स्वच्छता को आदत में बदलने पर अडिग सरकार, ओडीएफ प्लस को मजबूती से जारी रखने का संकल्प
सर्वेक्षण में छूटे परिवारों के लिए ओडीएफ प्लस के तहत शौचालय उपलब्ध कराने के अलावा उन लोगों पर भी फोकस किया जा रहा है जो किन्ही कारणों से शौचालयों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।
अवनीश त्यागी, नई दिल्ली। स्वच्छता को प्रत्येक व्यक्ति की आदत में शामिल कराने का संकल्प सरकार ने दोहराया है। ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित करने के बाद देश में ओडीएफ प्लस अभियान मजबूती से जारी रखने की गंभीरता भी दिखाई गयी। अभियान में रोजगार की संभावनाएं बरकरार रखने के साथ ही जल संरक्षण व कचरा प्रबंधन की दिशा में अधिक कार्य करने पर बल भी दिया गया। स्वच्छ भारत मिशन की रफ्तार को बनाए रखने के लिए 12,300 करोड़ रुपये प्रदान किए है।
सर्वेक्षण में छूटे परिवारों के लिए ओडीएफ प्लस के तहत शौचालय उपलब्ध कराने के अलावा उन लोगों पर भी फोकस किया जा रहा है जो किन्ही कारणों से शौचालयों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। एक सर्वे में ऐसे लोगों की संख्या अलग अलग स्थानों पर 10-20 प्रतिशत तक है। गांवों में शौचालय का प्रयोग आदत बनाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे लोगों को चिन्हित करके उनके स्वभाव में बदलाव का प्रयास जारी है। इसके अलावा एक पिट वाले शौचालयों को दो पिट वाला बनाने का कार्य होगा। प्रत्येक शौचालय में पानी उपलब्ध हो ऐसी व्यवस्था भी करायी जा रही है। सेप्टिक टैंकों की सफाई केवल मशीनों से कराने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। शौचालय प्रयोग करने के लिए जन जागरण अभियान चलाए जा रहे है। स्वच्छताग्रहियों के जरिए भी सुनिश्चित कराया जा रहा है कि कोई भी परिवार या व्यक्ति छूटने नहीं पाए। शौचालयों की शतप्रतिशत जियो टैगिंग भी करायी जा रही है।
तरल व ठोस कचरा प्रबंधन पर जोर
ओडीएफ प्लस में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था सुधारने को प्राथमिकता दी जाएगी। स्वच्छ भारत मिशन को सौ फीसद सफल बनाने के लिए नगरीय क्षेत्रों के अलावा गांवों में भी कचरा प्रबंधन को सुधारा जा रहा है। तरल व ठोस कचरे को अलग अलग एकत्र कर उसको उपयोगी बनाना भी अभियान का हिस्सा है। घरों से निकलने वाला गंदा पानी, प्लास्टिक व पॉलीथीन का कचरा जटिल समस्या बना है। कृषि अवशेष निपटना भी सिरदर्द है।
कचरे से बनेगी जैविक खाद
ग्राम पंचायतों की मदद से कचरा प्रबंधन करने व जैविक खाद तैयार करना भी ओडीएफ प्लस का हिस्सा है। गांवों में कूड़ा इकठ्ठा कर कम्पोस्ट व जैविक खाद बनाने में जनभागीदारी भी होगी। इसे रोजगार से भी जोड़ा जाएगा। घरों से निकलने वाले को सिंचाई कार्य में प्रयोग करने और वर्षा जल संचयन पर जोर रहेगा। इसमें समाजसेवी संस्थाओं व एनजीओ से सहयोग भी लिया जा सकता है। महिलाओं व स्कूली बच्चों को सफाई के प्रति जागरूक करने को विभिन्न कार्यक्रम होंगे। गांवों, नगरों व जिलों में स्वच्छता को लेकर प्रतिस्पर्धा बनाने के लिए योजनाएं चलायी जा रही है।
आनलॉइन फीडबैक लिया जाएगा
सबसे बड़े स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण में देश के 698 जिलों, 17,450 गांवों के विद्यालयों, आंगनवाड़ी केंद्रों, बाजार, स्वास्थ्य केंद्रों व धार्मिक स्थानों को शामिल करते हुए लगभग 2.5 लाख लोगों से स्वच्छता पर फीडबैक लिया गया। जिसमें अभियान को जारी रखने का निष्कर्ष निकलकर आया। स्वच्छता को लेकर एक विशेष एप के जरिए भी आनलॉइन फीडबैक जुटाया जा रहा है। जिसके आधार पर यह कोशिश होगी कि सार्वजनिक सफाई भी आम आदमी की आदत में शामिल हो जाए।