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पश्चिम बंगाल के चुनाव में औवेसी किसके लिए हो सकते हैं फायदे का सौदा और किसको पहुंचा सकते हैं नुकसान, जानें

पश्चिम बंगाल के चुनाव में असदुद्दीन औवेसी का फेक्‍टर बड़ा अहम है। बिहार में सीटें मिलने से उत्‍साहित औवेसी अब यहां पर हाथ आजमा रहे हैं। उनके इस चुनाव में उतरने का नुकसान सबसे अधिक टीएमसी को उठाना होगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 08:08 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 10:39 AM (IST)
पश्चिम बंगाल के चुनाव में औवेसी किसके लिए हो सकते हैं फायदे का सौदा और किसको पहुंचा सकते हैं नुकसान, जानें
बिहार में सीटें मिलने से उत्‍साहित औवेसी पश्चिम बंगाल में हाथ आजमा रहे हैं।

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। पश्चिम बंगाल के चुनाव पर भाजपा समेत सत्‍तारूढ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की पैनी निगाह लगी है। दोनों ही इस चुनाव में न सिर्फ बेहतर करना चाहते हैं बल्कि एक दूसरे को करारी शिकस्‍त भी देना चाहते हैं। ममता बनर्जी लगातार दो बार से यहां पर अपनी धमाकेदार जीत दर्ज कर सत्‍ता पर काबिज होती रही हैं। इसलिए उनके लिए इस बार ये नाक का सवाल बन चुका है कि इसमें कोई कमी नहीं आनी चाहिए। वहीं भाजपा काफी समय से पश्चिम बंगाल में अपनी राह तलाश कर रही है। सही मायने में भाजपा के पास खोने और पाने जैसा बहुत कुछ नहीं लगता है लेकिन वो न सिर्फ बेहतर पदर्शन करना चाहती है बल्कि टीएमसी को सत्‍ता से हटाना भी चाहती है। ऐसी सूरत में यहां पर चार बड़ी पार्टियां जिनमें टीएमसी, भाजपा, वाम दल, और कांग्रेस शामिल है, के बावजूद मुकाबला केवल भाजपा और टीएमसी में ही है। लेकिन जानकारों की राय में एक और पार्टी है जो इस चुनाव में धमाकेदार एंट्री का एलान कर चुकी है। वो है असदुद्दीन औवेसी की एआईएमआईएम।

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औवेसी बिहार में मिली सीटों के दम पर अब पश्चिम बंगाल में अपनी मौजूदगी दर्ज करना चाहते हैं। ऐसे में यहां पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है। राजनीतिक विश्‍लेषक प्रदीप सिंह और शिवाजी सरकार का मानना है कि बिहार से लगती सीमा के निकट जो विधानसभा क्षेत्र हैं वहां पर औवेसी का असर देखा जा सकता है। खासकर फुरफुरा और इसके आसपास के क्षेत्रों में मुस्लिम लोगों को लगता है कि औवेसी उनके नेता हैं। उनके पास खोने और पाने जैसा भी कुछ नहीं है। प्रदीप सिंह का कहना है कि पहले पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्‍या में इनके वोटों पर टीएमसी का कब्‍जा हुआ करता था। लेकिन इस बार इसमें सेंध लगाने में औवेसी सफल हो सकते हैं।

शिवाजी की राय में औवेसी के इस चुनाव में आने का फायदा सीधेतौर पर भाजपा को मिलेगा। इसकी वजह वो मानते हैं कि भाजपा को राज्‍य में पहले भी मुस्लिम वोट कम या न के ही बराबर मिलते थे और अब भी भाजपा इसको लेकर ज्‍यादा गंभीर दिखाई नहीं देती है। लेकिन औवेसी के आने के बाद वोटों का जो बंटवारा देखने को मिलेगा उसमें टीएमसी को सबसे बड़ा नुकसान होगा। औवेसी इस चुनाव में टीएमसी के वोट काटेंगे, जिसका फायदा भाजपा को होगा।

प्रदीप सिंह की राय में भाजपा ने यहां पर राज्‍य सरकार की तुष्‍टीकरण की नीति के खिलाफ आवाज बुलंद की है। इसलिए पार्टी की निगाह हिंदू वोट बैंक पर है। भाजपा के लिए औवेसी कोई मायने नहीं रखते हैं। वो वहीं तक सीमित हैं जहां पर मुस्लिम बहुल इलाके हैं। ऐसे में भाजपा औवेसी की तरफ ध्‍यान भी नहीं दे रही है और न ही उनके खिलाफ किसी तरह की बयानबाजी ही करती है। यहां पर सीधी लड़ाई भाजपा और टीएमसी के बीच है। इसलिए औवेसी यहां पर वोटकटवा से अधिक कुछ नहीं हैं। भाजपा के लिए वो फायदे का सौदा होंगे।

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