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नौ घंटे से ज्यादा बैठे रहने से असमय मौत का खतरा, 18 साल से बड़ी उम्र के लोग इस बात का रखें ध्यान

शोधकर्ताओं का कहना है कि घर पर ही एक्यूप्रेशर के जरिये कमर दर्द के लक्षणों से राहत संभव है। अमेरिकी शोधकर्ता सुजैन मर्फी ने कहा एक्यूप्रेशर काफी हद तक एक्यूपंक्चर जैसा ही है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 07:50 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 07:51 PM (IST)
नौ घंटे से ज्यादा बैठे रहने से असमय मौत का खतरा, 18 साल से बड़ी उम्र के लोग इस बात का रखें ध्यान
नौ घंटे से ज्यादा बैठे रहने से असमय मौत का खतरा, 18 साल से बड़ी उम्र के लोग इस बात का रखें ध्यान

न्यूयॉर्क, एजेंसी। दिन में साढ़े नौ घंटे या इससे ज्यादा समय बैठकर बिताने वालों में असमय मौत का खतरा बढ़ जाता है। वहीं शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वालों में यह खतरा कम रहता है। हालिया शोध में यह बात सामने आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, 18 से 64 साल की उम्र वालों को हफ्ते में कम से कम 150 मिनट हल्का व्यायाम या 75 मिनट का कठोर व्यायाम अवश्य करना चाहिए। हालांकि इस बात का कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है कि कब और किस तरह का व्यायाम सेहत के लिए जरूरी है।

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अलग-अलग अध्ययनों से जुटाए गए 35 हजार से ज्यादा लोगों के आंक़़डों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि असमय मौत के खतरे को कम करने के लिए रोजाना करीब पांच घंटे की हल्की शारीरिक गतिविधियां जरूरी हैं। इन गतिविधियों में धीरे-धीरे चलने के अलावा खाना बनाने, कपड़े धोने जैसे घरेलू काम शामिल हैं।

कमरदर्द दूर करने में सहायक हो सकता है एक्यूप्रेशर

शोधकर्ताओं का कहना है कि घर पर ही एक्यूप्रेशर के जरिये कमर दर्द के लक्षणों से राहत संभव है। अमेरिकी शोधकर्ता सुजैन मर्फी ने कहा, 'एक्यूप्रेशर काफी हद तक एक्यूपंक्चर जैसा ही है। इसमें सूई के स्थान पर अंगुली, अंगूठे या किसी उपकरण की मदद से शरीर में खास बिंदुओं पर दबाव बनाया जाता है।'

मर्फी ने बताया कि कैंसर के कारण होने वाले दर्द और गठिया के मामले में एक्यूप्रेशर को लाभकारी पाया जा चुका है। हालांकि कमर दर्द पर इसके प्रभाव को लेकर ज्यादा अध्ययन नहीं हुए हैं।

वैज्ञानिकों ने पाया कि एक्यूप्रेशर की मदद से कमर में दर्द उठने और थकान की परेशानी निपटा जा सकता है। मर्फी ने कहा, 'तेज दर्द की हालत में बेहतर इलाज जरूरी होता है। इलाज के तौर पर ज्यादातर दवाएं दी जाती हैं। शोध के नतीजों ने बिना दवा के इस परेशानी के हल की उम्मीद पैदा की है।'


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