वेदांती बोले, राजस्थान के रणकपुर की तर्ज पर बने अयोध्या में राममंदिर, 67 एकड़ भूमि पड़ेगी कम
राम मंदिर न्यास के संत रामविलास वेदांती ने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर का शिखर 1011 फीट ऊंचा हो और चौड़ाई 500 फीट से अधिक होना चाहिए।
खंडवा, जेएनएन। अयोध्या में राम मंदिर कैसा होगा? लोगों के मन में ये सवाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही उठ रहा है। राम मंदिर न्यास के संत रामविलास वेदांती ने मंगलवार को मध्यप्रदेश के खंडवा में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि अयोध्या का राम मंदिर विश्व का सबसे भव्य मंदिर होगा। इसका निर्माण राजस्थान के रणकपुर के जैन मंदिर की तर्ज पर होना चाहिए, जो कि मौजूदा परिदृश्य में विश्व का सबसे सुंदर मंदिर है। अयोध्या के राम मंदिर का शिखर 1011 फीट ऊंचा हो और चौड़ाई 500 फीट से अधिक होना चाहिए। इसके लिए 67 एकड़ भूमि कम है, कम से कम 200 एकड़ भूमि की जरूरत होगी।
बता दें कि खंडवा में श्रीधूनीवाले दादाजी के दर्शन और खेड़ीघाट पर चल रहे एक धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए वेदांती महाराज खंडवा आए थे। उन्होंने कहा कि विहिप का मंदिर का मॉडल हमें पसंद है पर इसमें भव्यता के लिए बदलाव होता है तो हम तैयार हैं।
सरकारी ट्रस्ट न बने
वेदांती ने कहा कि राम मंदिर का ट्रस्ट जो भारत सरकार बनाएगी, उसमें अध्यक्ष पदेन नहीं होना चाहिए, बल्कि गैर सरकारी होना चाहिए। सरकारी ट्रस्ट बनेगा तो सरकार बदलने पर दिक्कत आएगी, इसलिए मंदिर पर कोई खतरा न आए इसलिए सरकारी ट्रस्ट नहीं होना चाहिए।
राजीव धवन को पाक फंडिंग मिलने का लगाया आरोप
वेदांती महाराज ने आरोप लगाया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को पाकिस्तान के आतंकियों से फंडिंग मिलती थी। बोर्ड को पहले ही इस वकील को हटा देना चाहिए था। उन्होंने वक्फ बोर्ड द्वारा राम मंदिर मामले में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करने के निर्णय का भी स्वागत किया।
जल्द आएगा जनसंख्या नियंत्रण कानून
वेदांती महाराज बोले कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया है। 35-ए भी अब नहीं है। इसके साथ ही राम मंदिर पर भी सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ गया है। अब जनसंख्या नियंत्रण कानून आएगा। यह देश के लिए बहुत जरूरी है।
कहां है रणकपुर मंदिर
राजस्थान में उदयपुर से करीब 93 किमी दूर रणकपुर मंदिर स्थित है। यह जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह मंदिर खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर परिसर के आसपास ही नेमीनाथ और पार्श्वनाथ को समर्पित दो मंदिर हैं।