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सर्वसमावेशी संस्कृति के दर्शन होते हैं संघ शिक्षा वर्ग में, किसी तरह का भेद नहीं

संघ शिक्षा वर्ग का अभ्यास सुबह चार बजे उठने के साथ शुरू होता है और रात 11 बजे तक चलता है। इनमें तमाम तरह की गतिविधियां शामिल होती हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 07 Jun 2018 06:37 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jun 2018 06:37 PM (IST)
सर्वसमावेशी संस्कृति के दर्शन होते हैं संघ शिक्षा वर्ग में, किसी तरह का भेद नहीं
सर्वसमावेशी संस्कृति के दर्शन होते हैं संघ शिक्षा वर्ग में, किसी तरह का भेद नहीं

नागपुर, ओमप्रकाश तिवारी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को नहीं जानने वालों के लिए यह एक रहस्यलोक की तरह है। इस रहस्यलोक को जाने बगैर ही इसकी तमाम आलोचनाएं होती रहती हैं। लेकिन वास्तव में संघ शिक्षा वर्ग में सर्वसमावेशी संस्कृति के दर्शन होते हैं। इसकी अनुभूति पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी गुरुवार शाम जरूर हुई होगी।

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संघ मुख्यालय के बिल्कुल निकट रेशिमबाग मैदान में गुरुवार शाम संघ के तपे-तपाए 709 स्वयंसेवक बैठे थे। तपे-तपाए इसलिए, क्योंकि ये न सिर्फ तृतीय वर्ष की संघ शिक्षा के लिए नागपुर की भीषण गर्मी में पिछले 25 दिनों से तप रहे हैं, बल्कि इनका चयन देशभर के स्वयंसेवकों में से बहुत सोच-समझकर किया गया है। तृतीय वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग में ज्यादातर ऐसे ही स्वयंसेवकों का चयन किया जाता है, जो तहसील स्तर पर दो वर्ष से अधिक काम कर चुके हों। संघ में तृतीय वर्ष की शिक्षा एक ऐसी डिग्री की भांति होती है, जिसे पार करने के बाद स्वयंसेवक पूर्ण सिद्ध मान लिया जाता है। इसलिए तृतीय वर्ष तक पहुंचनेवाले स्वयंसेवकों की संख्या हर साल निश्चित नहीं होती। यह घटती-बढ़ती रहती है।

इस बार तृतीय वर्ष तक पहुंचे 709 स्वयंसेवकों में सभी राज्यों एवं आयु वर्ग का प्रतिनिधित्व नजर आया। इनमें 11 स्वयंसेवक जहां 20 वर्ष से कम आयु के थे, तो 35 से 40 वर्ष के स्वयंसेवकों की संख्या 157 थी। सर्वाधिक 394 शिक्षार्थी 30 से 40 साल के आयु वर्ग से नजर आए। इनमें से 388 ने पूर्णकालिक प्रचारक बनने का निर्णय किया है, जबकि सात ने विस्तारक का दायित्व स्वीकार किया है।

समरसता का नजारा

समरसता की दृष्टि से भी संघ शिक्षा वर्ग अद्भुत नजारा पेश करता है। एक ही गण में अत्यधिक धनी परिवार से आए स्वयंसेवक एवं अत्यंत निर्धन परिवार से आए स्वयंसेवक साथ-साथ 25 दिन तक संघ शिक्षा वर्ग के प्रत्येक अभ्यास का पालन करते दिखाई देते हैं।

किसी तरह का भेद नहीं

संघ शिक्षा वर्ग का अभ्यास सुबह चार बजे उठने के साथ शुरू होता है और रात 11 बजे तक चलता है। इनमें तमाम तरह की गतिविधियां शामिल होती हैं। इन गतिविधियों से लेकर खानपान तक कहीं कोई जातिगत भेद नजर नहीं आता। पहले से मन में बसा जातिगत भेद भी यहां 25 दिन रहने के दौरान हमेशा के लिए भूल जाता है।

रुचि के अनुसार गणों का गठन

गणों यानी गुटों का गठन स्वयंसेवकों की उम्र एवं उनकी रुचि के अनुसार किया जाता है। जैसे कॉलेज जानेवाले एवं कबड्डी खेलनेवाले किशोरवय के स्वयंसेवकों को एक गुट में तो योगासन करनेवाले अपेक्षाकृत प्रौढ़ स्वयंसेवकों को दूसरे गुट में रखा जाता है। लेकिन इसमें भी यह प्रयास जरूर किया जाता है कि प्रत्येक गुट में सभी प्रांतों के स्वयंसेवक शामिल हों, ताकि पूरे भारत को एक करने का उद्देश्य भटकने न पाए।


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