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सपा में शिवपाल की बगावत, मंत्री- प्रदेश अध्यक्ष व मुख्य प्रवक्ता का पद छोड़ा

अपने सम्मान की लड़ाई बताते हुए सपा के कद्दावर नेता शिवपाल यादव ने सरकार व संगठन के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। शिवपाल के साथ उनके बेटे आदित्य यादव उर्फ अंकुर ने पीसीएफ के चेयरमैन पद व उनकी पत्नी सरला यादव ने कोऑपरेटिव निदेशक के पद से भी इस्तीफा दे दिया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 16 Sep 2016 03:37 AM (IST)Updated: Fri, 16 Sep 2016 09:44 AM (IST)
सपा में शिवपाल की बगावत, मंत्री- प्रदेश अध्यक्ष व मुख्य प्रवक्ता का पद छोड़ा

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के सामने अभूतपूर्व संकट खड़ा हो गया है। सोमवार से शुरू हुए 'गृहयुद्ध' में गुरुवार रात होते-होते शिवपाल यादव के तेवर बगावती हो गए। अपने सम्मान की लड़ाई बताते हुए उन्होंने सरकार व संगठन के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। हालांकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल का मंत्री पद से इस्तीफा स्वीकार करने से इन्कार कर दिया।

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शिवपाल के इस कदम पर देर रात मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश से बात भी की। सपा का संकट इस कदर गंभीर है कि देर रात मंत्री नारद राय, हाजी रियाज के अलावा अंबिका चौधरी शिवेन्द्र सिंह, रेहान, उदयराज यादव, रणविजय सिंह, रामलाल अकेला समेत दर्जन भर विधायक व बड़ी संख्या में समर्थक शिवपाल के आवास पर डट गए। शुक्रवार का दिन सपा के लिए नया इतिहास रच सकता है। इससे पहले दिन में राम गोपाल यादव ने परिवार में झगड़े के पीछे अमर सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए पार्टी की बर्बादी की वजह ठहराया था।

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माना जा रहा है कि शिवपाल द्वारा संगठन के पदों से दिया गया इस्तीफा भी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव स्वीकार नहीं करेंगे। इससे पहले दिन में शिवपाल ने कहा था कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद की न कभी दावेदारी की थी न ही इसकी भनक थी। सपा मुखिया मुलायम ने यह फैसला लिया। कहा कि कोई पद छोटा, बड़ा नहीं होता। वह मंत्री हैं व प्रदेश अध्यक्ष का कार्य दिया गया है, उस दायित्व को निभाएंगे। विभाग हटाने के सवाल पर शिवपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपनी सरकार पर फैसला लेने का अधिकार है। विभाग वापस लेने का फैसला उनका है। मुझसे विभाग वापस लेने का फैसला मुलायम (नेताजी) की राय से नहीं लिया गया होगा। उनकी बात न मानने की हैसियत किसी में नहीं है। अब हमें एक होकर 2017 का चुनाव लड़ना है।

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जता दी थी नाराजगी

शिवपाल ने बगैर किसी इशारे के कहा कि लोगों को अपनी बुद्धि से फैसले लेने चाहिए। किसी की कही सुनी बात पर नहीं। सब बुद्धिमान मुख्यमंत्री और मुलायम सिंह नहीं बन सकते है। हर कोई शिवपाल यादव भी नहीं हो सकता।

चार साल में दर्जनों बार आमने सामने आ चुके हैं अखिलेश-शिवपाल

पार्टी में कोई बाहरी नहीं

बाहरी व्यक्ति के मुख्यमंत्री व प्रो.राम गोपाल के इशारे के सवाल पर शिवपाल यादव ने कहा कि पार्टी में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं है। अमर सिंह को पार्टी में लेने का फैसला नेताजी (मुलायम सिंह) का है। इस बात के कुछ घंटे बाद ही वह सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से मिले फिर उनकी हिदायत पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने उनके सरकारी आवास पर गए। वहां से लौटे और परिवार के साथ चर्चा के बाद मंत्री व समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रभारी व प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उनके पास सपा के प्रदेश प्रभारी, मुख्य प्रवक्ता का पद भी था।

बेटे व पत्नी ने भी दिया इस्तीफा

शिवपाल के साथ उनके बेटे आदित्य यादव उर्फ अंकुर ने पीसीएफ के चेयरमैन पद व उनकी पत्नी सरला यादव ने कोऑपरेटिव निदेशक के पद से भी इस्तीफा दे दिया। हालांकि इनमें से किसी का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।

