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पुराने नोट बदलने की समयसीमा सीमित करने पर पूछा गया था सवाल, RBI ने नहीं दिया जवाब

आरबीआइ ने इसे सूचना की श्रेणी में मानने से इन्कार करते हुए जानकारी नहीं दी।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Sun, 26 Mar 2017 06:08 PM (IST)Updated: Sun, 26 Mar 2017 06:33 PM (IST)
पुराने नोट बदलने की समयसीमा सीमित करने पर पूछा गया था सवाल, RBI ने नहीं दिया जवाब
पुराने नोट बदलने की समयसीमा सीमित करने पर पूछा गया था सवाल, RBI ने नहीं दिया जवाब

नई दिल्ली, प्रेट्र। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) ने नोटबंदी से जुड़े एक और सवाल का जवाब देने से इन्कार कर दिया है। सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून के तहत केंद्रीय बैंक से पूछा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन के बावजूद आम लोगों को 31 मार्च तक पुराने नोट (500 और 1000) जमा कराने की मोहलत क्यों नहीं दी गई? आरबीआइ ने इसे सूचना की श्रेणी में मानने से इन्कार करते हुए जानकारी नहीं दी।

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प्रधानमंत्री मोदी ने गत 8 नवंबर को नोटबंदी का एलान करते हुए देशवासियों को आश्वस्त किया था कि वे कुछ शर्तो के साथ 31 मार्च, 2017 तक पुराने नोट जमा करा सकते हैं। लेकिन, 30 दिसंबर, 2016 की मियाद खत्म होने के बाद नए अध्यादेश जारी कर इसे एनआरआइ और दूरदराज के इलाकों में तैनात जवानों तक सीमित कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई चल रही है।

आरबीआइ ने देश के आर्थिक हित का हवाला देते हुए इस निर्णय से जुड़े फाइल नोट भी मुहैया कराने से इन्कार कर दिया। आवेदक ने 31 मार्च की अवधि को सीमित करने का कारण पूछा था। केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी सुमन रे ने कहा, 'सीपीआइओ से वजह या औचित्य से जुड़ा सवाल पूछना आरटीआइ कानून की धारा 2(एफ) के तहत सूचना की श्रेणी में नहीं आता है।' जबकि, सुप्रीम कोर्ट अपने एक फैसले में व्यवस्था दे चुका है कि सार्वजनिक संस्थाओं के पास रिकॉर्ड के तौर पर उपलब्ध विचार या सलाह आरटीआइ कानून के तहत सूचना की परिभाषा के अंतर्गत आता है।

वैसे यह पहला मौका नहीं है जब आरबीआइ ने नोटबंदी से जुड़े सवालों का जवाब नहीं दिया है। फिर चाहे वह इस मुद्दे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली या मुख्य आर्थिक सलाहकार से विचार लेने की बात हो या अचानक से ऐसा कदम उठाने के बारे में पूछा गया सवाल हो। आरबीआइ नोटबंदी को लेकर हुई बैठकों की सूचना देने से भी इन्कार कर चुका है।

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