राजीव गांधी हत्याकांड: SC में दोषी की याचिका खारिज करने की CBI की मांग
दोषी पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दोषी करार दिए जाने के मई 1999 के फैसले को वापस लेने की अपील की है।
नई दिल्ली, पीटीआई। देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्या मामले में सीबीआइ ने दोषी एजी पेरारिवलन की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को खारिज करने की मांग की है। पेरारिवलन ने इस याचिका में दोषी करार दिए जाने के मई 1999 के फैसले को वापस लेने की अपील की है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ से जवाब मांगा था।
मई 1999 को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या की साजिश रचने में चार दोषियों पेरारिवलन, सान्थन, मुरगुन और नलनी को फांसी की सजा सुनवाई थी। हालांकि बाद में तमिलनाडु के राज्यपाल ने वर्ष 2000 में तमिलनाडु सरकार की संस्तुति पर और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अपील पर नलनी की फांसी उम्रकैद में तब्दील कर दी थी।
वहीं 18 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका 11 वर्ष तक लंबित रहने के आधार पर पेरारिवलन व दो अन्य की फांसी भी उम्रकैद मे तब्दील कर दी थी।
जनवरी में हुई सुनवाई में पेरारिवलन के वकील गोपाल शंकरनारायण ने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व आर भानुमति की पीठ के समक्ष कहा था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का मई 1999 का फैसला वापस लेने की मांग संबंधी याचिका दायर की है। इस याचिका पर सीबीआइ से जवाब मांगा जाए। इस पर शीर्ष कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद सीबीआइ व सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा था।
याचिका में पेरारिवलन ने कहा कि कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या की साजिश रचने के जुर्म में दोषी ठहराया है, जबकि वह साजिश में शामिल नहीं था। उसे नहीं मालूम था कि जो नौ वोल्ट की दो बैटरियां उसने खरीदीं थीं, उनका उपयोग बम में किया जाएगा।
याचिका में सीबीआइ के पूर्व एसपी वी. थंगराजन के हलफनामे को आधार बनाया, जिन्होंने टाडा कानून के तहत अभियुक्तों के अपराध स्वीकृति के बयान दर्ज किए थे। तत्कालीन एसपी के हलफनामे में कहा गया है कि पेरारिवलन ने अपने अपराध स्वीकार करने के बयान में स्पष्ट रूप से कहा है कि उसे बैटरी खरीदते समय ये नही मालूम था कि उसका किस उद्देश्य में उपयोग होगा।