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पुराने नोटों पर आरबीआइ ने साधी चुप्पी, छिपा रही है ये सूचना

आरबीआइ ने बुधवार को बताया है कि 08 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू होने के बाद से 19 दिसंबर, 2016 तक 5,92,613 करोड़ रुपये के नए नोट बैंक शाखाओं या एटीएम के जरिए वितरित किये गये।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 21 Dec 2016 08:40 PM (IST)Updated: Wed, 21 Dec 2016 10:44 PM (IST)
पुराने नोटों पर आरबीआइ ने साधी चुप्पी, छिपा रही है ये सूचना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । नोटबंदी के बाद प्रचलन से बाहर किये गये 500 रुपये व 1000 रुपये के कितने पुराने नोट वापस बैंकिंग व्यवस्था में आये हैं, अब रिजर्व बैंक इसकी सूचना छिपाने लगा है। बुधवार को आरबीआइ ने यह सूचना तो जरुर दी कि उसने नोटबंदी लागू होने के बाद कितने नए नोट जारी किये हैं लेकिन कितने नोट वापस हुए हैं यह जानकारी नहीं दी गई है। जबकि पिछले हफ्ते तक केंद्रीय बैंक इसकी जानकारी भी देता रहा है। आरबीआइ ने बुधवार को बताया है कि 08 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू होने के बाद से 19 दिसंबर, 2016 तक 5,92,613 करोड़ रुपये के नए नोट बैंक शाखाओं या एटीएम के जरिए वितरित किये गये।

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आरबीआइ की तरफ से इस पर चुप्पी साधने के बाद यह मुद्दा आने वाले दिनों में तुल पकड़ सकता है। क्योंकि कई अर्थविदों ने यह कहना शुरु कर दिया है कि जितने 500 व 1000 के नोट बाजार में थे उनमें से अधिकांश बैंकों के पास वापस पहुंच चुके हैं। रिजर्व बैंक ने 13 दिसंबर, 2016 को बताया था कि 10 दिसंबर, 2016 तक सिस्टम में 12.44 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट वापस आ चुके हैं।

जिस दिन नोटबंदी लागू हुई थी उस दिन आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल ने बताया था कि बाजार में 500 व 1000 रुपये के 14.95 लाख करोड़ रुपये हैं। सरकार को पहले उम्मीद थी कि इसमें से 3-4 लाख करोड़ रुपये वापस काले धन के तौर पर वापस नहीं आएंगे। लेकिन अब इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि अधिकांश पुराने नोट वापस हो चुके हैं।

इससे सरकार के उस मंसूबे पर पानी फिर गया है कि वापस नहीं आये नोट के बदले नए नोट छाप कर उसे विकास कार्यो में इस्तेमाल किया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा था कि 30 दिसंबर, 2016 के बाद ही प्रचलन से वापस आये नोटों के बारे में सूचना एक साथ दी जाएगी। अगर पुराने 500 व 1000 के अधिकांश नोट वापस आ जाते हैं तो इसके दो मतलब हो सकते हैं। पहला, बाजार में काले धन को लेकर सकार का अनुमान असलियत से बहुत भिन्न था। दूसरा, काले धन के कारोबारियों ने अधिकांश राशि को किसी न किसी तरीके से सफेद कर लिया।


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