प्यारी झूलन पधारो झुकि आई बदरा..
अयोध्या [रमेश मिश्र]। प्यारी झूलन पधारो झुकि आई बदरा, सजि भूषण वसन सखियन कजरा। प्यारी झूलन पधारो झुकि आई बदरा।। सावन शुक्ल तृतीया को मणिपर्वत पर लगे झूले की ओर इशारा कर भगवान श्रीराम इस पद के साथ श्रीजानकी से झूलन पर विराजमान होने के आग्रह करते हैं।
अयोध्या [रमेश मिश्र]। प्यारी झूलन पधारो झुकि आई बदरा, सजि भूषण वसन सखियन कजरा। प्यारी झूलन पधारो झुकि आई बदरा।। सावन शुक्ल तृतीया को मणिपर्वत पर लगे झूले की ओर इशारा कर भगवान श्रीराम इस पद के साथ श्रीजानकी से झूलन पर विराजमान होने के आग्रह करते हैं। श्रीजानकी के झूलन पर बैठते ही धर्म-अध्यात्म के साथ-साथ मस्ती के संगम के बीच रामनगरी के सावन झूला मेले के आरंभ हो गया। सद्गुरु सदन के भगवान श्रीराम जानकी के स्वरूप इस मेले में आकर्षण का केंद्र बने रहे। श्रृंगारी महेंद्र शरण ने झूला पड़ा मणिपर्वत पर, झूलत सीता प्यारी ना। रमकि, झमकि सब सखियन झुलावत, झूलत अवध बिहारी ना। झूलत जनकदुलारी ना।।
इससे पूर्व रविवार को हुए मणिपर्वत मेले में कनक भवन, मणिरामदासजी की छावनी, श्रीरामबल्लभाकुंज, दशरथ महल, विअहुति भवन, सद्गुरु सदन आदि मंदिरों से निकली झूलनोत्सव की झांकियों का यात्रा मार्ग में जगह-जगह स्वागत किया गया। झांकियों के मणिपर्वत पहुंचने पर वहां के वृक्षों की डालियों में पड़े झूलन में भगवान श्रीसीताराम के विग्रहों व स्वरूप सरकारों को विराजमान कर गायन-वादन व त्रिवेणी का संगम घंटों चला। सद्गुरु सदन के झूलनोत्सव में प्यारी धीरे से झुलाओं, झुकि आई बदरा। आदि झूलनोत्सव के पदों का गायन हुआ, जिस पर दूर-दराज से आई महिला श्रद्धालुओं ने भाव विभोर होकर नृत्य किया। झूलन का समापन झूले नवल हिंडोर, पिया प्यारे संग, बनि-ठनि श्यामा।। के पद के सस्वर गायन से हुआ।
श्रद्धालुओं ने किया दर्शन-पूजन
-बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रैपिड एक्शन फोर्स व पीएसी की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मणिपर्वत स्थित मंदिर में विराजमान श्रीसीताराम के विग्रहों का दर्शन-पूजन किया। मणिपर्वत मेले में हनुमत निवास, जानकी महल के स्वरूप सरकार का झूलनोत्सव आकर्षण का केंद्र रहा।
निकली झांकी-कनक भवन तथा श्रीरामवल्लभाकुंज से चांदी की पालकी पर भगवान की झांकी निकल कनक भवन पहुंची जिसका जगह-जगह आरती पूजन कर स्वागत हुआ। मणिराम दास जी की छावनी से रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास की अगुवाई में झूलन की झांकी निकली। दशरथ महल की झांकी विन्दुगद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य व श्रीरामबल्लभाकुंज की झांकी पीठ के अधिकारी राजकुमार दास की देखरेख में निकली। मणिपर्वत झूलनोत्सव के बाद श्रीसीताराम के विग्रह व स्वरूप मंदिरों में वापस लौट गए। कनक भवन आदि मंदिरों में पड़े झूलन पर भगवान श्रीराम-जानकी संग विराजमान हो गए।
मंदिरों में आरंभ झूलनोत्सव
अयोध्या। मणिपर्वत झूला मेले के साथ रामनगरी का सावन झूला मंदिर-मंदिर आरंभ हो गया। मंदिरों में झूलनोत्सव की पहले ही दिन गली-गली में सोहर व मंदिर-मंदिर झांकी का महोत्सव आरंभ हो उठा। श्रीरामबल्लभाकुंज में झूलनोत्सव की संध्या में मुख्य अर्चक रामभिषेक दास ने पदों का गायन कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने झूलत दोऊ रसिया, झूलन बांकी। पगे परस्पर रूप-रीति रस, बनी अनोखी झांकी।। उभरत मोद मनोरथ पल-पल, रहा नहीं तिल ढांकी। का झूलनोत्सव की गीत गाकर भगवान श्रीसीताराम के साथ अपनी भक्ति का समर्पण किया।
इसी के साथ कोसलेश सदन, अशर्फी भवन, सियाराम किला, लक्ष्मण किला, सुग्रीव किला, दिब्यकला कुंज, रूपकला कुंज, हनुमत सदन, रंग महल, रंगवाटिका, लवकुश भवन, रामवैदेही मंदिर, जानकीघाट बड़ा स्थान, विजय राघव मंदिर नई छावनी, हनुमानबाग आदि मंदिरों में भी झूलनोत्सव का आगाज हो गया।
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