राजस्थान में फिर सुलगने लगा आरक्षण का मुद्दा
ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य और कायस्थ आदि सवर्ण जातियों को 14 फीसद आरक्षण देने की मांग
जागरण संवाददाता, जयपुर । चुनावी साल में आरक्षण का मुद्दा राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। वसुंधरा राजे सरकार ने गुरुवार को ही गुर्जर समाज सहित पांच जातियों को एक फीसद आरक्षण दिया था। अब भाजपा के परंपरागत वोट बैंक रहे ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य समाज ने सवर्ण आरक्षण की मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।
इन सभी समाज के नेताओं ने आरक्षण की मांग पूरी न होने पर 11 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के मन में खोट (दुर्भावना) है। तिवाड़ी ने ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य और कायस्थ आदि सवर्ण जातियों को 14 फीसद आरक्षण देने की मांग करते हुए कहा कि विधानसभा में इस संबंध में विधेयक पारित हो गया, लेकिन सरकार इस कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में डलवाने का प्रयास नहीं कर रही है। मीडिया से बातचीत में तिवाड़ी ने कहा कि प्रदेश की सवर्ण जातियों में जबरदस्त आक्रोश है। वे अब इस मुद्दे को लेकर सवर्ण जातियों को एकजुट करने का काम करेंगे।
सर्व ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष सुरेश मिश्रा ने शुक्रवार को पदाधिकारियों की बैठक कर आंदोलन की चेतावनी दी। मिश्रा ने बातचीत में कहा कि सरकार जब गुर्जर समाज को आरक्षण दे सकती है तो सवर्ण जातियों को क्यों नहीं दे सकती । उन्होंने कहा कि सवर्ण आरक्षण को लेकर जो भी बाधाएं हैं, उसे दूर कर आरक्षण दिया जाना चाहिए। वैश्य महासम्मेलन के सीताराम अग्रवाल ने भी आरक्षण की मांग की है। इधर, विभिन्न मुद्दों को लेकर पिछले काफी समय से वसुंधरा राजे सरकार ने नाराज चल रहे राजपूत समाज ने भी आरक्षण का मुद्दा उठाया है।