Republic Day Parade 2020: इस बार राजपथ पर नए अवतार में नजर आएगा जम्मू कश्मीर
Republic Day Parade 2020 राज्य की झांकी में कला-संस्कृति चमक बिखरेगी मिटेगा भेदभाव का दंश भी जम्मू की प्रसिद्ध बसोहली पेंटिंग और कश्मीर की पेपर माछी हस्तकला नजर आएगी।
अशोक शर्मा, जम्मू। Republic Day Parade 2020: इस बार राजपथ पर नए जम्मू-कश्मीर की झलक दिखेगी। गणतंत्र दिवस समारोह पर निकाली जाने वाली राज्य की झांकी में विकास की बात होगी तो कला संस्कृति की चमक बिखरेगी। बड़ी बात यह कि भेदभाव दंश इस बार नजर नहीं आएगा। जम्मू की प्रसिद्ध बसोहली पेंटिंग और कश्मीर की पेपर माछी हस्तकला नए अवतार में होंगी। इस बार कला क्षेत्र राज्य का प्रतिनिधितत्व कर रहा है। सरकार की योजना ‘गांव की ओर’ के तहत झांकी में ग्रामीण कलाओं और रोजगार का प्रमोशन भी किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सचिव मनीरउल-इस्लाम ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की झांकी को राज्य के प्रसिद्ध कलाकार वीर मुंशी तैयार कर रहे हैं।
वीर मुंशी इससे पहले भी कई बार जम्मू-कश्मीर की झांकी पेश करने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं और इसके लिए सम्मानित किए जा चुके हैं। कश्मीर की हस्तकला पेपर माछी और बसोहली पेंटिंग का दुनिया भर में नाम है, लेकिन समय के साथ यह कला शैलियां लुप्त होने की कगार पर हैं। इनके पूर्णजीवन के लिए सरकार प्रयासरत है। झांकी के माध्यम से दर्शाया जाएगा कि असल में मशीन के युग में होने वाले काम में और हाथ से होने वाले काम में अंतर है। पेपर माछी से जुड़े लोगों और इस हस्तकला के संरक्षण के उद्देश्य से प्रस्ताव भेजा गया है।
जम्मू-कश्मीर अपनी कला, वास्तुकला, भाषाओं-बोलियों, रीति रिवाजों, पहनावों, मेलों, त्योहारों, साहित्य, हस्तकला एवं संगीत आदि के लिए प्रसिद्ध है। इस वर्ष दिखाई जाने वाली झांकी में जम्मू-कश्मीर की मिली जुली संस्कृति के अलावा अटल सेतु और उसके आसपास का मनोरम दृश्य दर्शाया जाएगा। झांकी को अंतिम रूप दो जनवरी को दिल्ली में होने वाली बैठक में लिया जाएगा। इस वर्ष पांच उच्च स्तरीय बैठकों का आयोजन हो चुका है, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव के बाद जम्मू-कश्मीर की झांकी को सहमति मिल चुकी है।
बसोहली पेंटिंग में प्रभु की लीलाओं का चित्रण...
प्रसिद्ध बसोहली की चित्रकला भारतीय संस्कृति की धरोहर का जीवंत दस्तावेज है। बसोहली जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले का कस्बा है। चित्रकला के मामले में बसोहली को पहाड़ी लघुचित्रकला का स्कूल माना जाता रहा है। बसोहली की चित्रकला की विशेषता गहरी रेखाओं के साथ रंगों का कुशल संयोजन है। जिसमें महाकाव्यों के नायकों को प्रमुख रूप से विषय वस्तु बनाया है। बसोहली की चित्रकला शैली का विकास 17वीं शताब्दी में शुरू हुआ। बसोहली की चित्रकला रागमाला सीरीज में मिलती है। जिसमें भगवान राम की लीलाओं का चित्रण है। भगवान कृष्ण की लीलाएं भी इसमें समाहित होती गईं। वहीं, पेपर माछी कश्मीर का हस्तशिल्प है, जिसे 14 वीं शताब्दी में फारस के मुस्लिम संत मीर सैय्यद अली हमदानी द्वारा लाया गया था। यह मुख्य रूप से पेपर पल्प पर आधारित है। ये श्रीनगर और कश्मीर के अन्य हिस्सों में घरों व कार्यशालाओं में बनाए जाते हैं।
लद्दाख की झांकी को मंजूरी
मिलना मुश्किल: झांकी में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को दर्शाने का मॉडल भेजा गया था, लेकिन दिल्ली में हुई बैठकों में लद्दाख की झांकी को लेकर सहमति बनती नहीं दिखी है। अकादमी के डिप्टी सेक्रेटरी नजीर हुसैन ने बताया कि उन्होंने आवेदन भेजा है कि उन्हें प्रोजेक्ट पर कुछ काम करने का मौका मिले। अगर यह मौका
मिलता है तो वह चाहेंगे कि दुनिया के सामने लद्दाख की नई तस्वीर पहुंचे।
राज्य की झांकी में कला-संस्कृति चमक बिखरेगी, मिटेगा भेदभाव का दंश भी, जम्मू की प्रसिद्ध बसोहली पेंटिंग और कश्मीर की पेपर माछी हस्तकला नजर आएगी नए अवतार में, राज्य के प्रसिद्ध कलाकार वीर मुंशी तैयार कर रहे हैं झांकी।