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रघुराम राजन ने की आरबीआइ गवर्नर का कार्यकाल बढ़ाने की वकालत

रिजर्व बैंक के गवर्नर राजन ने बुधवार को संसदीय समिति से कहा कि मौजूदा तीन साल का कार्यकाल छोटा है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2016 08:31 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2016 09:35 PM (IST)
रघुराम राजन ने की आरबीआइ गवर्नर का कार्यकाल बढ़ाने की वकालत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आरबीआइ गवर्नर का कार्यकाल बढ़ाने की वकालत की है। राजन ने बुधवार को संसदीय समिति से कहा कि मौजूदा तीन साल का कार्यकाल छोटा है। उन्होंने इस संबंध में विदेशों का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिकी 'फेडरल रिजर्व' के गवर्नर का कार्यकाल चार साल होता है जबकि कई अन्य देशों में केंद्रीय बैंकों के गवर्नर का कार्यकाल पांच साल तक होता है।

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राजन ने यह बात वित्त मामलों संबंधी संसद की स्थाई समिति की बैठक में सांसदों के एक सवाल के सवालों के जवाब में कही। कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस संसदीय समिति ने राजन को बुलाया था। राजन का तीन साल का कार्यकाल चार सितंबर को खत्म हो रहा है। गौरतलब है कि 'दैनिक जागरण' ने ही सबसे पहले खबर दी थी कि राजन संसदीय समिति की बैठक में जाकर देश की अर्थव्यवस्था की छवि दिखाएंगे।

सूत्रों के मुताबिक बैठक में शामिल बीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता भृतहरि माहताब ने राजन से पूछा कि आरबीआइ गवर्नर के कार्यकाल की आदर्श अवधि कितने वर्ष होनी चाहिए। इसके जवाब में राजन ने कहा कि तीन साल का कार्यकाल छोटा है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक के गवर्नर का कार्यकाल चार साल तथा कई अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों का कार्यकाल पांच वर्ष तक होता है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि इस संबंध में फैसला करने का अधिकार सरकार को है।

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सूत्रों ने कहा कि करीब सवा तीन घंटे चली बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद रहे। हालांकि उन्होंने राजन से कोई सवाल नहीं पूछा। सूत्रों ने बताया कि कुछ सदस्यों ने जब ब्याज दरें घटाने के बारे में राजन से पूछा कि तो उन्होंने जवाब दिया कि ब्याजदरों में कमी करने पर मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी बैंकों की अपेक्षा निजी बैंकों की ऋण वृद्धि अधिक हो रही है। उन्होंने कहा कि लोग ऋण लेना चाहते हैं लेकिन सरकारी बैंक ऋण देने में कोताही कर रहे हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि बैंक किसी कंपनी को उसकी परिसंपत्तियों से अधिक लोन क्यों देते हैं, तो इसके जवाब मंे उन्होंने कहा कि बैंकों को इतना जोखिम नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा बैंकों को जान बूझकर कर्ज न चुकाने वाले लोगों की पहचान कर समय से कदम उठाने चाहिए।

उल्लेखनीय है कि बैंकों के फंसे कर्ज की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। आरबीआइ का कहना है कि बैंकों का फंसा सकल कर्ज मार्च 2016-17 में 9.3 हो जाएगा जो कि इस साल मार्च के अंत में 7.6 प्रतिशत था।

इससे पूर्व राजन ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की। उनकी यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब सरकार मौद्रिक नीति समिति के गठन की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह समिति महंगाई को काबू करने और ब्याज दरें तय करने का काम करेगी।

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