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कर्ज के महंगा होने के आसार, मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा आरबीआइ

बाजार में इस बात को लेकर कयासों का दौर गर्म है कि मौद्रिक नीति तय करने के लिए गठित समिति (एमपीसी) ब्याज दरों पर क्या फैसला करती है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 09:26 PM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 07:48 AM (IST)
कर्ज के महंगा होने के आसार, मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा आरबीआइ
कर्ज के महंगा होने के आसार, मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा आरबीआइ

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार से लेकर उद्योग जगत तक और छोटे कारोबारी से लेकर आम जनता तक, सभी की नजर बुधवार को आरबीआइ गवर्नर की तरफ से घोषित की जाने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा पर है। बाजार में इस बात को लेकर कयासों का दौर गर्म है कि मौद्रिक नीति तय करने के लिए गठित समिति (एमपीसी) ब्याज दरों पर क्या फैसला करती है।

जहां तक विशेषज्ञों का सवाल है तो वह इस पर विभाजित नजर आते हैं। कई जानकार मानते हैं कि महंगाई के तेवर को देखते हुए रेपो रेट में 25 आधार अंकों (0.25 फीसद) की बढ़ोतरी हो सकती है जबकि कुछ विशेषज्ञ यह मानते हैं कि आर्थिक विकास दर को बनाये रखने के लिए हो सकता है कि ब्याज दरों को फिलहाल मौजूदा स्तर पर ही बनाये रखने पर सहमति बन जाए।

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एमपीसी सोमवार से ही मौद्रिक नीति पर बहस कर रही है। एमपीसी अध्यक्ष आरबीआइ के गवर्नर उर्जित पटेल हैं जो बुधवार को फैसले का ऐलान करेंगे। कोटक इक्विटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री सुवोदीप रक्षित के मुताबिक महंगाई के तेवर को देखते हुए रेपो रेट में 25 आधार अंकों की वृद्धि संभव है।

महंगाई की दर लगातार चार फीसद से उपर या पांच फीसद के करीब बनी हुई है। मध्यवर्ती उत्पादों की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है जिसका असर आने वाले दिनों में तैयार उत्पादों की कीमतों पर दिखाई दे सकता है। इसके साथ ही भारतीय रुपये को लेकर चिंता भी लगातार बनी हुई है। इसके अलावा एक अन्य कारण एमएसपी में वृद्धि का फैसला भी है जो आगे चल कर महंगाई को और हवा दे सकती है।

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख अर्थशास्त्री धनंजय सिन्हा भी मानते हैं कि रेपो रेट (वह दर जिस पर वाणिज्यिक बैंक अल्पावधि जरूरतों के लिए आरबीआइ से कर्ज लेते हैं) में 0.25 फीसद की वृद्धि होगी। यह दर अभी 6.25 फीसद है जो बढ़ कर 6.5 फीसद हो सकती है। उनका यह भी मानना है कि वित्त वर्ष के शेष महीनों में रेपो रेट में 50 आधार अंकों की वृद्धि संभव है।

एक तरह से बुधवार को मौद्रिक नीति से यह साफ हो जाएगा कि ब्याज दरों को लेकर आरबीआइ अब तटस्थ की भूमिका में नहीं रहेगा बल्कि महंगाई को थामने के लिए वह ज्यादा आक्रामक रुख अपनाएगा। सनद रहे कि जून, 2018 में आरबीआइ ने चार वर्षो के बाद रेपो रेट को बढ़ाया था और इस बात के संकेत दिए थे कि महंगाई को लेकर हालात आने वाले दिनों में चुनौतीपूर्ण रहेंगे।

हालांकि एचडीएफसी के अर्थशास्त्री अभीक बरूआ का कहना है कि एमपीसी अभी इंतजार करने के मूड में होगा और ब्याज दरों के मौजूदा स्तर को ही बनाये रखा जाएगा। उनका मानना है कि हाल के दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आने और रुपये में स्थिरता के मद्देनजर भी यह उम्मीद है कि आरबीआइ ब्याज दरों को लेकर तेजी से कोई फैसला नहीं करेगा।


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