भुगतान से जुड़ा हर डाटा भारत में ही रखने का निर्देश
आरबीआइ ने देश में पेमेंट से जुड़े सभी वित्तीय संस्थानों को कहा है कि उन्हें छह महीने के भीतर अपना डाटा भारत में ही स्टोर करने की व्यवस्था करनी होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ऐसे समय जब दुनिया में वित्तीय संस्थानों के पास ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं तब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने इस बारे में एक अहम फैसला किया है। मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआइ ने देश में पेमेंट से जुड़े सभी वित्तीय संस्थानों को कहा है कि उन्हें छह महीने के भीतर अपना डाटा भारत में ही स्टोर करने की व्यवस्था करनी होगी। इसका असर यह होगा कि क्रेडिट व डेबिट कार्ड भुगतान की गारंटी देने वाली कंपनियां मास्टर कार्ड, वीसा को भी अपना डाटा भारत में स्टोर करना होगा। इसके अलावा विदेशी बैंकों को ऐसी व्यवस्था करनी होगी। ग्राहकों का डाटा सुरक्षित रखने के साथ ही इसका एक दूसरा फायदा यह होगा कि भारत की अपनी भुगतान व्यवस्था (रूपे) की लोकप्रियता भी बढ़ेगी।
आरबीआइ ने कहा है कि हाल के दिनों में भारत में पेमेंट से जुड़ी व्यवस्था का नेटवर्क काफी विस्तार हुआ है। कई तरह के प्लेटफार्म आये हैं तो कई नई कंपनियां आई है और नए-नए भुगतान के तरीके भी सामने आ रहे हैं। यह जरुरी है कि इनमें जो डाटा जा रहा है उसे सुरक्षित रखा जाए। इसके लिए इनकी गहन निगरानी भी जरुरी है। अभी यह देखने में आया है कि बहुत कम पेमेंट कंपनियां ही अपना डाटा भारत में रखती है या कुछ रखती है तो उसका बड़ा हिस्सा विदेशों में स्टोर करती हैं। अब इन सभी कंपनियों को छह महीने का समय दिया या है जिनमें उन्हें भारत में डाटा रखने की व्यवस्था करनी होगी। इसके साथ ही आरबीआइ ने यह भी कहा है कि वह केंद्रीय बैंक की तरफ से डिजिटल करेंसी जारी करने की भी तैयारी कर रहा है। इस पर सुझाव देने के लिए एक समूह गठित की गई है।
मौद्रिक नीति पेश करते हुए आरबीआइ ने घरेलू बैंकों में लागू की जाने वाली भारतीय एकाउंटिंग प्रणाली का भी जिक्र किया है। आरबीआइ ने माना है कि अधिकांश बैंकों की तैयारी काफी अधूरी है। ऐसे में उन्हें एक वर्ष का समय और दिया गया है। पिछले वर्ष भारतीय बैंकों को अप्रैल, 2018 से इसे लागू करने को कहा गया था। अब यह अप्रैल, 2019 से लागू होगा।