वर्चस्व की लड़ाई में वसुंधरा का पलड़ा भारी
राजस्थान भाजपा मे चल रही वर्चस्व की लड़ाई मे वसुंधरा राजे का पलड़ा भारी पड़ रहा है। पिछले दरवाजे से राजस्थान मे वसुंधरा के समांतर नेतृत्व स्थापित करने की कोशिश मे जुटे संघ समर्थित भाजपा गुट को अपने कदम वापस खीचने पर मजबूर होना पड़ा है। वसुंधरा और उनके समर्थक 50 विधायको के इस्तीफे की पेशकश के बाद भाजपा के केद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल उन्हे शांत रहने को मना लिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राजस्थान भाजपा में चल रही वर्चस्व की लड़ाई में वसुंधरा राजे का पलड़ा भारी पड़ा। पिछले दरवाजे से राजस्थान में वसुंधरा के समांतर नेतृत्व स्थापित करने की कोशिश में जुटे संघ समर्थित भाजपा गुट को अपने कदम वापस खींचने पड़े। नाराज वसुंधरा और उनके समर्थक 56 विधायकों के इस्तीफे की पेशकश के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बड़ी मुश्किल से उन्हें शांत रहने के लिए मनाया।
करीब डेढ़ साल बाद होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस विवाद से पार्टी को नुकसान की संभावना देखते हुए भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी, लालकृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली ने रविवार को फोन पर वसुंधरा से बात की। इसके बाद वसुंधरा ने अपने इस्तीफे के एलान पर चुप्पी साधते हुए सिर्फ इतना कहा, 'यह पार्टी का अंदरूनी मामला है, इसे सुलझा लिया जाएगा।' दरअसल, वसुंधरा और उनके समर्थक सबसे ज्यादा खार राजस्थान के भाजपा प्रभारी कप्तान सिंह सोलंकी से खाए हुए हैं। खांटी संघ पृष्ठभूमि के सोलंकी का इससे पहले मध्य प्रदेश में उमा भारती से भी टकराव हुआ था। उमा के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटने के पीछे भी सोलंकी की बड़ी भूमिका थी। सोलंकी के राजस्थान पहुंचने के बाद वसुंधरा के खिलाफ गुलाब चंद कटारिया और घनश्याम तिवाड़ी आदि का गुट लगातार सक्रिय है।
राजस्थान के पूर्व गृह मंत्री कटारिया की 'लोक जागरण यात्रा' से नाराज होकर ही वसुंधरा ने शनिवार को इस्तीफे का एलान कर दिया था। बाद में उनके समर्थन में 56 अन्य विधायकों ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता छोड़ने की धमकी देते हुए इस्तीफे की पेशकश कर दी। दो सौ सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के 79 विधायक हैं।
कटारिया ने अब अपनी यात्रा रद कर दी है, लेकिन वसुंधरा गुट के तेवर नरम नहीं हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक खुद वसुंधरा और उनके समर्थकों ने केंद्रीय नेतृत्व से उन्हें अभी से प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर घोषित करने को कहा है। वसुंधरा को लग रहा है कि सोलंकी और संघ समर्थित खेमा उनके समांतर सत्ता तैयार कर विधानसभा चुनाव से पहले उनकी दावेदारी कमजोर करना चाहता है। इसीलिए वसुंधरा ने अभी शक्ति प्रदर्शन कर नेतृत्व पर दबाव बना दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भी हार के बावजूद वसुंधरा पार्टी में अपने विरोधियों पर भारी पड़ी थीं।
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