राजीव कपूर। भारत में हर साल सड़क हादसों में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है। सभी गाड़ियों में सुरक्षा के बेसिक फीचर्स होते हैं। कुछ माडल में और कई एडवांस्ड फीचर्स भी होते हैं। सुरक्षा के यही मानक अमूमन सभी देशों में होते हैं। इसके बावजूद दुर्घटना के मामले में भारत की स्थिति ज्यादा चिंतनीय है। दुनिया के कुल वाहनों में एक फीसद हिस्सेदारी के बावजूद दस फीसद दुर्घटनाएं यहीं होती हैं।

दुनिया के अन्य देशों व भारत में सबसे बड़ा संकट यातायात संबंधी कानून के अनुपालन का है। गाड़ियों में सेफ्टी फीचर्स कितने भी हों, अगर सड़क पर चलने का तौर-तरीका नहीं बदलेगा, यातायात के नियमों का पालन नहीं होगा और सड़कों की हालत नहीं सुधरेगी, तो दुर्घटनाएं कम कर पाना संभव नहीं। देश में सबसे ज्यादा सड़क हादसे इसीलिए होते हैं क्योंकि यहां यातायात नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री की मौत ने दिखा दिया है कि सब कुछ गाड़ी के सेफ्टी फीचर्स से नहीं हो सकता है। यदि नियमों का पालन करते हुए सड़क पर गाड़ियां चलाई जाएं तो हादसे नहीं होंगे। सुरक्षा के मानक दुर्घटना होने की स्थिति में काफी हद तक जान बचाने में सक्षम हो सकते हैं। हेलमेट, सीट बेल्ट आदि को लेकर कानून भी हैं, लेकिन लोग अनुपालन नहीं करते हैं। हमें दो स्तर पर काम करना होगा।

पहला, ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि दुर्घटना ही न हो। दूसरा, नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जाए, जिससे दुर्घटना जानलेवा न बनने पाए। सड़क हादसों को रोकना है तो सरकार को कुछ जरूरी सुधार करने होंगे। वर्तमान में जो यातायात नियम हैं, वे काफी सख्त हैं लेकिन उतनी सख्ती से उनका पालन नहीं करवाया जा रहा है। नियमों का सख्ती से पालन किया जाए तो हादसे नहीं होंगे। रैश ड्राइविंग पर सख्ती से लगाम लगाने की जरूरत है। गाड़ियों के सेफ्टी फीचर्स बढ़ाते जाने से सिर्फ गाड़ी के अंदर बैठा व्यक्ति ही खुद को सुरक्षित महसूस कर सकता है।

सड़क पर चलने वाले दोपहिया वाहन चालकों और पैदल यात्रियों की सुरक्षा का क्या होगा? उनकी सुरक्षा तो यातायात नियमों के पालन से ही सुनिश्चित की जा सकती है। वाहनों की रफ्तार पर भी लगाम लगाने की जरूरत है। तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने वाले लोग जब यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं तो यह उनके साथ ही सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों के लिए भी जानलेवा साबित होता है। शराब पीकर वाहन चलाने वाले लोगों पर भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

सिस्टम में खामी से बहुत से लोगों का बिना टेस्ट के ही ड्राइविंग लाइसेंस बन जाता है। ऐसे लोग जब सड़क पर वाहन चलाते हैं तो न अपनी जान की परवाह करते हैं और न ही सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों की। टूटी, जर्जर और खराब डिजाइन की सड़कें भी कुछ मामलों में हादसों के लिए जिम्मेदार होती हैं। इनमें सुधार करके भी सड़क हादसों को रोका जा सकता है। सड़कें अच्छी हों, वाहन चालकों के इस्तेमाल के लिए अनुकूल हों और ट्रैफिक सिग्नल आदि सही से काम कर रहे हों तो यातायात नियमों का पालन करवाना भी सुविधाजनक होता है।

[एमडी, स्टीलबर्ड हेलमेट]

Edited By: Sanjay Pokhriyal