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सरकार के कारण पेंडिंग में सीएपीएफ के जवानों की सेवानिवृत्ति के मामले

गृह मंत्रालय के तहत आने वाले अन्य सुरक्षा बल-सेंट्रल इंडस्टि्रयल सिक्योरिटी फोर्स और असम राइफल्स में सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल है। जबकि सीआरपीएफ बीएसएफ आइटी

By Nitin AroraEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 09:07 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 09:07 PM (IST)
सरकार के कारण पेंडिंग में सीएपीएफ के जवानों की सेवानिवृत्ति के मामले
सरकार के कारण पेंडिंग में सीएपीएफ के जवानों की सेवानिवृत्ति के मामले

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में सेवानिवृत्ति की मानक आयु तय करने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कोई निर्णय नहीं किए जाने से कई जवानों की सेवानिवृत्ति और पेंशन की प्रक्रिया 31 मई से ही ठप पड़ी है। नई सरकार के गठन के बाद जून के पहले हफ्ते तक इस पर कोई निर्णय लिए जाने की उम्मीद थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो सका है।

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इन सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने बताया कि चार प्रमुख सीएपीएफ-सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ), बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आइटीबीपी), के मुख्यालयों से फील्ड इकाइयों द्वारा लगातार इस संबंध में दिशानिर्देश के लिए संपर्क किया जा रहा है। लेकिन मुख्यालयों से सरकार द्वारा कोई फैसला किए जाने तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि 31 मई के बाद से ही सिपाही से लेकर कमांडेंट स्तर तक के सैकड़ों कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति और उसके बाद पेंशन की प्रक्रिया से संबंधित पेपर दफ्तरों में अटके पड़े हैं। इन कर्मचारियों को फैसला होने तक घर पर रहने या दफ्तर आने लेकिन कामकाज से दूर रहने को कहा जा रहा है। औपचारिक विदाई भी नहीं दी जा रही है।

दरअसल, यह समस्या दिल्ली हाई कोर्ट के जनवरी के एक आदेश के बाद पैदा हुई है। हाई कोर्ट ने इन चारों सुरक्षा बलों में सेवानिवृत्ति की अलग-अलग आयु की नीति को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताया था। अदालत ने कहा था कि इसके चलते एक रूप वाले सुरक्षा बलों में दो श्रेणी पैदा हो गई है।

अभी गृह मंत्रालय के तहत आने वाले अन्य सुरक्षा बल-सेंट्रल इंडस्टि्रयल सिक्योरिटी फोर्स और असम राइफल्स में सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल है। जबकि, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आइटीबीपी और एसएसबी में सिपाही से कमांडेंट स्तर के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 57 वर्ष और उसके ऊपर के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल है।

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष पुनर्विचार याचिका दायर की थी। लेकिन शीर्ष अदालत ने 10 मई को उसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस तरह के मामले नीतिगत फैसलों के तहत आते हैं, यह तय करना अदालतों का काम नहीं है। इस मामले में हस्तक्षेप करने से सुप्रीम कोर्ट के इन्कार का साफ मतलब है कि सरकार को ही इस पर फैसला करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार को सेवानिवृत्ति की उम्र 57 साल या 60 साल तय करनी होगी।

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