रामेश्वरम: धनुषकोडि में दुर्लभ seagulls के झुंड को देख पर्यटक मंत्रमुग्ध
1964 के खतरनाक चक्रवाती तूफान के कारण तबाह हुए धनुषकोडि में आए दुर्लभ seagulls के झुंड को देख यहां पहुंचे पर्यटक मंत्रमुग्ध हैं।
धनुषकोडि , एएनआइ। रामेश्वरम स्थित धनुषकोडि (Dhanushkodi) में आ रहे पर्यटक यहां मौजूद गंगाचिल्ली (seagulls) के झुंड को देख मंत्रमुग्ध हैं। बुधवार को seagulls का यह झुंड रामेश्वरम के अराइकल मुनाई प्वाइंट (Arichal Munai point) पर पहुंचा जिसे देख वहां मौजूद पर्यटक अचरज में पड़ गए। जो पर्यटक यहां के खूबसूरत बीच को निहारने आए उन्हें यहां दुर्लभ seagulls भी दिख गए।
वर्ष 1964 में इस तट पर आए चक्रवाती तूफान के बाद धनुषकोडि तबाह हो गया था। भारत व श्रीलंका को आपस में जोड़ने वाला एकमात्र स्थल धनुषकोडि में आए चक्रवाती तूफान के कारण सौ से अधिक यात्रियों वाली एक रेलगाड़ी भी समुद्र में डूब गई थी। तब से यह जगह सुनसान हो गई। अभी भी बर्बाद हुए चर्च के अवशेष वहां बिखरे पड़े हैं। 1964 से पहले यह आइलैंड मुख्य पर्यटक स्थल था। यहां रेलवे स्टेशन, अस्पताल, चर्च, होटल और पोस्ट ऑफिस बना हुआ था।
समुद्र के मध्य में स्थित रामेश्वरम पहुंचने के लिए करीब पांच किमी समुद्र को पार करना पड़ता है। श्रीलंका के करीब मौजूद यह क्षेत्र रेल और सड़क दोनों से जुड़ा है। यहीं मौजूद धनुषकोडि गांव से श्रीलंका की दूरी महज 29 किमी है। यही वह स्थान है जहां से लंका जाने के लिए भगवान राम ने सेतु का निर्माण किया था।
इस जगह के नाम के बारे में कहा जाता है कि रावण के भाई विभीषण के आग्रह पर भगवान राम ने अपने धनुष के एक सिरे से सेतु को तोड़ दिया था और इसके बाद ही इसे धनुषकोडि नाम दिया गया। तमिल में कोडि का अर्थ सिरा होता है। तमिलनाडु के पूर्वी तट पर मौजूद रामेश्वरम भारत का अंतिम छोर है। यहां से श्रीलंका को देखा जा सकता है।
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