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राजस्‍थान उपचुनाव में होगी वसुंधरा राजे और सचिन पायलट की अग्निपरीक्षा

भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही चुनावी तैयारियों को लेकर कई बैठक कीं, संभावित प्रत्याशियों के लिए फीडबैक भी लिया गया।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 25 Oct 2017 01:33 PM (IST)Updated: Wed, 25 Oct 2017 01:33 PM (IST)
राजस्‍थान उपचुनाव में होगी वसुंधरा राजे और सचिन पायलट की अग्निपरीक्षा
राजस्‍थान उपचुनाव में होगी वसुंधरा राजे और सचिन पायलट की अग्निपरीक्षा

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान विधानसभा के आम चुनाव से ठीक एक वर्ष पहले अजमेर, अलवर संसदीय सीट एवं मांडलगढ़ विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव का असर विधानसभा की 17 सीटों पर सीधा देखने को मिलेगा। दोनों संसदीय क्षेत्रों में 8-8 विधानसभा सीटें शामिल है।

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एक मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो ही रहा है। रोचक तथ्य यह है कि जिन तीन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उन पर भाजपा का कब्जा है। इन उपचुनाव को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है। यही कारण है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा और कांग्रेस ने उपचुनाव कराए जाने की तारीख की घोषणा से पहले ही तैयारियां शुरू कर दीं। भाजपा केन्द्र एवं राज्य में सत्ता में है, इसलिए भाजपा के लिए यह चुनाव जीतना बेहद जरूरी है।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की स्वयं की प्रतिष्ठा इन चुनावों से जुड़ी हुई है। समय-समय पर वसुंधरा राजे के खिलाफ पार्टी के भीतर उठ रहे बगावती तेवरों को देखते हुए यह चुनाव जीतना व्यक्तिगत रूप से उनके लिए बेहद आवश्यक है। इसी लिहाज से मुख्यमंत्री ने अजमेर संसदीय क्षेत्र की आठों विधानसभा सीटों का दौरा कर पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने के साथ ही जातिगत आधार पर लोगों से मिली।

यह पहला अवसर है जब मुख्यमंत्री ने जातीय आधार पर लोगों से अलग-अलग मुलाकात की, सरकारी अधिकारियों को बुलाकर तत्काल लोगों की समस्याओं का समाधान करवाया गया। मुख्यमंत्री ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में रात्रि विश्राम किया। मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र का भी वे दौरा कर चुकी हैं। अब अगले सप्ताह से अलवर संसदीय क्षेत्र के एक सप्ताह के दौरे पर रहेंगी। मुख्यमंत्री दोनों संसदीय क्षेत्रों में आने वाले 16 विधानसभा क्षेत्रों में 19 मंत्रियों एवं दो दर्जन विधायकों को जिम्मेदारी सौंपी है।

भाजपा संगठन की ओर से भी पदाधिकारी लगाए गए है। इधर कांग्रेस में यूं तो इन उपचुनाव में खोने के लिए कुछ भी नहीं है। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव तक कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए जीत कांग्रेस को भी चाहिए। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव तक इन उप चुनाव का माहौल कायम रहेगा। इसलिए कांग्रेस काफी सोच-विचार कर चुनावी रणनीति बना रही है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अजमेर संसदीय सीट सीधे तौर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट से जुड़ी हुई है, वे यहां से सांसद बनकर केन्द्र में मंत्री रहे। कांग्रेस कार्यकर्ता पायलट को एक बार फिर इस सीट से उपचुनाव लड़वाना चाहते हैं, लेकिन पायलट फिलहाल इच्छुक नहीं हैं।

इधर अलवर संसदीय सीट पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह से जुड़ी हुई है। जितेन्द्र सिंह इस सीट से सांसद बनने के बाद केन्द्र में मंत्री रहे। जितेन्द्र सिंह भी उपचुनाव खुद नहीं लड़कर अपने खास डॉ. कर्णसिंह यादव को लड़ाना चाहते हैं, लेकिन कार्यकर्ता चाहते हैं कि वे स्वयं चुनाव लड़ें। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही चुनावी तैयारियों को लेकर कई बैठक कीं, संभावित प्रत्याशियों के लिए फीडबैक भी लिया गया।

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