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रूस की कोरोना वैक्‍सीन स्‍पुतनिक-वी के बारे में जानें- कुछ खास बातें, कई देशों ने जताया भरोसा

रूस की कोरोना वैक्‍सीन स्‍पुतनिक वी की देश के अस्‍पतालों में जल्‍द ही शुरुआत हो जाएगी। इससे भारत के वैक्‍सीनेशन में भी काफी मदद मिलेगी। साथ ही ये दोनों देशों के मजबूत संबंधों को भी आगे बढ़ाएगा ।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 01:58 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 01:58 PM (IST)
रूस की कोरोना वैक्‍सीन स्‍पुतनिक-वी के बारे में जानें- कुछ खास बातें, कई देशों ने जताया भरोसा
दुनिया की पहली कोरोना वैक्‍सीन है स्‍पुतनिक

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। भारत में अब कोवैक्‍सीन और कोविशील्‍ड के अलावा रूस की विकसित की गई स्‍पुतनिक वी वैक्‍सीन भी जल्‍द ही लोगों के लिए अस्‍पताल में उपलब्‍ध हो जाएगी। फिलहाल इसकी शुरुआत दिल्‍ली के दो अस्‍पताल फोर्टिस और अपोलो में हो रही है। स्‍पुतनिक कोरोना वायरस की दुनिया में आने वाली पहली वैक्‍सीन है। दुनिया के करीब 57 देशों ने स्‍पुतनिक वी को अपने यहां पर मंजूरी दी है। इसका सीधा सा अर्थ है कि दुनिया के कई देशों ने इस पर अपना भरोसा जताया है। वहीं भारत जैसे देशों में ये कई लिहाज से बेहतर है।

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भारत समेत रिपब्लिक ऑफ कोरिया, सर्बिया, कजाखिस्‍तान, इटली, मिस्र, चीन, ब्राजील और अर्जेंटीना में भी इसके उत्‍पादन को इजाजत दे दी गई है। इसके अलावा अर्जेंटीना, मिस्र, भारत, सर्बिया और कजाखिस्‍तान ने रूस को इसकी आपूर्ति के लिए ऑर्डर भी दिया है। इनके अलावा भी 19 देश ऐसे हैं जिन्‍होंने स्‍पुतनिक वी के लिए रूस को ऑर्डर दिया है। चीन, इटली केवल दो ही देश ऐसे हैं जहां पर इनका केवल उत्‍पादन किया जाएगा और फिर यहां से इनको अन्‍य जगहों पर सप्‍लाई किया जाएगा।

इटली में जहां वैक्‍सीन की एक करोड़ खुराक का उत्‍पादन किया जाएगा वहीं चीन में 26 करोड़ वैक्‍सीन की खुराक का उत्‍पादन किया जाना है। भारत की बात करें तो उसने करीब इतनी ही खुराक का ऑर्डर रूस को दिया है लेकिन भारत में इससे करीब चार गुना अधिक वैक्‍सीन की खुराक का उत्‍पादन किया जाएगा। भारत समेत 23 देशों ने रूस से इस वैक्‍सीन की आपूर्ति के लिए ऑर्डर किया है।

11 अगस्‍त 2020 को पहली बार रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने स्‍पुतनिक -वी को देश के हेल्‍थ रेगुलेटर से पास होने की जानकारी दुनिया को दी थी। ये दुनिया की पहली वैक्‍सीन थी जिसको इस तरह से इजाजत दी गई थी। शुरुआत में इसके ट्रायल को लेकर काफी सवाल खड़े हुए थे, लेकिन रूस ने सभी बातों को दरकिनार करते हुए अपनी इस वैक्‍सीन को पूरी तरह से सुरक्षित करार दिया था।

फरवरी 2021 में इसके तीसरे चरण के शुरुआती परिणामों में इसको 91 फीसद से अधिक कारगर बताया गया था। लेंसेट में भी इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया गया था। इस वैक्‍सीन को इबोला और मर्स पर काम करने वाली गमालिया नेशनल रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने विकसित किया है। अन्‍य कोरोना वेक्‍सीन के मुकाबले ये सस्‍ती भी है और यही वजह है कि कई देशों के बजट में भी ये फिट आ रही है।

ऑक्‍सफॉर्ड और एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन के मुकाबले इसका रखरखाव भी काफी आसान है। इसको आसानी से घर में इस्‍तेमाल किए जाने वाले फ्रिज में रखा जा सकता है, जबकि ऑक्‍सफॉर्ड और एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन को खास तरह के फ्रिज में बेहद कम तापमान में रखना होता है। फ्रिज से बाहर निकालने पर ये केवल दस सेकेंड तक ही सही रह सकती है, अन्‍यथा ये खराब हो सकती है।

स्‍पुतनिक वी की तरफ जाने की एक बड़ी वजह इसकी आपूर्ति भी थी। कई वैक्‍सीन जहां पर दुनिया के कई देशों को इसकी आपूर्ति करने में असमर्थता जाहिर कर रही थी वहीं स्‍पुतनिक इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी। ब्‍लड क्‍लॉटिंग की वजह से ऑक्‍सफॉर्ड और एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन को कुछ देशों ने इस्‍तेमाल करने से इनकार कर दिया था।


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