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गोबर से बनी राखियों की दिल्ली समेत कई राज्यों में बढ़ी मांग, महानगरों के बाजारों में लगाए गए स्टाल

गोशाला में बन रहीं राखियां पूरी तरह इको फ्रेंडली हैं। इसमें गोबर औषधियुक्त पौधों के रस मौली धागा और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि आकर्षक लुक में नजर आएं। यही कारण है कि इन राखियों की मांग कई महानगरों से आने लगी है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 02:06 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 05:24 AM (IST)
गोबर से बनी राखियों की दिल्ली समेत कई राज्यों में बढ़ी मांग, महानगरों के बाजारों में लगाए गए स्टाल
राखियों पर श्री, ओम, गणेश, स्वास्तिक शोभायनमान होते हैं

वाकेश कुमार साहू, रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सीमा से लगे कुम्हारी स्थित सुरभि गोशाला में इस साल बनाई जा रहीं गोबर की राखियों की मांग अभी से बढ़ गई है। दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कई बड़े राज्यों के बाजारों में इन आकर्षक राखियों की मांग का विस्तार हुआ है। महानगरों के बाजार में यहां की राखियों के स्टाल लगाए गए हैं। पिछले साल भी गोबर की राखियां कई राज्यों में गई थीं, जिनकी काफी सराहना भी हुई थी।

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सुरभि गोशाला की संचालक रेणु गोस्वामी ने बताया कि विभिन्न राज्यों से लगभग 70 हजार राखियां की मांग आ चुकी है। अब तक 10 हजार से अधिक राखियां दिल्ली भेजी जा चुकी हैं। मांग के मुताबिक अन्य प्रदेशों में राखियां भेजने की तैयारी चल रही है। गौरतलब है कि गोशाला में महिलाएं और युवतियां आकर्षक डिजाइन में इन राखियों को तैयार कर रही हैं। राखियों पर श्री, ओम, गणेश, स्वास्तिक शोभायनमान होते हैं।

पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं राखियां

गोशाला में बन रहीं राखियां पूरी तरह इको फ्रेंडली हैं। इसमें गोबर, औषधियुक्त पौधों के रस, मौली धागा और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि आकर्षक लुक में नजर आएं। यही कारण है कि इन राखियों की मांग कई महानगरों से आने लगी है। गौरतलब है कि इन राखियों को बनाने का कार्य मानसून आने से पहले शुरू कर दिया था, ताकि रक्षाबंधन तक मांग की आपूर्ति की जा सके।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासकीय नौकरी छोड़ी

सुरभि गोशाला की संचालिका रेणु अवस्थी ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासकीय नौकरी छोड़ दी है। रेणु अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), रायपुर में असिस्टेंट अकाउंटेंट के पद पर पदस्थ थीं। उन्होंने 2017 में नौकरी छोड़ दी। उनका कहना है कि अब महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की जरूरत है।

10 से लेकर 50 रुपये तक की राखियां

गोबर से बनी राखियां 10 से लेकर 50 रुपये में बिक रही हैं। बता दें कि कई महिला समूह पर्यावरण को देखते हुए इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रहे हैं। इनमें सब्जियों के बीज भी डाले जा रहे हैं, ताकि राखी बांधने के बाद बीज को बाड़ी में बो दिया जाए और वह बीज पौधा बनकर लहलहा उठे। इन राखियों को पूनम गोस्वामी, उषा गोस्वामी, कुसुम गोस्वामी, मंजु यदु, अंजना ¨सह, सीमा तिवारी और तनुश्री गोस्वामी तैयार कर रही हैं।


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