नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। पीएम मोदी ने शुक्रवार को यूजीसी कॉन्क्लेव में देश की नई शिक्षा नीति को भविष्य की मजबूत नींव रखने वाली नीति बताया है। इस दौरान उन्होंने नई शिक्षा नीति में शामिल किए गए 5+3+3+4 स्ट्रक्चर पर पीएम मोदी ने कहा कि इस नीति का लक्ष्य अपनी जड़ों से जोड़ते हुए भारतीय छात्र को ग्लोबल सिटीजन बनाना है। इसमें कोई विवाद नहीं है कि स्कूल में पढ़ाई की भाषा वही होनी चाहिए जो छात्रों की मातृभाषा हो। ऐसा करने से बच्चों के साीखने की गति तेज होगी। पांचवीं क्लास तक उनकी भाषा में ही पढ़ाने की जरूरत है। इससे उनकी नींव मजबूत होगी। इससे आगे की पढ़ाई का भी उनका बेस मजबूत होगा।
आपको बता दें कि नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। अब ये 5+ 3+ 3+ 4 पैटर्न के हिसाब से होगा। इसका मतलब है कि प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12 तक आखिरी हिस्सा होगा। इसको ऐसे समझा जा सकता है। पहले तीन साल बच्चे आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे। फिर अगले दो साल कक्षा एक एवं दो में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे। इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा। मोटे तौर पर एक्टिविटी आधारित शिक्षण पर ध्यान रहेगा। इसमें तीन से आठ साल तक की आयु के बच्चे कवर होंगे। इस प्रकार पढ़ाई के पहले पांच साल का चरण पूरा होगा।
उन्होंने कहा कि अब तक की शिक्षा वाट टू थिंक पर फोकस रही थी लेकिन अब की शिक्षा नीति में हाऊ टू थिंक पर बल दिया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज के दौर में इंफोरमेशन और कंटेट की कोई कमी नहीं है। सभी जानकारी मोबाइल पर है। जानना केवल ये है कि हम क्या हासिल करें। इसको देखते हुए ही एनईपी में बदलाव किया गया है। ढेर सारी किताबों की अनिवार्यता को कम करना ही इसका मकसद है। जरूरत है कि इंक्वायरी बेस और एनालिसिज बेस तरीकों पर जोर दिया जाए। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी और उनका इसके प्रति योगदान भी बढ़ेगा। हर छात्र को ये सुविधा होनी चाहिए कि वो अपने पैशन के साथ आगे बढ़ सके। उसका मन करे तो वो उसको छोड़ भी सके।
पीएम मोदी ने इस कॉन्क्लेव में कहा कि नई शिक्षा नीति में शामिल मल्टीपल एक्जिट ऑप्शन से छात्र ज्यादा बेहतर तरीके से पढ़ सकता है। इसमें यदि वो बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में जाना चाहे तो ऐसा कर सकता है। इसमें वो ब्रेक लेकर दूसरे कोर्स में जा सकता है। ऐसे में कोई व्यक्ति या छात्र जीवन भर एक ही प्रोफेशन में नहीं रहेगा। वो खुद को अपग्रेड कर सकेगा। इस सोच के साथ ही हम आगे आए हैं। एनईपी में इसका बारीकी से ध्यान रखा गया है। किसी भी देश के विकास में एक बड़ी भूमिका समाज के हर तबके की गरिमा को बनाए रखने की होती है। कोई भी व्यक्ति छोटा काम करने से निम्न नहीं हो सकता है। हमें ये सोचना होगा कि इस तरह की सोच कहां से हमारे अंदर आई। हमें इसको बाहर निकालना होगा। इस तरह की सोच की बड़ी वजह हमारे एजूकेशन सिस्टम का समाज से कटना रहा है। गांव में जाकर मजदूरों को देखकर ही इस बात की समझ आती है कि वो कितना बड़ा काम करते हैं। उनका सम्मान करना होगा। इस शिक्षा नीति में डिगनीटी ऑफ लेबर पर ध्यान दिया गया है।
पीएम ने इस शिक्षा नीति को 21वीं सदी के लिए जरूरी बताया और कहा कि 21वीं के भारत से पूरी दुनिया को काफी अपेक्षाएं हैं। हमारी इस जिम्मेदारी को ये शिक्षा नीति पूरा करती है। इसमें जो कुछ कहा गया है उससे भविष्य के प्रति एक सोच विकसित करने की भावना है। तकनीक ने हमें तेजी से और कम खर्च में समाज के अंतिम छोर पर खड़े छात्र को समझने और उस तक पहुंचने की शक्ति दी है। हमें कोडिंग, तकनीक और सिसर्च पर ज्यादा जोर देना होगा, जो हमारे समाज की सोच को बदल सकता है। वर्चुअल एप भी सोच को बदलने में कारगर साबित होने वाला है। ये नीति हमारे देश में रिसर्च के गैप को भी कम करने में अहम भूमिका निभाएगी। जब इंस्टिटयूट में ये सब सही तरह से लागू होगा तभी शिक्षा नीति को भी तेजी से लागू किया जा सकेगा। हायर एजूकेशन के संस्थानों को को एमपावर करना होगा।
ऑटोनॉमी को लेकर दो तरह की सोच हमारे देश में है। एक कहती है कि सभी को सरकारी नियंत्रण से चलना चाहिए। दूसरी सोच कहती है कि उन्हें कुछ छूट मिलनी चाहिए। गुड क्वालिटी एजूकेशन का रास्ता इन दोनों के बीच में से ही निकलता है। जो इस दिशा में काम करे उनको ज्यादा प्रोत्साहन मिलना चाहिए। सरकार ने इस शिक्षा नीति से पहले हाल के वर्षों में अनेक संस्थानों को ऑटोनॉमी देने की पहल की है। जैसे-जैसे इसका जैसे विस्तार होगा इसकी प्रक्रिया भी तेज होगी।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) में शिक्षकों के सम्मान का भी ध्यान रखा गया है। भारत का टेलेंट भारत में ही रहे और आने वाली पीढ़ी का विकास करे, इसका भी ध्यान इसमें रखा गया है। इस नीति पर लगातार विचार विमर्श जरूरी है। पीएम मोदी ने कहा कि ये केवल एक सर्कुलर नहीं है। इसको लागू करने के लिए मन बनाना होगा। आपको मजबूत इच्छा शक्ति दिखानी होगी । भारत के भविष्य को बनाने के लिए ये एक महायज्ञ है। 21 वीं सदी का ये सबसे बड़ा अवसर है। इससे पूरी शताब्दी को एक नई दिशा मिलने वाली है। इसमें हर किसी का योगदान जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि इसमें बेहतर सुझाव सामने आएंगे। ये काम बेहद बड़ा था।
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