असहिष्णुता विवाद पर बोले रतन टाटा, कहा- 'भारत को असमानता विरासत में मिली'
देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा ने असहिष्णुता की बहस पर कहा कि भारत को असमानता विरासत में मिली है। जाति, धर्म और सांप्रदायिक समूहों के आधार पर ऐसा वातावरण और बंटवारा राजनीतिक कारणों से किया गया है।
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा ने असहिष्णुता की बहस पर कहा कि भारत को असमानता विरासत में मिली है।
जाति, धर्म और सांप्रदायिक समूहों के आधार पर ऐसा वातावरण और बंटवारा राजनीतिक कारणों से किया गया है। उनका कहना है कि इससे भले ही चुनाव के समय में कुछ लोगों को फायदा हो लेकिन देश को एकजुट करने में कोई मदद नहीं मिलेगी।
टाटा समूह के पूर्व प्रमुख और टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा ने बुधवार को कहा कि उनकी सबसे बड़ी इच्छा भारत को एकजुट और समान अवसर वाले देश के रूप में देखने की है। उन्होंने कहा कि अगर आप में शिक्षा पाने, काम करने और अपने दम पर तरक्की करने की क्षमता है और इससे आपको फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं या आपकी कितनी ऊंची पहुंच है, तो मुझे अपने देश के लिए बेहद खुशी होगी।
टाटा कंपनी की इंटरनल मैग्जीन टाटा रिव्यू को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों से हमने देश को जाति, धर्म और सांप्रदायिक समूहों में बांट दिया है। अब हम भारतीय होने के बजाय मराठी, पंजाबी और तमिल हैं। जिस दिन हम सब फिर से केवल भारतीय बन जाएंगे, हमारा देश मजबूत हो जाएगा।
2012 में टाटा संस के चेयरमैन पद से रिटायर हो चुके 78 साल के रतन टाटा ने कहा कि मैंने हमेशा महसूस किया है कि भारत में एक ऐसा माहौल बन गया है जो असमानता से उपजा है। अगर इस बात को एक लाइन में कहा जाए तो मैं चाहता हूं कि भारत को समान अवसरों वाले देश के रूप में जाना जाए।