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रेमन मैग्सेसे विजेता सोनम वांगचुक बोले, चीन पर करनी होगी बुलेट और वॉलेट की दोहरी मार

सोनम वांगचुक का कहना है कि सीमा पर हमारे जांबाज सैनिक जवाब दे रहे हैं लेकिन देश की जनता को भी चीनी सामान का बहिष्कार कर ‘बुलेट और वॉलेट’ की दोहरी मार करनी होगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 05:57 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 06:30 PM (IST)
रेमन मैग्सेसे विजेता सोनम वांगचुक बोले, चीन पर करनी होगी बुलेट और वॉलेट की दोहरी मार
रेमन मैग्सेसे विजेता सोनम वांगचुक बोले, चीन पर करनी होगी बुलेट और वॉलेट की दोहरी मार

लद्दाख, प्रेट्र। भारत और चीन में सीमा पर तनाव के बीच पुरस्‍कार रेमन मैग्सेसे विजेता सोनम वांगचुक का कहना है कि चीन ने अपनी आंतरिक परेशानियों से ध्यान हटाने के लिए भारत के साथ सीमा पर टकराव की रणनीति अपनाई है। सीमा पर तो हमारे जांबाज सैनिक इसका जवाब दे रहे हैं, लेकिन देश की जनता को भी चीनी सामान का बहिष्कार कर चीन पर ‘बुलेट और वॉलेट’ की दोहरी मार करनी होगी।

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कई राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले सोनम वांगचुक ने पिछले दिनों लद्दाख में भारत और चीन की सेना के बीच हुए टकराव को चीन की सोची समझी साजिश करार दिया है। उन्‍होंने 'बायकॉट मेड इन चाइना' अभियान की शुरुआत करते हुए देश के नागरिकों से चीन को आर्थिक मोर्चे पर घेरने का आह्वान किया। गौरतलब है कि 15- 16 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में हिंसक झड़प में भारतीय सेना के करीब 20 जवान मारे गए। वहीं इस झड़प में चीनी सेना के भी करीब 43 जवान या तो मारे गए या घायल हुए। 

अंदरूनी समस्याओं से बचने के लिए ऐसी हरकतें कर रहा है चीन 

सोनम वांगचुक का कहना है कि हम चीन से मोतियों से लेकर कपड़ों तक करीब पांच लाख करोड़ का सामान खरीदते हैं। यही पैसा सीमा पर हथियार और बंदूक के तौर पर वापस हमारे सैनिकों के बलिदान का कारण बन सकता है। उनका कहना है कि चीन सिर्फ भारत के साथ ही बिना वजह छेडछाड़ नहीं कर रहा, बल्कि वह दक्षिण चीन सागर में ताइवान, वियतनाम और अब हांगकांग के साथ भी ऐसा ही कर रहा है। उनका मानना है कि चीन अपनी अंदरूनी समस्याओं से बचने के लिए इस तरह की हरकतों को अंजाम दे रहा है। 

चीन में जनता की नाराजगी और बगावत का डर 

वांगचुक का कहना है कि चीन में 140 करोड़ लोग मानव अधिकारों से महरूम हैं और उनसे बंधुआ मजदूरों की तरह काम लिया जाता है। बेरोजगारी आसमान छू रही है और ऐसे में चीन सरकार को अपनी जनता की नाराजगी और बगावत का डर है, इसीलिए वह सीमा पर इस तरह की घटनाओं से अपनी जनता का ध्यान भटकाना चाहता है। 

लोगों को चीन को जवाब अपने वॉलेट से देना होगा

वांगचुक ने सवाल उठाया था कि 1962 से चीन लगातार घुसपैठ की साजिशें रचता रहा है। अब फौज आगे डटी है पर हमें भी जवाब देना होगा। जवाब अब वॉलेट पावर से देना होगा। अब चुप नहीं रह सकते क्योंकि जुल्म सहना सबसे बड़ा गुनाह है। उन्होंने चीन के सभी सामान का बहिष्कार करने की अपील की थी। कई फिल्मी हस्तियों, उद्योग संगठनों और बाबा रामदेव ने उनकी मुहिम का समर्थन किया था।

जानिए सोनम वांगचुक के बारे में 

एक सितंबर 1966 को लद्दाख के एक छोटे से गांव उले ताक्पो में जन्मे सोनम वांगचुक ने कदम दर कदम अपनी उपलब्धियों से अपनी पहचान बनाई है। उन्हें नौ साल की उम्र तक स्कूल नहीं भेजा जा सका क्योंकि उनके घर के आसपास कोई स्कूल नहीं था। उनकी मां ने उन्हें घर पर ही शुरुआती शिक्षा दी। निशुल्क आवासीय स्कूल विशेष केन्द्रीय विद्यालय, दिल्ली में उन्होंने शुरुआती पढ़ाई की।

बाद में श्रीनगर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च जुटाने के लिए उन्होंने लेह में दसवीं कक्षा के छात्रों को पढ़ाने के लिए पहला कोचिंग स्कूल खोला। इसके बाद धीरे-धीरे राज्य की लचर शिक्षा प्रणाली की पोल उनके सामने खुलने लगी। 

यहीं से उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मिली, जो आगे चलकर पर्यावरण संरक्षण और हिम स्तूप के निर्माण जैसी पहल के रूप में सामने आई। 2009 में आई अभिनेता आमिर खान की फिल्म '3 इडियट्स' को सोनम वांगचुक के जीवन से प्रेरित बताया गया है।


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