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राजनाथ सिंह ने सीमा पर बने 43 पुलों का किया लोकार्पण, नेचिफु टनल की रखी आधारशिला

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा 7 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 286 करोड़ रुपये की लागत से तैयार 44 ब्रिजों का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए लोकार्पण किया और अरुणाचल प्रदेश में नेचिफु टनल की भी आधारशिला रखी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 10:58 AM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 10:58 AM (IST)
राजनाथ सिंह ने सीमा पर बने 43 पुलों का किया लोकार्पण, नेचिफु टनल की रखी आधारशिला
रक्षा मंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए इन पुलों का उद्घाटन किया।

नई दिल्ली, जेएनएन। पाकिस्तान और चीन से एक साथ दोनों मोर्चो पर निपटने की सेना की तैयारी को सीमा सड़क संगठन मजबूती देने में जुटा है। इसी के चलते सोमवार को लद्दाख में आठ, जम्मू-कश्मीर में 10, हिमाचल में दो और उत्तराखंड के आठ पुलों का लोकार्पण किया। यह पुल दुश्मन को घेरने में अहम भूमिका निभाएंगे। इन पुलों के रास्ते सेना के टैंक व तोपें सीमा पर एक स्थान से दूसरे पर सुगमता से पहुंच दुश्मन पर त्वरित प्रहार करेंगी। इसके साथ ही सीमांत आबादी के लिए भी ये पुल बेहतर सुविधाओं की नई उम्मीद लेकर आए हैं। सीमांत प्रदेशों में बुनियादी ढांचा मजबूत बनाने की मुहिम के तहत रक्षामंत्री राजनाथ ¨सह ने सोमवार को नई दिल्ली से वीडियो कांफ्रें¨सग के जरिये 44 पुल देश को समर्पित किए। जम्मू-कश्मीर में बने दस में से सात पुल सीमा और वास्तविक नियंत्रण रेखा से मात्र तीन से आठ किलोमीटर की दूरी पर हैं।

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जम्मू-कश्मीर में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण 26 नए पुल तैयार

देश के सीमांत प्रदेशों में इस वर्ष बनने वाले 102 बड़े पुलों में से 54 बनकर तैयार हो चुके हैं। पूर्वी लद्दाख के गलवन में चीनी सैनिकों से हिसंक झड़पों के बाद सेना की ऑपरेशनल तैयारियों को तेजी देने के लिए लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण 26 नए पुल बन चुके हैं।

पंजाब से जम्मू तक बार्डर रोड तैयार

केंद्र सरकार के सीमांत क्षेत्रों में आधारभूत ढांचा विकसित करने की नीति के तहत पंजाब से जम्मू तक पाकिस्तान से लगी सीमा पर बार्डर रोड का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। कठुआ में एक पुल का निर्माण चल रहा है। इस पुल का निर्माण पूरा होने तक पंजाब से लेकर जम्मू के किसी भी सेक्टर तक सुरक्षा बलों की मूवमेंट तेजी से हो सकेगी।

हिमाचल में बने दो पुल से आसान होगा सफर

बीआरओ दीपक परियोजना के चीफ इंजीनियर एमएस बाघी ने बताया कि हिमाचल में तैयार हुए दो पुलों से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह मार्ग का सफर और सुगम हो गया है।

दारचा पुल : मनाली-लेह मार्ग पर 10 हजार फीट की ऊंचाई पर दारचा में 360 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया गया है। इस मार्ग पर यह सबसे लंबा पुल है। इसके बनने से अब भागा नदी में आने वाली बाढ़ भी वाहनों की आवाजाही को नहीं रोक पाएगी।

चंद्रा पुल : अटल टनल रोहतांग के नार्थ पोर्टल पर चंद्रा नदी पर बना यह पुल लाहुल को कुल्लू घाटी से भी जोड़ेगा। 100 मीटर लंबा यह पुल एक साल के भीतर तैयार किया गया है। हवा का अधिक दवाब रहने के कारण यहां तापमान दिन में भी माइनस में रहता है। इस पुल के बनने से अटल टनल लाहुल घाटी से जुड़ी है।

नेपाल और चीन सीमा पर सामरिक रूप से मिली मजबूती

उत्तराखंड में बने सामरिक महत्व के आठ पुलों को भी सोमवार को राष्ट्र को समíपत कर दिया। इन पुलों के तैयार होने से चीन सीमा के अग्रिम मोर्च पर तैनात जवानों तक खाद्य सामग्री सहित अन्य सैन्य सजोसामान पहुंचाना आसान हो जाएगा। इनमें से पांच पुल टनकपुर-तवाघाट हाईवे पर बने हैं। यही मार्ग तवाघाट से गर्बाधार होते हुए चीन सीमा लिपुलेख तक जाता है। तवाघाट से हाईवे सोबला होते हुए उच्च हिमालयी चीन सीमा तिदांग तक जाता है। टनकपुर से तवाघाट व लिपुलेख तक मार्ग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से किया गया है। वहीं, तीन अन्य पुल जौलजीबी-मुनस्यारी मार्ग पर बने हैं।

पंजाब में बना सबसे लंबा पुल

देशभर में किए गए 44 पुलों के उद्घाटन में से सबसे लंबा पुल पंजाब में डेरा बाबा नानक में रावी पर बना है। गांव कासोवाल के नजदीक 24.85 करोड़ से बने इस पुल की लंबाई 484 मीटर है। बीएसएफ अधिकारी अमित मिश्रा ने कहा कि 1965 व 1971 की जंग में इस क्षेत्र का बहुत महत्व रहा था। यहां मजबूती कायम रखने के लिए पुल जरूरी था।


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