गठिया के उपचार के नए तरीके के करीब पहुंचे शोधकर्ता
प्रोफेसर केएल यादव के मुताबिक, जब पॉलीमर पर आधारित इन नैनोपार्टिकल्स को घुटने के जोड़ों के चारों ओर इंजेक्ट किया जाएगा, तो यह लंबे समय तक हीट थेरेपी देने में संभव होंगे।
नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू। आइआइटी रुड़की के शोधकर्ता गठिया के उपचार के नए तरीके पर कार्य कर रहे हैं। नैनो मैटीरियल का प्रयोग कर खोजी जा रही उपचार की इस विधि के शुरुआती परिणाम सकारात्मक और प्रभावशाली रहे हैं।
शोधकर्ताओं ने चुंबकीय-पराविद्युत मिश्रण तैयार करने के लिए विशेष फेराइट नैनोमैटीरियल का प्रयोग किया, जिसे पॉली विनायलीडाइन फ्लोराइड (पीवीडीएफ) से मिलाया। गठिया की हीट थेरेपी में इस मिश्रण का प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रभाव जानने के लिए इसका प्रयोग एक कंप्यूटर मॉडल के घुटने पर किया गया।
हीट थेरेपी से सक्रिय होंगे नैनोपार्टिकल्स
शोधकर्ताओं के मुताबिक, शुरुआती जांच सफल रही है। भविष्य में इस नैनोमैटीरियल को घुटने के दर्द वाले स्थान पर प्रत्यारोपित किया जाएगा और फिर हीट थेरेपी के जरिए इन नैनोपार्टिकल्स को सक्रिय किया जाएगा, जिससे यह उस स्थान को गर्म रखने में मदद कर सकें। शोधार्थियों के दल के प्रमुख प्रोफेसर केएल यादव के मुताबिक, जब पॉलीमर पर आधारित इन नैनोपार्टिकल्स को घुटने के जोड़ों के चारों ओर इंजेक्ट किया जाएगा, तो यह लंबे समय तक हीट थेरेपी देने में संभव होंगे। इसकी वजह पॉलीमर का ऊष्मीय गुण है।
कोशिकाओं और ऊतकों को नहीं होगा नुकसान
प्रोफेसर यादव के मुताबिक, इस नए मैटीरियल का द्रव रूप तैयार होने के बाद उसे घुटनों में प्रत्यारोपित किया जा सकेगा। इसके बाद हीट ट्रीटमेंट देने पर दर्द वाले क्षेत्र के नैनोपार्टिकल्स गर्मी उत्पन्न करेंगे जो अधिक देर तक रहेगी। इससे पास की कोशिकाओं और ऊतकों को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचेगा। इस फोकस उपचार का प्रयोग निश्चित स्थान पर तब किया जाएगा, जब उसकी आवश्यकता होगी।
सस्ता और आसान उपचार उपलब्ध करना है मकसद
यादव कहते हैं कि हमारा मकसद गठिया के लिए ऐसी उपचार विधि तलाशना है जो सस्ती, सबकी पहुंच में, सुरक्षित और आसान हो। फिलहाल हम इस शोध का मनुष्यों पर प्रयोग की तैयारी कर रहे हैं।
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