अक्षय ऊर्जा ने कम की बिजली के क्षेत्र में पारंपरिक ऊर्जा की निर्भरता
रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 178 गीगावाट की वृद्धि हुई है। यह कुल वृद्धि का 70 फीसद है। देश में भी इसमें काफी प्रगति हुई है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। बिजली के क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा ने पारंपरिक ऊर्जा की निर्भरता कम की है। अक्षय ऊर्जा के लिहाज से वर्ष 2017 काफी अच्छा रहा है। सोलर पैनल लगाने में विश्व में भारत तीसरे पायदान पर रहा है। देश में वर्ष 2017 में 9.1 गीगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2016 में कुल क्षमता चार गीगावाट ही थी। इसके वर्ष 2018 में बढ़कर 18.3 गीगावाट होने की संभावना है। बिजली के क्षेत्र के साथ ही अब हीटिंग, कूलिंग व परिवहन के क्षेत्र में भी काम करने की जरूरत है।
रिन्यूएबल पॉलिसी नेटवर्क फॉर 21 सेंचुरी (आरईएन-21) की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 178 गीगावाट की वृद्धि हुई है। यह कुल वृद्धि का 70 फीसद है। देश में भी इसमें काफी प्रगति हुई है। वर्ष 2020 तक भारत सरकार सोलर पावर में 67 गीगावाट की क्षमता और बढ़ाएगी। इसके लिए सरकार टेंडर आमंत्रित करेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत व चीन सहित 22 देश ऐसे हैं जो अपनी वार्षिक बिजली की मांग का दो फीसद से अधिक सोलर पावर के जरिये पैदा करते हैं। रिपोर्ट में परिवहन के साथ ही हीटिंग व कूलिंग सेक्टर में भी अक्षय ऊर्जा का अधिक प्रयोग करने की सलाह दी गई है। ऊर्जा का 80 फीसद हिस्सा इन्हीं तीनों क्षेत्रों में खर्च होता है। अभी भी हीटिंग व कूलिंग सेक्टर में अक्षय ऊर्जा की आपूर्ति केवल 10 फीसद है। परिवहन के क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा का प्रयोग केवल तीन प्रतिशत ही होता है। 92 फीसद हिस्सा तेल से पूरा होता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। सरकार ने 2030 के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों की ही बिक्री का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2020 तक देश में 70 लाख इलेक्ट्रिक वाहन चलेंगे। 10 हजार इलेक्ट्रिक वाहन सरकारी विभाग व उससे जुड़ी एजेंसियों में संचालित होंगे। इसके लिए सरकार ने टेंडर आमंत्रित कर लिए है।