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अदालत में पेश हुए ओडिशा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज

सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले में फैसले को प्रभावित करने की कोशिश व रिश्वत लेने के आरोपों से घिरे ओडिशा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आइएम कुद्दुसी पेश हुए।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 07:34 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 07:34 AM (IST)
अदालत में पेश हुए ओडिशा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज
अदालत में पेश हुए ओडिशा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले में फैसले को प्रभावित करने की कोशिश व रिश्वत लेने के आरोपों से घिरे ओडिशा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आइएम कुद्दुसी और अन्य आरोपित गुरुवार को अदालत में पेश हुए। राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने सीबीआइ के आरोपपत्र पर संज्ञान लेकर समन जारी किया था।

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सुनवाई के दौरान सीबीआइ की तरफ से सभी आरोपितों को आरोपपत्र और अन्य दस्तावेजों की प्रति दी गई। इस मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी के लिए तय की गई है। विशेष अदालत में आइएम कुद्दुसी के अलावा बीपी यादव, पलाश यादव, बिश्वनाथ अग्रवाल, रामदेव सारस्वत, भावना पांडे और सुधीर गिरी भी पेश हुए। सीबीआइ ने पिछले साल दिसंबर में आइएम कुद्दुसी और छह अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। इन पर आरोप है कि इन्होंने कथित तौर पर लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज के मामले को निपटाने के लिए साजिश रची और रिश्वत ली।

सीबीआइ का आरोप है कि कुद्दुसी ने अन्य आरोपितों की सहायता से न केवल निजी मेडिकल कॉलेज के पदाधिकारियों को कानूनी रूप से निर्देशित किया, बल्कि उनके पक्ष में सुृप्रीम कोर्ट से फैसला दिलवाने का आश्वासन भी दिया।सीबीआइ को जानकारी मिली थी कि प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज उन 46 कॉलेजों में से एक है जिसको सरकार ने एक या दो साल के लिए छात्रों को दाखिला देने से रोक दिया था। इसका कारण कॉलेजों में मिलने वाली घटिया सुविधाएं और आवश्यक मापदंडों की पूरा न करना था। इसके बाद प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज के संचालकों ने इस प्रतिबंध को 2017 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने लखनऊ मेडिकल इंस्टीट्यूट के एक शख्स, एक सेवानिवृत्त ओडिशा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और कथित बिचौलियों और मालिकों के बीच कथित टेलीफोनिक बातचीत के बीच फेन पर बातचीत का ब्यौरा पेश किया है ताकि सर्वोच्च न्यायालय से अनुकूल आदेश प्राप्त किया जा सकते जिसेस निजी व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप से संतुष्टि के लिए उसकी मांग और भुगतान का आरोप लगाया जा सके।


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