अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की पैरवी करने वाले राजीव धवन हटाए गए, पुनर्विचार याचिका में नहीं दे सकते दखल
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को केस से हटाया गया
नई दिल्ली, जेएनएन। अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की। वहीं, पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्षकारों की पैरवी करने वाले वकील राजीव धवन को मुस्लिम पक्ष के वकील के तौर पर हटा दिया गया है। इसका पता चलते ही उन्होंने सोशल मीडिया पर इसका एतराज जताया है।
राजीव धवन ने कहा कि बाबरी केस के वकील (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड) एजाज मकबूल ने मुझे बर्खास्त कर दिया है, जो जमीयत का मुकदमा देख रहे हैं। उनका आरोप है कि बिना किसी डिमोर के मुझे बर्खास्तगी का पत्र भेजा गया है। उन्होंने आगे कहा कि अब वह डाली गई रिव्यु पेटिशन मामले में शामिल नहीं हैं। मुझे बताया गया है कि मदनी ने मेरी बर्खास्तगी के बारे में कहा है। मेरी तबीयत का हवाला देते हुए मुझे हटाया गया है जो कि बिल्कुल बकवास बात है।
#Ayodhya केस में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करनेवाली जमीयत उलेमा हिन्द ने हटा दिया है। धवन ने सोशलमीडिया पर जमीयत के AOR वकील एजाज मकबूल के पत्र मे जमीयत की ओर से उन्हें हटाने की बात कही है। धवन ने हटाना स्वीकार भी किया है।@JagranNews — Mala Dixit (@mdixitjagran) December 3, 2019
राजीव धवन के बयान पर सफाई
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एजाज मकबूल ने कहा कि यह कहना गलत है कि राजीव धवन को उनकी बीमारी के कारण केस (जमीयत उलेमा-ए-हिंद समीक्षा अयोध्या मामले में) से हटा दिया गया था। मुद्दा यह है कि मेरे मुवक्किल (जमीयत उलेमा-ए-हिंद) कल ही समीक्षा याचिका दायर करना चाहते थे। इसे राजीव धवन को पूरा करना था। मैं उनका नाम याचिका में नहीं दे सका, क्योंकि वह उपलब्ध नहीं थे। यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है।
इससे पहले सोमवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात कही है। बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा, 'हम भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे लेकिन आज नहीं। याचिका का मसौदा तैयार है और 9 दिसंबर के पहले किसी भी दिन इसे कोर्ट के समक्ष दायर करेंगे।'
क्या आया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अयोध्या की विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंप दी जाए। इसपर राम मंदिर का निर्माण किया जाए। वहीं मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का राज्य सरकार को आदेश दे दिया गया। आदेश में मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने की भी बात कही गई। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी शामिल करने का आदेश है।
कोर्ट में फाड़ा था नक्शा
बता दें कि अयोध्या जमीन विवोद को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने हिंदू महासभा की ओर से पेश किए गए नक्शा और कुछ कागजात कोर्ट में फाड़ दिए थे। इससे भड़के हिंदू महासभा ने उनके खिलाफ शिकायत की थी। मामले को लेकर हिंदू महासभा ने बार काउंसिल को पत्र लिखते हुए कहा कि धवन द्वारा कोर्ट रूम में नक्शे को फाड़ना सुप्रीम कोर्ट बार के लिए अपमान करना है। महासभा ने मांग की थी कि इस मामले में धवन के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।