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राजस्थान महिलाओं और बच्चियों के लिए सर्वाधिक असुरक्षित, दुष्‍कर्म के मामले 25 फीसद बढ़े

दुष्कर्म के आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। कोई भी प्रदेश महिलाओं के प्रति संवेदनशील हुए बिना प्रगति नहीं कर सकता। इसलिए हर जिले में महिला अपराध अनुसंधान इकाइयों को सक्रिय होना होगा।

By TilakrajEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 09:52 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 01:28 PM (IST)
राजस्थान महिलाओं और बच्चियों के लिए सर्वाधिक असुरक्षित, दुष्‍कर्म के मामले 25 फीसद बढ़े
वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में दुष्कर्म के मामलों में यहां 25.07 प्रतिशत की वृद्धि हुई

सुनीता मिश्रा। वैसे तो देश के कई राज्यों में महिलाओं के लिए स्थितियां बुरी हैं, लेकिन राजस्थान में उनकी स्थिति बद से भी बदतर है। यह कोई सियासी बयान नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों का सार है। इसमें राजस्थान को महिलाओं और बच्चियों के लिए सर्वाधिक असुरक्षित माना गया है। वर्ष 2020 में देश में दुष्कर्म के सबसे अधिक मामले राजस्थान में दर्ज किए गए हैं। राज्य में 1,279 नाबालिगों का दुष्कर्म का शिकार होना स्थिति की भयावहता को दर्शाता है। दुष्कर्म के आंकड़ों को समग्रता में देखा जाए तो यही प्रतीत होता है कि प्रदेश में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में दुष्कर्म के मामलों में यहां 25.07 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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एनसीआरबी ने राजस्थान में महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंता जताई है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा महिलाओं की सुरक्षा और उनके हित में लिए गए कई निर्णय कारगर होते नहीं दिख रहे हैं। अप्रैल 2021 में गहलोत सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रदेश की नई महिला नीति के प्रारूप को मंजूरी दी थी। इसके तहत प्रदेश में आधी आबादी को सुरक्षित एवं सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया। इसमें महिलाओं के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं जैसे जन्म, सुरक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, प्रशिक्षण, आजीविका, संपत्ति के स्वामित्व राजनीतिक और सामाजिक अधिकारिता आदि को शामिल किया है। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए हर जिले में महिला अपराध अनुसंधान इकाइयां बनाई हैं।

पुलिस को महिलाओं, बालिकाओं और समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा और अपराधियों के खिलाफ तत्परता से कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसके बावजूद आधी आबादी के लिए राजस्थान बिल्कुल सुरक्षित नहीं दिखता। अगर राज्य में इसी तेजी से अपराध बढ़ते रहे तो उन्हें काबू करना बहुत कठिन हो जाएगा। जब तक महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक अपराधियों के हौसले बुलंद रहेंगे। कोई भी प्रदेश महिलाओं के प्रति संवेदनशील हुए बिना प्रगति नहीं कर सकता। इसलिए हर जिले में महिला अपराध अनुसंधान इकाइयों को सक्रिय होना होगा।

महिलाओं, बालिकाओं और समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ होने वाले अपराधों के मामलों में पूरी तत्परता और संवेदनशीलता से कार्रवाई करनी होगी, जिससे अपराधियों के हौसले पस्त पड़ जाएं और किसी भी वारदात को अंजाम देने पहले उनकी रूह कांप जाए। प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था, महिलाओं और बच्चियों के प्रति बढ़ रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार को सख्त कदम उठाने ही होंगे। बेटियों की सुरक्षा को नजरअंदाज करके कोई भी प्रदेश वास्तविक उन्नति नहीं कर सकता।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)


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