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अखिलेश को अध्यक्ष पद से हटाना नेतृत्व की गलती : रामगोपाल

समाजवादी पार्टी व परिवार की कलह के सड़क पर आने के चौथे दिन महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव ने कहा-'अखिलेश को पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद से हटाकर नेतृत्व ने माइनर मिसटेक (छोटी गलती) की।' उनसे इस्तीफा मांगा जाना चाहिए था। वह इस्तीफा दे देते। उन्होंने यह भी कहा कि मुलायम सिंह के निर्देश पर ही मुख्यमंत्री ने गायत्री प्रजापति व राजकिशोर सिंह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया था।गुरुवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात से पहले और फिर बाद में प्रो.रामगोपाल यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा कही गई पार्टी में 'बाहरी व्यक्ति' के हस्तक्षेप की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह व्यक्ति पार्टी को बर्बाद करने पर आमादा है।

इशारों में अमर सिंह को बताया खलनायक

इशारों में अमर सिंह को खलनायक की संज्ञा देते हुए कहा कि यह व्यक्ति नेताजी (मुलायम सिंह) की सरलता का फायदा उठाता है, उसने ही सपा के संविधान में प्रभारी, कार्यकारी का पद नहीं होने के बावजूद प्रभारी नियुक्त करा दिया। उसी ने प्रदेश अध्यक्ष बनवाया है। इस सवाल पर कि अमर सिंह तो खुद को मुलायमवादी कहते हैं? प्रो.यादव ने कहा कि जो समाजवादी नहीं हो सकता, वह मुलायमवादी नहीं हो सकता। प्रो.यादव ने कहा कि अमर सिंह का मकसद होता है कि उनका काम हो जाए पार्टी भाड़ में जाए। पार्टी के इंट्रेस्ट (फायदा) से उन्हें लेना-देना नहीं है। चुनाव का समय है। अब बाहरी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं।

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संसदीय बोर्ड की बैठक टली

समाजवादी पार्टी की शुक्रवार को प्रस्तावित समाजवादी संसदीय बोर्ड की बैठक टाल दी गयी है। राम गोपाल यादव ने कहा कि इस मसले पर बोर्ड की बैठक की जरूरत नहीं है। टिकट और प्रत्याशी का बात होती तो बोर्ड की बैठक बुलाई जाती।

आज 'फैसले का शुक्रवार', मुलायम पर निगाहें

समाजवादी परिवार के सत्ता संघर्ष में गुरुवार रात आए भूचाल के बाद शुक्रवार का दिन फैसले भरा होने की उम्मीद है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर सभी की निगाहें लगी हैं।समाजवादी कुनबे में बीते चार दिनों से चल रहा घमासान गुरुवार को राजधानी में परिवार के सभी दिग्गजों के जुटने के बाद भी शांत नहीं हुआ। दिन भर चलीं मुलायम की कोशिशें भी रंग नहीं लाईं और रात होते-होते शिवपाल के इस्तीफे के साथ विस्फोट के रूप में सामने आईं। एक बार फिर चर्चाओं के ज्वालामुखी फटने लगे, कयासों के दौर चलने लगे और लोग 'लाइव' हो गए। राजनीतिक गलियारे में 'अब क्या होगा?' जैसा सवाल तेजी से गूंज रहा है।

सपा के दो फाड़ होने की संभावनाओं पर भी चर्चा

जिस तरह शिवपाल के घर विधायक व समर्थक जुटने शुरू हुए, उससे सपा के दो फाड़ होने की संभावनाओं पर भी चर्चा शुरू हो गयी। कार्यकर्ताओं का एक खेमा इस पूरे घटनाक्रम को अमर बनाम रामगोपाल का विस्फोटक परिणाम करार दे रहा है। अब शुक्रवार की प्रतीक्षा हो रही है। मुलायम सिंह राजधानी में ही हैं। माना जा रहा है कि शुक्रवार को वह माहौल को नियंत्रित करने के लिए कुछ कड़े फैसले भी ले सकते हैं। यही कारण है कि देर रात समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय व प्रदेश कार्यकारिणी भंग करने की चर्चाएं भी शुरू हो गईं। कहा गया कि अभी तक शिवपाल व अखिलेश को आमने-सामने बिठाकर मुलायम ने पंचायत नहीं की है। अब ऐसी पंचायत की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा रहा है।

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