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राजनाथ ने कम की हिंदू शरणार्थियों की मुश्किलें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए ¨हदू शरणार्थियों को अब भारत की नागरिकता या लंबी अवधि की वीजा के लिए वर्षो इंतजार नहीं करना होगा। केंद्र सरकार ने उनकी नागरिकता और वीजा के आवेदनों के तत्काल निपटारे के लिए टास्क फोर्स बना दिया है। गृह मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए ल

By Edited By: Published: Fri, 05 Sep 2014 09:41 PM (IST)Updated: Fri, 05 Sep 2014 09:41 PM (IST)
राजनाथ ने कम की हिंदू शरणार्थियों की मुश्किलें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए ¨हदू शरणार्थियों को अब भारत की नागरिकता या लंबी अवधि की वीजा के लिए वर्षो इंतजार नहीं करना होगा। केंद्र सरकार ने उनकी नागरिकता और वीजा के आवेदनों के तत्काल निपटारे के लिए टास्क फोर्स बना दिया है। गृह मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए लगभग एक लाख ¨हदू भारतीय नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं।

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गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों की समस्याओं पर समय-समय पर गृहमंत्रालय के पास प्रतिवेदन आते रहे हैं। इन्हीं प्रतिवेदनों पर विचार करने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया। गृह मंत्रालय के विदेश विभाग के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स यह सुनिश्चित करेगा कि जिन लोगों के दस्तावेज पूरे हैं, उन्हें दो महीने के भीतर भारत की नागरिकता मिल जाए। इसके साथ ही जिन लोगों के पास पूरे दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें भी लंबी अवधि का वीजा जारी कर दिया जाए। ताकि घर-बार छोड़कर आए इन शरणार्थियों की परेशानी कम हो सके।

गौरतलब है कि आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने राजस्थान और पश्चिम बंगाल में पड़ोसी देशों से आए ¨हदू शरणार्थियों का मुद्दा उठाया था। सालों से शरणार्थी शिविरों में रह रहे इन ¨हदू शरणार्थियों को नागरिकता या लंबी अवधि का वीजा नहीं मिल रहा था। इस कारण उन्हें बार-बार वीजा की अवधि बढ़ाने के लिए विभिन्न दफ्तरों का चक्कर काटना पड़ता था।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इनमें से अधिकांश लोग काफी गरीब हैं। यही कारण है कि टास्क फोर्स को राज्यों में लंबित ऐसे आवेदनों का पता लगाकर उन्हें तत्काल निपटाने की भी जिम्मेदारी दी गई है। पाकिस्तान से आए अधिकांश ¨हदू परिवार राजस्थान और दिल्ली में रह रहे हैं, जबकि बांग्लादेश से आए लोग पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में रह रहे हैं।


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