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DATA STORY : दशानन का सबसे मज़बूत सर है, पर्यावरण प्रदूषण, मिलकर करें इसका नाश

राजधानी दिल्ली में तो सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली एनसीआर वासियों की धड़कने तेज होने लगती हैं। जैसे जैसे सर्दी बढ़ेगी पोल्यूशन बढ़ता चला जाएगा। पराली दीपावली समेत तमाम कारण हो सकते हैं लेकिन हकीकत यही है कि दिल्ली एनसीएर गैस चैम्बर सा बन जाता है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 11:28 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 11:29 AM (IST)
DATA STORY : दशानन का सबसे मज़बूत सर है, पर्यावरण प्रदूषण, मिलकर करें इसका नाश
दिल्ली में PM 2.5 का स्तर काफी ज्यादा है। लिहाजा सांस, फेंफड़ों की बीमारी वालों के लिए यह खतरनाक है।

नई दिल्ली, अमित शर्मा। विजय दशमी की शुभकामनाएं लेकिन साथ ही चेतावनी। हम रावण को बुराई का प्रतीक मानकर हर साल जलाते हैं। लेकिन बुराइयां बदस्तूर जस की तस हैं। विजयदशमी पर हम जागरण के पाठकों के लिए उन दस बुराइयों का जिक्र कर रहे हैं, जो हमें घेरे हुए हैं और हमें ही श्रीराम की तरह उन का नाश करना है। दशानन के दस सिरों में से एक ऐसी ही एक प्रबल समस्या है, पर्यावरण प्रदूषण।

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राजधानी दिल्ली में तो सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली एनसीआर वासियों की धड़कने तेज होने लगती हैं। जैसे जैसे सर्दी बढ़ेगी, पोल्यूशन बढ़ता चला जाएगा। पराली, दीपावली समेत तमाम कारण हो सकते हैं, लेकिन हकीकत यही है कि दिल्ली एनसीएर गैस चैम्बर सा बन जाता है। स्विटजरलैंड की IQAir की 2020 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो दिल्ली दुनिया की 50 राजधानियों में पोल्यूशन के मामले में टॉप पर है। सिर्फ 2020 के लिए नहीं, लगातार तीन सालों से। 2020 में तो लॉकडाउन और कोविड इफेक्ट भी था, बावजूद उसके, दिल्ली मोस्ट पोल्यूटेड कैपिटल रही। IQAir की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में PM 2.5 का स्तर काफी ज्यादा है। लिहाजा सांस, फेंफड़ों की बीमारी वालों के लिए यह खतरनाक है। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट के सबसे प्रदूषित टॉप 50 शहरों में से 35 शहर भारत के थे, जो पर्यावरण के लिए काम करने वालों के लिए सबसे बड़ी चिंता का सबब हैं।

विजयदशमी पर पर्यावरण प्रदूषण को दशानन का एक सर मान उसे खत्म करने की बात, पर्यावरण विद और नाटककार अशोक राही कहते हैं। उनका कहना है कि लगातार पेड़ कटते जा रहे हैं, प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। एयर पोल्यूशन दूर करने के आधुनिक यंत्र लगाने की बातें सरकारें यहां वहां कर रही हैं, सबसे पहले अपने पेड़ बचा लिए जाएं, वो ही जरूरी होगा। राही का कहना है कि याद करना होगा सन 1730 में राजस्थान के खेजड़ली गांव में पेड़ बचाने के लिए अमृता देवी विष्णोई का बलिदान। वो इतिहास की इस बड़ी घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि 263 ग्रामीणों ने पेड़ बचाने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। आज सड़क, विकास, कागज सबके नाम पर धड़ल्ले से पेड़ कट रहे हैं। गौरतलब है कि राही पिछले 25 सालों से 'खेजड़ी की बेटी' नाटक का मंचन कर पेड़ बचाने का संदेश देश दुनिया में दे रहे हैं। सन् 2004 में पर्यावरण दिवस के मौके पर नई दिल्ली के इंडिया हैबिटाट सेंटर में भी इस नाटक का मंचन किया गया था। राही कहते हैं कि हम दशहरे के अगले दिन भी इस नाटक को खेलने जा रहे हैं और दशानन के इस एक सर 'पर्यावरण प्रदूषण' को खत्म करने का संदेश लोगों तक पहुंचाने जा रहे हैं।

वर्ल्ड NGO से जुड़े पर्यावरणविद मनीष सक्सेना का कहना है कि हम अलार्मिंग स्टेज पर खड़े हैं। मौजूदा दशानन का पर्यावरण प्रदूषण सबसे घातक सर है, जो यह नहीं देखता कि कौन अमीर कौन गरीब, कौन इस वर्ग का, वो सबको नुकसान पहुंचा रहा है। मनीष ग्लोबल वर्डन ऑफ डिजीज की रिपोर्टस का हवाला देते हुए कहते हैं कि हर साल दूषित वायु पूरी दुनिया में लोगों को मौत के घाट उतार रही है। अगर अब भी काबू न पाया गया तो 2050 तक 60लाख लोगों की मौत का अनुमान कहीं सच न हो जाए। 


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