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अमन की उम्मीदों को तगड़ा झटका

पाक सेना ने भारत और पाकिस्तान के बीच अमन की बढ़ती उम्मीदों पर एक बार फिर कुठाराघात कर दिया है। इसे उकसावे की कार्रवाई कहिए या कश्मीर मुद्दे को उछालने की सोची-समझी रणनीति। पाक सेना ने बीते तीन दिन में दो साल से जारी संबंध सुधार की कोशिश को फिर तनाव के मोड़ पर ला खड़ा किया है। यही नह

By Edited By: Published: Wed, 09 Jan 2013 09:01 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2013 10:01 AM (IST)
अमन की उम्मीदों को तगड़ा झटका

प्रणय उपाध्याय, नई दिल्ली। पाक सेना ने भारत और पाकिस्तान के बीच अमन की बढ़ती उम्मीदों पर एक बार फिर कुठाराघात कर दिया है। इसे उकसावे की कार्रवाई कहिए या कश्मीर मुद्दे को उछालने की सोची-समझी रणनीति।

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पाक सेना ने बीते तीन दिन में दो साल से जारी संबंध सुधार की कोशिश को फिर तनाव के मोड़ पर ला खड़ा किया है। यही नहीं मंगलवार की घटना को अंजाम दे पाकिस्तान ने तालिबानियों, जेहादियों और सभ्य सेना के बीच की लकीर को भी धुंधला दिया है। बीते एक महीने में पाकिस्तान ने जहां भारत के साथ कारोबारी संबंध सुधारने के लिए मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देने के अपने वादे से कदम पीछे खींचे। वहीं दोस्ती की क्रिकेट श्रृखंला के साथ-साथ सीमा को सुलगाने की इस नापाक हरकत ने दोस्ती के नारों और रियायती वीजा व्यवस्था जैसी कोशिशों पर भी पानी फेर दिया है।

पिछले तीन दिन में पाक ने पहले तो नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी शुरू कर भारत के माथे तोहमत मढ़ी। वहीं, मंगलवार को भारत की हद में घुसकर न केवल उकसाने की कोशिश की, बल्कि कारगिल युद्ध के दौरान दिखाई अपनी बर्बरता का नमूना एक बार फिर पेश किया। कारगिल के दौरान भारतीय सेना के कैप्टन सौरभ कालिया को कई दिन कब्जे में रखने के बाद पाक सेना ने क्षत-विक्षत हालत में शहीद का शव लौटाया था। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल आरके साहनी कहते हैं कि पाकिस्तानी सेना जेहादियों के साथ कंधे से कंधा मिलाने में सभ्यता के सबक भी भूल गई है। पाक सेना ने बर्बर अपराधियों जैसी हरकत की है।

सैनिक संघर्ष को लेकर जिनेवा समझौते जैसी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के खिलाफ हुई इस घटना पर साहनी कहते हैं कि यह कश्मीर मुद्दे को एक बार फिर मंच पर लाने की कोशिश है। ताजा घटनाओं ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुधारने और कारोबारी संबंधों के पुल बनाने की कोशिशों को भी करारा झटका दिया है। मुंबई आतंकी हमले के गुनहगारों पर अब तक न हो सकी कार्रवाई के चलते जहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पाकिस्तान दौरे की जमीन तैयार नहीं हो पा रही है। वहीं, भारत में दोनों देशों की मैत्री क्रिकेट श्रृंखला साथ ही सीमा पर टकराव सुलगाने की घटनाओं ने कूटनीतिक कोशिशों को भी झटका दिया है। पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर भी आशंका के साथ कहते हैं, यह कहना मुश्किल है कि नियंत्रण रेखा पर आमने-सामने खड़ी फौजों के बीच ताजा टकराव की घटनाएं कितनी आगे जाएंगी। हैदर कहते हैं कि दोनों देश सैन्य और राजनयिक स्तर पर मौजूद व्यवस्थाओं के जरिए इस टकराव को सुलझाएं।

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