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तालिबान की वापसी से भारत और पाक रिश्तों में सुधार की गुंजाइश हो रही खत्म, PoK में बढ़ी आतंकियों की सरगर्मी

अफगानिस्‍तान में तालिबान की वापसी के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की गुंजाइश अब खत्म होती प्रतीत हो रही है। आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को भड़काने की कोशिशों में भी इजाफा हो सकता है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 07:43 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 01:04 AM (IST)
तालिबान की वापसी से भारत और पाक रिश्तों में सुधार की गुंजाइश हो रही खत्म, PoK में बढ़ी आतंकियों की सरगर्मी
अफगानिस्‍तान में तालिबान की वापसी के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की गुंजाइश खत्म हो गई है।

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सीमा पर सीज फायर की सहमति बनने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की जो गुंजाइश बनी थी, वह अब खत्म होती प्रतीत हो रही है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जो क्षेत्रीय व वैश्विक हालात बने हैं, उसमें पाकिस्तान के भारत विरोधी रवैये के और बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं। अब नए सिरे से पाकिस्तान की तरफ से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर न सिर्फ कश्मीर को हवा देने की भरपूर कोशिश होगी बल्कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को भड़काने की कोशिशों में भी इजाफा हो सकता है।

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पूरा वैश्विक माहौल बदला 

अफगानिस्तान में बदलाव के बाद पूरा वैश्विक माहौल इस तरह का बना है कि पाकिस्तान की अहमियत बढ़ गई है। पिछले एक पखवाड़े में देखा जाए तो जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बात की है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब भी शुक्रवार को अचानक इस्लामाबाद पहुंचे और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ द्विपक्षीय बातचीत की।

भारत के खिलाफ पाक बना सकता है रणनीति 

पाकिस्तान पहले ही चीन और तालिबान के बीच मध्यस्थता कर चुका है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अभी तक इमरान को टेलीफोन नहीं किया है, लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान के बीच अफगानिस्तान को लेकर लगातार बातचीत चल रही है। अफगानिस्तान में मिली कूटनीतिक जीत और वैश्विक अहमियत के माहौल को इस्लामाबाद भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की रणनीति अपना सकता है।

पाकिस्‍तानी सेना की सोच बड़ी अड़चन 

पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त शरत शबरवाल का कहना है कि पहले से ही दोनों देशों के बीच तनाव पैदा करने वाली कई समस्याएं पहले से हैं। अब इसमें अफगानिस्तान भी जुड़ गया है। तालिबान की सत्ता आने के बाद पाकिस्तान की कोशिश यही होगी कि भारत को अफगानिस्तान में कोई भी जगह नहीं मिले। अभी भारत व पाक के बीच सामान्य देशों जैसे रिश्ते नहीं हैं। अब रिश्तों में सुधार और कठिन हो गया है। सबरवाल यह भी कहते हैं कि भारत के साथ रिश्तों को लेकर पाकिस्तान की सेना की मानसिकता सबसे बड़ी अड़चन है।

बढ़ रहीं आतंकी गतिविधियां

पाकिस्तान के बदले रुख का संकेत जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर भी देखी जा सकती है। भारत और पाकिस्तान में गत फरवरी में युद्ध विराम समझौते के बाद से सीमा पर घुसपैठ लगभग रुक गई थी। लेकिन काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद सीमा पार गुलाम कश्मीर में लां¨चग पैड पर आतंकी गतिविधियां बढ़ गई हैं।

फिर बढ़ सकती है घुसपैठ

पाकिस्तानी सेना में कुछ लोग मानते हैं कि तालिबान की मदद से वे कश्मीर में वही काम कर सकते हैं जो अफगानिस्तान में रूस व अमेरिका के साथ किया है। आतंकियों को भारत में भेजना इस रणनीति का पहला कदम हो सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से अफगानिस्तान के हालात पर नजर रखने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल समेत आला अधिकारियों को मिला कर बनाई गई उच्चस्तरीय समिति भारत की इन्हीं चिंताओं का दर्शाता है। 


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