शोधकर्ताओं ने किया सचेत, कहा-सूनामी से दूर बसे शहरों को भी हो सकता है बड़ा खतरा
समुद्र के जलस्तर में होनेवाली थोड़ी वृद्धि भी सूनामी से होनेवाली तबाही के खतरे को बढ़ा सकती है। इस जलस्तर के बढ़ने की मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन होगा।
नई दिल्ली, पेट्र। पर्यावरण वैज्ञानिकों ने सुनामी के नए खतरे की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार समुद्र के जलस्तर में होनेवाली थोड़ी वृद्धि भी सूनामी से होनेवाली तबाही के खतरे को बढ़ा सकती है। इस जलस्तर के बढ़ने की मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन होगा। हाल के कुछ वर्षों में दुनिया के कुछ देशों ने सूनामी की भयानक त्रासदी झेली है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, तटीय शहरों में समुद्र का जलस्तर बढ़ने के खतरे से हर कोई वाकिफ है, लेकिन एक नए अध्ययन से पता चला है कि भूंकप के बाद आई सूनामी से तटीय शहरों के अलावा दूर-दूर बसे शहरों और बस्तियों को भी खतरा पैदा हो सकता है। साल 2011 के बाद तोहोकु-ओकी में भूकंप के बाद आई सूनामी से उत्तरी जापान का बड़ा हिस्सा तबाह हो गया था और इससे एक परमाणु संयंत्र को भी भारी क्षति पहुंची थी और रेडियोधर्मी विकिरण पैदा हुआ था।
इस मामले में अमेरिका के वर्जिनिया टेक के एक सहायक प्रोफेसर रॉबर्ट वेस ने कहा कि हमारा अध्ययन बताता है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने से सूनामी के खतरे काफी बढ़ गए हैं, इसका मतलब है कि भविष्य में छोटी सूनामी का भी बड़ा भयानक प्रभाव हो सकता है।' यह अध्ययन 'साइंस एडवांसेस' जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर से चीन के मकाउ में मौजूदा जलस्तर पर कृत्रिम सूनामी बनाई और इससे जलस्तर में 1.5 से 3 फुट तक की वृद्धि हुई। दक्षिणी चीन में बसा मकाउ अत्यधिक जनघनत्व वाला तटीय क्षेत्र है जोकि सामान्यतः सूनामी के खतरे से सुरक्षित है।
मौजूदा समुद्र के जलस्तर में 8.8 तीव्रता के भूकंप से मकाउ डूब सकता है, लेकिन कृत्रिम जलस्तर में वृद्धि के कारण आए नतीजों ने टीम को हैरान कर दिया। जलस्तर में 1.5 फुट की वृद्धि से सुनामी का खतरा 1.2 से 2.4 बार बढ़ गया जबकि तीन फुट वृद्धि से 1.5 से 4.7 बार बढ़ा। अर्थ ऑब्जर्वेटरी ऑफ सिंगापुर के सीनियर शोधकर्ता लिन लिन ली ने कहा कि हमने पाया कि मध्यम तीव्रता वाले भूकंप से भी सैलाब की तीव्रता बढ़ गई, जोकि मौजूदा जलस्तर में खतरनाक नहीं है, लेकिन उच्च जलस्तर की स्थिति में इससे भीषण सैलाब आ सकता है।
माना जाता है कि मकाउ में 2060 में जलस्तर 1.5 फुट और 2100 में 3 फुट तक बढ़ जाएगा। दक्षिण चाइना समुद्र में सूनामी का बड़ा खतरा मुख्य रूप से मनीला ट्रेंच से है। मनीला ट्रेंच में 1560 के दशक से लेकर अब तक 7.8 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप नहीं आया। वहीं, शोधकर्ता चेतावनी देते हुए कहते हैं कि इस क्षेत्र में ऐसे कई लक्षण मौजूद हैं जिस वजह से 2004 में सुमात्रा-अंडमान और 2011 में उत्तरी जापान में भूकंप आया था, जिसमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।