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जाते-जाते राजन नहीं घटाएंगे ब्याज दर, वित्त मंत्री से की मुलाकात

राजन ने महंगाई को स्थिर करने में बड़ी भूमिका निभाई है। वह बैंकों के फंसे कर्ज को साफ करने पर भी जोर दे सकते हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2016 10:23 PM (IST)Updated: Sat, 06 Aug 2016 09:36 AM (IST)
जाते-जाते राजन नहीं घटाएंगे ब्याज दर, वित्त मंत्री से की मुलाकात

मुंबई, रायटर। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन नौ अगस्त को मौद्रिक नीति की आखिरी बार दोमाही समीक्षा पेश करेंगे। उम्मीद है कि महंगाई ज्यादा होने के चलते वह नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) को यथावत रखेंगे। राजन ने महंगाई को स्थिर करने में बड़ी भूमिका निभाई है। वह बैंकों के फंसे कर्ज को साफ करने पर भी जोर दे सकते हैं।

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रुपये को स्थिर रखने का श्रेय भी राजन को जाता है। उनके कारण भारत में विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ा। उन्हें कच्चे तेल के कम दाम का भी बड़ा सहारा मिला। इसके चलते वह महंगाई को दहाई से घटाकर पांच फीसद के आसपास ले आए। राजन को कांग्रेस ने नियुक्त किया था, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उतना ही सम्मान मिला।

ब्याज दरों को घटाने का उन पर सभी तरफ से दबाव पड़ा। यहां तक मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्माण्यम ने भी कम ब्याज दरों की दुहाई दी। यह और बात है कि राजन ने किसी की न मानी। वह महंगाई कम करने के अपने लक्ष्य पर अड़े रहे।

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फंसे कर्ज पर हथौड़ा

पिछले साल जनवरी के बाद से राजन ने दरों में 1.5 फीसद की कटौती की है। नीतिगत दरों को वह 6.5 फीसद तक ले आए हैं। अगर बैंक ब्याज दरों में कटौती करते तो इसका फायदा कहीं ज्यादा मिलता। उन्होंने फंसे कर्ज (एनपीए) पर भी हथौड़ा चलाया। कुछ बैंकरों को उम्मीद है कि अगले गवर्नर एनपीए के मामले में इतने कठोर नहीं होंगे। राजन के आदेश पर हुई समीक्षा से सितंबर के बाद से करीब 35 अरब के नए फंसे कर्जो का पता चला है। इससे बैंकों की आय और लोन ग्रोथ पर असर पड़ रहा है।

मौद्रिक नीति समिति का सुझाव

महंगाई से लड़ने में सरकार को साथ लेने के लिए राजन ने मौद्रिक नीति समिति बनाने का सुझाव दिया। ऐसी कमेटी कई देशों में काम करती है। यही समिति नीतिगत ब्याज दर पर फैसला लेती है।

महंगाई के चलते नहीं घटेंगी दरें

मानसून सीजन में खाने पीने की चीजों के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई जून में 5.77 फीसद पर पहुंच गई। यह दो साल में सबसे ऊंचे स्तर पर है। इस कारण राजन दरों में कटौती नहीं करने का फैसला कर सकते हैं। बारिश औसत से ज्यादा है। इससे साल के अंत में दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ेगी।

जेटली से मिले राजन

रिजर्व बैंक नौ अगस्त को मौद्रिक नीति की समीक्षा करने जा रहा है। इससे पहले आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को वित्त मंत्रालय पहुंचकर वित्त मंत्री अरुण जेटली से विचार-विमर्श किया। राजन का तीन वर्षीय कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो रहा है।

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