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सीबीएसई के पाठ्यक्रम से धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद जैसे अध्याय हटने से देश में गरमाई राजनीति

कोरोना संकट के बीच सीबीएसई ने नौवीं से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम को 30 फीसद तक कम करके करीब 190 विषयों के पाठ्यक्रमों को कम किया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 09:29 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 09:29 PM (IST)
सीबीएसई के पाठ्यक्रम से धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद जैसे अध्याय हटने से देश में गरमाई राजनीति
सीबीएसई के पाठ्यक्रम से धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद जैसे अध्याय हटने से देश में गरमाई राजनीति

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच सीबीएसई ने नौवीं से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम को 30 फीसद तक कम करके भले ही छात्रों को राहत देने की कोशिश की है, लेकिन इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। वैसे तो सीबीएसई ने करीब 190 विषयों के पाठ्यक्रमों को कम किया है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा सोशल स्टडीज (एसएसटी), पॉलिटिकल साइंस और बिजनेस स्टडीज जैसे विषयों से हटाए गए चैप्टरों को लेकर है। फिलहाल इन विषयों से जो अहम चैप्टर हटाए गए हैं, उनमें राष्ट्रवाद, नागरिकता, धर्मनिरपेक्षता, लोकतांत्रिक अधिकार, फूड सिक्योरिटी जैसे चैप्टर शामिल हैं।

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सोशल स्टडीज, पॉलिटिकल साइंस और बिजनेस स्टडीज जैसे विषयों में कटौती पर ज्यादा आपत्ति

गरमाई राजनीति : ममता बनर्जी, शशि थरूर, येचुरी और शरद यादव ने जताया विरोध

सीबीएसई के इस फैसले को मुद्दा बना रहे राजनीतिक दलों ने सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। सबसे पहले इस मुद्दे को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने उठाया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि 'जिन लोगों ने इन चैप्टरों को हटाने का फैसला लिया है, उनके इरादों पर शक होता है। क्या सरकार को लगता है कि ये चैप्टर आज की पीढ़ी के लिए सबसे बुरे हैं? मेरी सरकार से अपील है कि पाठ्यक्रम को तर्कसंगत बनाया जाए।'

जरूरी पाठ्यक्रमों पर रोक नहीं लगनी चाहिए: ममता बनर्जी

इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने भी ट्वीट किया और कहा 'मैं यह सुनकर हैरान हूं कि केंद्र सरकार ने नागरिकता, धर्मनिरपेक्षता जैसे विषयों को सीबीएसई के पाठ्यक्रमों में कटौती के नाम पर हटा दिया है। मैं इस फैसले का विरोध करती हूं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केंद्र सरकार ने मांग करती हूं कि ऐसे जरूरी पाठ्यक्रमों पर रोक नहीं लगनी चाहिए।'

यह भारत की विविधता में एकता की भावना के विरुद्ध है: वामदल

प्रेट्र के अनुसार पाठ्यक्रम में कटौती पर वामदलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने एक ट्वीट में कहा कि सरकार अपना एजेंडा लागू करने के लिए पाठ्यक्रम से कुछ चुनिंदा विषय हटा रही है। यह भारत की विविधता में एकता की भावना के विरुद्ध है।

पाठ्यक्रम में कटौती के नाम पर खास चैप्टर हटाना अलोकतांत्रिक कदम: शरद यादव

उधर लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव ने पाठ्यक्रम में कटौती के नाम पर कुछ खास चैप्टर हटाने को एकतरफा और अलोकतांत्रिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में कटौती पर निर्णय लेने के पहले सरकार को राजनीतिक दलों और बुद्धिजीवियों से विचार विमर्श करना चाहिए था।

सीबीएसई की सफाई- परीक्षाओं के लिहाज से चैप्टर कम किए हैं, न कि इन्हें पढ़ाई से हटाया है

इस पूरे मामले पर राजनीति गर्म होने के बाद सीबीएसई ने आगे आकर स्थिति साफ की और कहा कि पाठ्यक्रम में 30 फीसद की यह कटौती सिर्फ परीक्षाओं के नजरिए से की गई है, ना कि इसे पाठ्यक्रम से पूरी तरह हटाया गया है। सभी स्कूलों से कहा गया है कि वह परीक्षाओं के नजरिए से हटाए गए इन पाठ्यक्रमों को जब भी और जैसे समय मिले, छात्रों को पढ़ाने की कोशिश करें।

सीबीएसई सचिव ने कहा- चैप्टरों को हटाने का फैसला कमेटी ने लिया

सीबीएसई सचिव अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि चैप्टरों को हटाने का फैसला एक कमेटी ने लिया है। साथ ही जो भी चैप्टर हटाए गए हैं, वह यह देखकर हटाए गए हैं कि छात्र उसे पहले भी पढ़ चुके हैं।

किस क्लास से कौन-कौन से अहम चैप्टरों को हटाया गया

कक्षा 9: विषय-एसएसटी के इकोनामिक्स के हिस्से से फूड सिक्यूरिटी इन इंडिया- चैप्टर हटाया गया। पॉलिटिकल साइंस के हिस्से से लोकतांत्रिक अधिकार और भारतीय संविधान का ढांचा जैसे चैप्टर शामिल है।

कक्षा 10: विषय-एसएसटी से लोकतंत्र और विविधता, जाति-धर्म और जेंडर के साथ लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे चैप्टर हटाए गए हैं।

कक्षा 11: पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम से संघवाद, निरपेक्षवाद, नागरिकता और राष्ट्रवाद जैसे चैप्टर पूरी तरह से हटाए गए हैं, लोकल गर्वनमेंट चैप्टर से सिर्फ दो यूनिट हटाई गई हैं। जबकि बिजनेस स्टडीज विषय से जीएसटी।

कक्षा 12: पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम से सिक्यूरिटी इन कनटेंपररी व‌र्ल्ड, इनवायरोनमेंट एंड नेचुरल रिसोर्स, सोशल एंड न्यू सोशल मूवमेंट इन इंडिया, रीजनल एसपिरेशंस जैसे चैप्टर शामिल हैं। प्लांट डेवलपमेंट चैप्टर से भी प्लानिंग कमीशन और पंचवर्षीय योजना जैसे हिस्से को हटाया गया है। भारत के विदेशी देशों के साथ रिश्तों वाले चैप्टर से भारत के पड़ोसी देशों के रिश्तों वाले हिस्से को हटाया गया है। जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के बारे में बढ़ाया जाता है। बिजनेस स्टडीज विषय से नोटबंदी चैप्टर व इतिहास से उपनिवेशवाद जैसे चैप्टर को भी हटाया है।


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