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राजनाथ सिंह की चीन को दो टूक, एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा भारत

राजनाथ सिंह ने चीन को स्पष्ट शब्दों में कहा कि पूर्वी लद्दाख में तनाव का एकमात्र कारण चीनी सैनिकों का आक्रमक रवैया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 12:38 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 09:22 PM (IST)
राजनाथ सिंह की चीन को दो टूक, एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा भारत
राजनाथ सिंह की चीन को दो टूक, एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा भारत

नई दिल्‍ली, जेएनएन। शुक्रवार को मास्को में भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच हुई ढ़ाई घंटे लंबी बातचीत का तत्काल कोई नतीजा निकलता तो नहीं दिख रहा, लेकिन चीनी पक्ष को भारत ने पूरे दम से यह बता दिया कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर में अपने हिस्से की एक इंच जमीन से भी समझौता नहीं होगा। चीन के रक्षा मंत्री वी फेंगी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में बताया कि भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता पर कोई खरोंच नहीं आने देगा। पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में सैन्य तनाव पसरने के बाद दोनो देशों के शीर्ष नेताओं के बीच पहली बार आमने सामने मुलाकात हुई थी। मौजूदा सैन्य तनाव को घटाने के लिए दोनो रक्षा मंत्रियों के बीच आगे भी बातचीत जारी रखने की सहमति बनी है, जो इस बैठक का एकमात्र सकारात्मक पहलू नजर आता है।

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चीन इस वार्ता के लिए कितना प्रयासरत था इसका संकेत इससे भी मिलता है कि शुक्रवार को बैठक के दौरान खुद रक्षामंत्री वी येंग ने बताया कि पिछले 80 दिनों में उन्होंने तीन बार राजनाथ से वार्ता की इच्छा जताई थी। लेकिन वार्ता के दौरान चीन का रवैया बहुत नहीं बदला था। बातचीत बेहतर माहौल में हुई और चीनी पक्ष के हर झूठे दावे का बिंदुवार प्रतिकार भी हुआ। बातचीत में 30 व 31 अगस्त को एलएसी पर पैंगांग झील के उत्तरी व दक्षिणी इलाके की स्थिति पर खास तौर पर चर्चा हुई है। बताते चलें कि दोनो देशों के रक्षा मंत्री मास्को में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए गए थे। यहीं पर अगले गुरुवार को भारत व चीन के विदेश मंत्रियों के बीच मौजूदा सैन्य तनाव पर वार्ता होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि जहां पर रक्षा मंत्रियों ने बातचीत खत्म की है उसे अब दोनो विदेश मंत्री आगे बढ़ाएंगे।

मास्को बैठक के बाद शनिवार को सुबह दोनो देशों की तरफ से इसके बारे में जानकारी दी गई। दोनों बयानों से इस बात के संकेत नहीं मिलते कि कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने सैन्य तनाव विवाद की पूरी जिम्मेदारी भारत पर डालते हुए कहा है कि इसे कम करने की जिम्मेदारी भी भारत की है। दोनो पक्षों को राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच पूर्व में बनी सहमति के आधार पर तनाव दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिए। आपसी मतभेद दूर करने के लिए जो समझौते किये गये हैं उसे भारत कड़ाई से लागू करेगा व ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएगा जिससे माहौल और बिगडे़।

चीन ने यह भी कहा है कि भारत जानबूझ कर नकारात्मक सूचनाएं नहीं फैलाएगा। भारतीय रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में भी शीर्ष नेताओं की तरफ से दिए गए दिशानिर्देश को लागू करने की बात है। इसके मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी सैनिकों की तरफ से मनमाने तरीके से यथास्थिति को बदलने के बारे में बताया। रक्षा मंत्री के शब्दों में- 'सीमा प्रबंधन को लेकर भारतीय सैनिक बेहद सतर्क हैं और हमेशा जिम्मेदारी से कदम उठाते हैं लेकिन देश की अखंडता व संप्रभूता को लेकर उनके संकल्प पर भी किसी को शक नहीं होनी चाहिए।'

उन्होंने चीन के रक्षा मंत्री से कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को भारतीय सेना के साथ मिल कर सैनिकों की वापसी को लेकर बिना किसी देरी के काम करना चाहिए ताकि शीघ्रता से मई, 2020 से पहले वाली स्थिति लागू की जा सके। चीनी व भारतीय रक्षा मंत्री ने अपने स्तर पर व कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत को जारी रखने की सहमति जताई है।

सनद रहे कि मई, 2020 के पहले हफ्ते में पूर्वी लद्दाख में स्थित गलवन नदी घाटी के कुछ हिस्सों में पीएलए के घुस आने के बाद से दोनो देशों के बीच सैन्य तनाव बना हुआ है। भारत पूरे इलाके में एक लाख सैन्य जवानों के साथ ही टैंकों की तैनाती कर चुका है। चीन की तरफ से भी हजारों सैनिकों की तैनाती की सूचना है। इस बीच 15 जून और उसके बाद 30 व 31 अगस्त को दोनो देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें भी हो चुकी हैं।


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