। अभी सड़क निधि में सालाना 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र होती है। सेस बढ़ने से इसके बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये को पार करने की संभावना है।


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