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26/11 Mumbai Terror Attack : दस आतंकी, 174 लोगों की मौत और तीन दिन चला ऑपरेशन, जानें 26/11 की पूरी कहानी

26/11 Mumbai Terror Attack 26/11 में मुंबई पर हुए हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इस हमले में 174 लोगों की मौत हुई थी जबकि 300 से अधिक लोग घायल हुए थे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 06:26 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 07:51 AM (IST)
26/11 Mumbai Terror Attack : दस आतंकी, 174 लोगों की मौत और तीन दिन चला ऑपरेशन, जानें 26/11 की पूरी कहानी
26/11 Mumbai Terror Attack : दस आतंकी, 174 लोगों की मौत और तीन दिन चला ऑपरेशन, जानें 26/11 की पूरी कहानी

नई दिल्‍ली जागरण स्‍पेशल। 26 नवंबर 2008 में शाम तक सभी कुछ सामान्‍य था, लेकिन जैसे-जैसे अंधेरे ने मुंबई को अपने आगोश में लिया वैसे-वैसे मुंबई की सड़कों पर चीख-पुकार तेज होती चली गई। जैश ए मोहम्‍मद के दस आतंकी समुद्र के रास्‍ते मुंबई में दाखिल हो चुके थे। तट पर उतरने के बाद उनके सामने जो आया उसको उन्‍होंने अपनी गोली का निशाना बना दिया। पूरी तरह से हथियारों से लैस ये आतंकी रात होते होते मुंबई में दहशत का पयार्य बन चुके थे।  

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इसकी शुरुआत तीन दिन पहले हुई थी। दरअसल 23 नवंंबर को ये आतंकी कराची से एक बोट से रवाना हुए थे। समुद्र में उन्‍होंने एक भारतीय नाव पर कब्‍जा कर उसके चार साथियों को मार दिया। मुंबई तट के करीब पहुंचने पर उन्‍होंने बोट पर मौजूद आखिरी भारतीय को भी मार दिया था। मुंबई पहुंचकर ये आतंकी छह अलग-अलग टुकड़ों में बंट गए। इनका मकसद था ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को मारना। इस लिहाज से इन्‍होंने रात करीब 9.21 बजे छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में मौजूद लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले को अजमल कसाब और स्‍माइल खान नाम के आतंकी ने अंजाम दिया था। यहां पर पहली बार कसाब की इमेज सीसीटीवी में कैद हुई थी। इस फुटेज में उसके हाथों में एके 47 नजर आ रही थी और वो लगातार लोगों को निशाना बना रहा था।  

इस हमले के दस मिनट बाद ही आतंकियों के दूसरे ग्रुप ने नरीमन हाउस बिजनेस एंड रेसीडेंशियल कॉम्प्लेक्स पर हमला कर दिया। यहां पर उन्‍होंने लोगों को बेहद करीब से गोली मारी थी। इस छाबड़ हाउस में एक आया ने एक बच्‍चे को बचा लिया था, जिसको बाद में उसके दादा दादी के पास इजरायल भेज दिया गया था। आतंकियों ने यहां की लिफ्ट को बम से उड़ा दिया था। इसके अलावा कई जगहों पर बम धमाके किए थे।  

एक आतंकी ने इसके नजदीक स्थित एक गैस स्‍टेशन को बम से उड़ा दिया। जब लोग इस धमाके की आवाज सुनकर बाहर आए तो उन्‍हें इन आतंकियों ने अपनी गोली का निशाना बना दिया। किसी को यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये क्‍या हो रहा है। धीरे-धीरे यह खबर हर तरफ वायरल होने लगी। लोग अपनों की खबर ले रहे थे और हमले की जानकारी देते नजर आ रहे थे। अब तक पुलिस भी सड़कों पर सुरक्षा के लिए हथियारों के साथ निकल चुकी थी। 

