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बढ़ रही है महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के प्रवासी श्रमिकों को व्यग्रता, घर जाने के लिए हुए उतावले

महाराष्ट्र गुजरात और कर्नाटक की सरकारों द्वारा दी जा रही सुविधाओं के बावजूद इन राज्यों में रह रहे उत्तर प्रदेश बिहार एवं ओडिशा के प्रवासी श्रमिक अब घर जाने को उतावले होने लगे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 13 Apr 2020 11:12 PM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 11:12 PM (IST)
बढ़ रही है महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के प्रवासी श्रमिकों को व्यग्रता, घर जाने के लिए हुए उतावले
बढ़ रही है महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के प्रवासी श्रमिकों को व्यग्रता, घर जाने के लिए हुए उतावले

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक की सरकारों द्वारा दी जा रही सुविधाओं के बावजूद इन राज्यों में रह रहे उत्तर प्रदेश, बिहार एवं ओडिशा के प्रवासी श्रमिक अब घर जाने को उतावले होने लगे हैं। सोमवार को ठाणे के उल्हासनगर क्षेत्र से पैदल ही उत्तर प्रदेश की ओर निकल पड़े ऐसे ही 100 से अधिक श्रमिकों को बड़ी मुश्किल से समझाकर वापस उनके ठिकानों पर भेजा गया।

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बिहार एवं ओडिशा के प्रवासी श्रमिक अपने मूल राज्य जाने को लेकर हुए उग्र 

कुछ दिनों पहले ही सूरत में रहने वाले बिहार एवं ओडिशा के प्रवासी श्रमिक अपने मूल राज्य में जाने की मांग लेकर उग्र हो गए थे। वहां करीब साढ़े सात लाख बिहार के और 10 लाख से अधिक ओडिशा के श्रमिक रहते हैं। बेंगलुरु से भी ऐसा ही समाचार मिल रहा है। क्योंकि वहां सरकार ने तो प्रवासियों के लिए भोजन इत्यादि की व्यवस्था की है। लेकिन कई स्थानों पर स्थानीय नेताओं द्वारा कर्नाटक का वोटर आइडी होने पर ही सुविधाएं देने की बात कहकर उनकी अनदेखी की जा रही है।

इससे श्रमिकों में जीविका चलाने का संकट पैदा होने लगा है। इसके कारण गुजरात एवं कर्नाटक में प्रवासी श्रमिकों में असंतोष ज्यादा देखा जा रहा है। इसका एक कारण श्रमिकों के मूल राज्यों की सरकारों से उनके गुजरात एवं कर्नाटक की सरकारों के बीच बेहतर संयोजन न होना भी बताया जा रहा है।

सरकारों के बीच समन्वय की कमी के चलते श्रमिकों के सामने जीविका का संकट

महाराष्ट्र में राज्य सरकार तो अन्य राज्यों के साथ बेहतर संयोजन करके प्रवासी श्रमिकों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था कर रही है। लेकिन खासतौर पर निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों को उनके ठेकेदारों की तरफ से सहयोग मिलना बंद हो गया है। निर्माण कंपनियों ने ठेकेदारों को भुगतान बंद कर दिया है, तो ठेकेदार भी अपने श्रमिकों को भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।

बांदा और रीवां के रहनेवाले ऐसे ही श्रमिक उल्हासनगर से पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े थे। बदलापुर नगर भाजपा के कोषाध्यक्ष राजेश शर्मा ने बताया कि उन्हें थोड़ी दूर जाने के बाद ही समझा-बुझाकर वापस उनके ठिकानों पर पहुंचाया गया और उनके लिए अगले कुछ दिनों के राशन की व्यवस्था की गई । उल्हासनगर में इससे पहले भी ट्रकों एवं कंटेनरों में बैठकर उत्तर प्रदेश की ओर जाते हुए कुछ लोग रोके जा चुके हैं।

दो आइएएस अफसरों को लॉकडाउन में मजदूरों में वहीं रोके रखने की दी गई जिम्‍मेदारी  

महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश सरकार के नोडल अधिकारी बिमलेश कुमार औदीच्य का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार महाराष्ट्र में रह रहे प्रदेश के श्रमिकों को लॉकडाउन के दौरान यहीं रोके रखने के प्रयास कर रही है। इसके लिए महाराष्ट्र के मूल निवासी उत्तर प्रदेश कैडर के दो आइएएस अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। ताकि वे महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों से बात करके यहां रह रहे श्रमिकों को हर तरह की सुविधाएं दिलवा सकें।

सुविधाएं दिलवाई भी जा रही हैं। इसके बावजूद श्रमिकों में अपने घर जाने की व्यग्रता बढ़ रही है। औदीच्य के पास रोज ऐसे दर्जनों फोन आते हैं, जिसमें उनसे घर भेजने की गुहार लगाई जाती है।


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