कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को एचआइवी रोधक दो दवाइयां देने की सिफारिश
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के जानलेवा संक्रमण से बचने के लिए एचआइवी रोधक दवाइयों का मिश्रण लेने की सिफारिश की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के जानलेवा संक्रमण से बचने के लिए एचआइवी रोधक दवाइयों का मिश्रण लेने की सिफारिश की है। मंत्रालय का कहना है कि एआइवी-रोधक दवा लिपोनाविर और रिटोनाविर दवाओं का डोज कोरोना से पीडि़त मरीज की हालत के हिसाब से तय किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिकित्सकों के लिए जारी की गाइडलाइंस
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मंगलवार को जारी संशोधित गाइडलाइंस के अनुसार 'क्लीनिकल मैनेजमेंट ऑफ कोविड-19' के तहत कोरोना वायरस से संक्रमित जिन मरीजों पर अधिक खतरा हो, उन्हें एड्स के इलाज में दी जाने वाली दवाएं दी जा सकती हैं। जिन मरीजों पर कोरोना का खतरा जानलेवा हो सकता है, वह हैं- साठ साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग, या जिन लोगों को डायबिटीज, जिनका गुर्दा खराब हो, जिन्हें फेफड़े की गंभीर बीमारी हो। इन सभी स्थितियों में मरीज की प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर पड़ जाती है, लिहाजा कोरोना वायरस का उन पर सबसे अधिक बुरा असर होता है।
एआइवी-रोधक दवा लिपोनाविर और रिटोनाविर हैं फिलहाल का उपचार
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार विशेषज्ञों की एक कमेटी जिसमें एम्स के डॉक्टर और नेशनल सेंटर फार डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। इस कमेटी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की उपचार की गाइडलाइंस का भी समावेश करने की बात कही है। फिलहाल कोविड-19 के पुष्ट मरीजों के सटीक उपचार का नियंत्रित और निर्धारित तरीका नहीं है। इसीलिए सांस लेने में तकलीफ से जूझ रहे इन मरीजों के लिए किसी खास एंटी-वायरल दवा की भी सिफारिश नहीं की गई है। इसीलिए एचआइवी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं लिपोनाविर और रिटोनाविर के अलग-अलग कांबिनेशन का चार हफ्ते तक उपयोग फायदेमंद माना गया है। हालांकि आगे चल कर इस इलाज का कोई बुरा प्रभाव स्पष्ट होने पर इस इलाज को बंद भी किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी के मुताबिक जानकार डॉक्टर की देखरेख में लिपोनाविर और रिटोनाविर दवाएं कोरोना के गंभीर मरीजों को अलग-अलग स्वास्थ्य स्थिति के हिसाब से दिया जा सकता है। यह तय मानक और जरूरत के हिसाब से सहायक उपचारों के साथ मुमकिन है। बताया जाता है कि इन दोनों दवाओं का काम्बिनेशन पहली बार जयपुर के एसएमएस अस्पताल में कोरोना से संक्रमित मरीज को दिया गया था। इस बीच, राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि भारत कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज में रेट्रोवायरल दवाओं का इस्तेमाल कर रहा है। वैज्ञानिक पड़ताल के बाद इस संबंध में मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि हाल में रिपोर्ट आई है कि क्लोरोक्वाइन दवा भी इसके इलाज में प्रभावी हो सकती है।
घाव सड़ने के लक्षण भी कोरोना संक्रमण के
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अगर कोरोना वायरस की संदिग्ध की जल्द पहचान हो जाती है तो समय रहते हुए मरीज के संक्रमण के बचाव और नियंत्रण का रास्ता आसान हो जाता है। नेशनल प्रोटोकाल के तहत मरीज को आइसीयू में उचित देखभाल और सुरक्षित रखने की जरूरत होती है। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जो भी मरीज ठीक होकर घर जा रहे हैं, उन्हें दोबारा वैसे लक्षण उत्पन्न होने पर अस्पताल में वापस जाकर इलाज कराना होगा। श्वासनली में अत्यधिक संक्रमण की सूरत में मरीज को डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाना चाहिए। घाव सड़ने के लक्षण भी कोरोना संक्रमण के हैं। गाइडलाइंस में डॉक्टरों को कहा गया है कि मरीजों और उनके परिवारों को पूरी सक्रियता से स्थिति से अवगत कराएं।