आतंकियों के एक ग्रुप ने विदेशियों के लिए चर्चित कॉफी हाउस को अपना निशाना बनाया। यहां पर हुई  अंधाधुंध फायरिंग में करीब दस लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। यहां से निकलने के बाद इन आतंकियों ने टैक्‍सी में बम धमाका किया जिसमें पांच लोगों की मौत हुई थी। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमले को अंजाम देने के बाद कसाब के ग्रुप ने कामा अस्‍पताल का रुख किया। यहां के गेट पर ही मुंबई पुलिस के कई जांबाज पुलिस  अधिकारियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। यहां से निकलकर उन्‍होंने पुलिस की वैन को हथिया लिया और सड़क किनारे मौजूद लोगों पर फायरिंग की। इसी गाड़ी को पुलिस के कुछ जांबाजों ने रोक लिया था और इनमें मौजूद थे एएसआई तुकाराम ओंबले। उन्‍होंने ही कसाब को अपनी पकड़ में इस तरह से जकड़ा की सीने में कई गोलियां लगने के बाद भी वह उनकी पकड़ नहीं छुडा सका था। इसके बाद उसको जिंदा गिरफ्तार कर लिया गया था। यहांं के बाद आतंकियों के निशाने पर था ताज और ऑबरॉय होटल। रात के करीब 12 बजे थे और पुलिस की गाडि़यां तेजी से नरीमन हाउस और ताज की तरफ बढ़ी चली जा रही थी। 

इस बीच ताज होटल में आतंकियों ने जबरदस्‍त तबाही मचाई। सीसीटीवी फुटेज में इस बात का पता चलता है कि इनके सामने जो आया वह उन्‍हें मौत देकर आगे बढ़ गए। ताज में कई बम धमाकों की भी आवाजें सुनाई दीं। सुबह होने तक केंद्र ने यह मामला स्‍पेशल कमांडो फोर्स मारकोस को सौंप दिया था। लेकिन दोपहर होने तक यह मामला ब्‍लैक कैट कमांडो को दे दिया गया। धीरे-धीरे कमांडो इन नरीमन हाउस, ताज और ऑबराय की तरफ बढ़ चुके थे। कमांडो की मौजूदगी में दोनों होटलों से कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। 

अगले दिन 28 नवंबर की सुबह कमांडो को एमआई 6 हेलीकॉप्‍टर के जरिए नरीमन हाउस की छत पर उतारा गया। इसके आस-पास की इमारतों पर पहले से ही कमांडो मौजूद थे। आतंकियों और कमांडोज के बीच लगातार गोलियां चल रही थीं। कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका था। धीरे-धीरे कमांडो न सिर्फ इस इमारत में घुसने में कामयाब रहे बल्कि आतंकियों को मारकर नरीमन को सुरक्षित भी घोषित कर दिया था। इसी तरह से  रात ढाई बजे तक होटल ओबरॉय से भी आतंकियों का सफाया किया जा चुका था।

अब इन कमांडोज का अंतिम पड़ाव ताज होटल में मौजूद आतंकियों का सफाया कर उसको सुरक्षित घोषित करना था। यह मुंबई की शान था, जिसको आतंकी काफी हद तक बर्बाद कर चुके थे। कमांडोज धीरे-धीरे इसको भी सुरक्षित घोषित कर रहे थे। इस बीच यहां मौजूद सभी आतंकियों को मार गिराया गया। इस पूरे हमले के दौरान जिस आतंकी को जिंदा पकड़ा गया उसका नाम अजमल कसाब था। कसाब को संजय गोविलकर ने पकड़ा था, जिन्‍हें बाद में राष्‍ट्रपति के पुलिस पदक से भी नवाजा गया था। 21 नवंबर, 2012 को पुणे की यरवदा जेल में कसाब को फांसी दे दी गई थी। 26/11 के इस हमले में 174 लोगों की मौत हुई थी और करीब 300 से ज्‍यादा घायल हुए थे।  

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