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आरबीआइ को नहीं मिल रहीं 500 और 1000 के नोट गिनने वाली मशीनें

विपक्षी सदस्यों ने बृहस्पतिवार को संसद में यह मुद्दा उठाते हुए सरकार से पूछा कि नोटबंदी के दौरान जमा हुए 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट की संख्या का पता कब चलेगा।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 28 Jul 2017 08:19 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jul 2017 08:19 AM (IST)
आरबीआइ को नहीं मिल रहीं 500 और 1000 के नोट गिनने वाली मशीनें
आरबीआइ को नहीं मिल रहीं 500 और 1000 के नोट गिनने वाली मशीनें

नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। नोटबंदी से 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट कितने वापस आए यह जानने के लिए अभी आपको और इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल, रिजर्व बैंक के पास नोट गिनने और नकली नोट छांटने वाली मशीनें नहीं हैं। आरबीआइ ने ऐसी मशीनें लीज पर लेने को टेंडर भी जारी किया है, लेकिन अब तक कोई सप्लायर ये मशीनें मुहैया कराने को आगे नहीं आया है। यही वजह है कि आरबीआइ बार-बार इस टेंडर की तारीख आगे बढ़ा रहा है।

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दरअसल, आरबीआइ नोट गिनने और नकली नोट छांटने के लिए जिस मशीन का इस्तेमाल करता है उसका नाम- करेंसी वेरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम (सीवीपीएस) है। आरबीआइ को ऐसी सीवीपीएस मशीन की जरूरत है जो एक सेकेंड में कम से कम 18 नोटों की गिनती करे और उनमें अगर कोई नकली या कटा-फटा नोट है तो उसे छांटकर अलग करे।

आरबीआइ ने 18 सीवीपीएस मशीनें खरीदने के लिए 12 मई 2017 को वैश्रि्वक टेंडर जारी किया था और इसकी अंतिम तिथि दो जून रखी। हालांकि जब आरबीआइ के मानकों के अनुरूप सप्लायर नहीं आए तो आरबीआइ ने अंतिम तिथि को बढ़ाकर 16 जून कर दिया। इसके बाद आरबीआइ ने आखिरकार 22 जुलाई को यह टेंडर रद कर पुन: नया टेंडर जारी किया, जिसकी अंतिम तिथि सात अगस्त रखी गयी है।

दैनिक जागरण ने इस संबंध में आरबीआइ की प्रवक्ता के पास ईमेल भेजकर इस बारे में आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया जाननी चाही, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ।

उल्लेखनीय है कि 12 जुलाई को आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल और डिप्टी गवर्नर ने संसद की वित्त मामलों संबंधी समिति को सूचित किया था कि रिजर्व बैंक 66 मशीनें लगाकर नोटबंदी के दौरान जमा हुए पुराने नोटों की जांच कर रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनमें जाली नोट कितने थे। यह काम पूरा होने के बाद ही आरबीआइ बता पाएगा कि नोटबंदी से कितने नोट सिस्टम में वापस आए। उनका यह भी कहना था कि आरबीआइ ने और मशीनें लीज पर लेने को भी टेंडर निकाला है। इसलिए नोटबंदी के दौरान जमा हुए नोटों की संख्या बताने में वक्त लग सकता है।

इस बीच विपक्षी सदस्यों ने बृहस्पतिवार को संसद में यह मुद्दा उठाते हुए सरकार से पूछा कि नोटबंदी के दौरान जमा हुए 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट की संख्या का पता कब चलेगा। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सरकार पर नोटबंदी के दौरान जमा हुए नोटों की संख्या छुपाने का आरोप भी लगाया। कांग्रेस नेता के वी थॉमस ने कहा कि संसदीय समिति जब आरबीआइ गवर्नर से पूछती है तो उनका जवाब होता है कि नोटों की गिनती की जा रही है। आखिर क्या वजह है कि सरकार नोटों की संख्या छुपा रही है।

सरकार ने 8 नवंबर को नोटबंदी का ऐलान किया था। माना जाता है कि उस समय बंद किए गए 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट करीब 15 लाख करोड़ रुपये की राशि के थे।

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