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अब राजा भैया के चलते सरकार कठघरे में

लखनऊ [जाब्यू]। प्रतापगढ़ के वलीपुर गांव में सीओ कुंडा जियाउल हक की हत्या से प्रदेश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। इस बार भी सरकार के अपने ही उसके लिए मुसीबत का सबब बने। देखा जाए तो 11 महीने में सपा सरकार को ज्यादातर अपनों के कारण ही किरकिरी का सामना करना पड़ा है। कुंडा के विधायक और खाद्य मंत्री रघुराज

By Edited By: Published: Mon, 04 Mar 2013 05:54 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2013 06:00 PM (IST)
अब राजा भैया के चलते सरकार कठघरे में

लखनऊ [जाब्यू]। प्रतापगढ़ के वलीपुर गांव में सीओ कुंडा जियाउल हक की हत्या से प्रदेश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। इस बार भी सरकार के अपने ही उसके लिए मुसीबत का सबब बने। देखा जाए तो 11 महीने में सपा सरकार को ज्यादातर अपनों के कारण ही किरकिरी का सामना करना पड़ा है। कुंडा के विधायक और खाद्य मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से भले ही मुख्यमंत्री ने इस्तीफा ले लिया हो, बावजूद इसके विपक्ष हमलावर है।

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राजा भैया का नाम सरकार के ताकतवर मंत्रियों में शुमार रहा है। यद्यपि उनको मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद कई तरह की चर्चाएं गर्म रहीं। हाल ही में मंत्रिमंडल के फेरबदल में राजा भैया से कारागार विभाग वापस लेने के पीछे चर्चा रही कि उनके रहते जेल में बंद अपराधियों को प्रश्रय मिल रहा था। अखिलेश सरकार में उनके मंत्री बनने पर विधानसभा में नेता विपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने खाद्यान्न घोटाले का मुद्दा गरमा दिया। इसमें राजा भैया के एक पुराने सहयोगी को माध्यम बनाया गया था। इस मुद्दे को बसपा के लोग समय समय पर उछालते रहे, लेकिन कुंडा कांड की परिणति ऐसी हुई कि सरकार को तो अप्रिय स्थिति का सामना करना ही पड़ा, राजा भैया को भी मंत्री पद से हटना पड़ा। ऐसे और भी कई लोग हैं, जिनके चलते सरकार को मुश्किलों से दो चार होना पड़ा।

विनोद सिंह : अखिलेश सरकार में विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह दोबारा राज्यमंत्री के रूप में शामिल कर लिए गए हैं, लेकिन कभी वह भी सरकार के लिए मुसीबत की वजह बन गये थे। पंडित सिंह को मंत्री बनाए जाने के बाद भी विपक्ष लगातार सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है। पंडित सिंह गोंडा जिले के विधायक हैं। उन्हें सरकार बनते ही राज्य मंत्री बनाया गया था लेकिन संविदा के आधार पर भर्ती में स्थानीय सीएमओ से उनकी भिड़ंत हो गई। सीएमओ के साथ मारपीट और कथित तौर पर अपहरण के मामले में वह ऐसा उलझे कि सरकार की साख बचाने के लिए मुख्यमंत्री को उनसे इस्तीफा लेना पड़ गया।

नटवर गोयल : सपा सरकार बनने के कुछ दिनों बाद ही नटवर गोयल को उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया। उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया, लेकिन लाल बत्ती पाते ही अफसरों पर दबाव बनाने के साथ ही बिजली चोरी के विवाद में उनका नाम सुर्खियों में आ गया। और एक दिन एक मीडियाकर्मी से ऐसे उलझे कि लालबत्ती तो गयी ही, जनाब को जेल अलग जाना पड़ गया।

केसी पाण्डेय : उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के उपाध्यक्ष के तौर पर राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त केसी पाण्डेय भी सरकार की किरकिरी करा चुके हैं। पशु तस्करों की मदद में गोंडा के पुलिस कप्तान से सिफारिश के दौरान केसी पाण्डेय महीने भर पहले स्टिंग आपरेशन का शिकार हो गये। एसपी ने उनकी पूरी बातचीत रिकार्ड कर ली। लालबत्ती मिलने के दूसरे ही दिन उनकी रिकार्ड बातचीत मीडिया में आ गयी और फिर तो विपक्ष उन पर हमलावर हो गया। सरकार ने केसी पाण्डेय को हटाया तो नहीं, लेकिन उनकी भूमिका के चलते विपक्ष के तीखे तीरों की बौछार सरकार को दोनों सदनों में झेलनी पड़ रही है।

साहब सिंह सैनी : बीज प्रमाणीकरण निगम का अध्यक्ष बनने के बाद साहब सिंह सैनी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। वर्षो से नेपथ्य में रह रहीं उनकी पहली पत्नी अवतरित हो गयीं है और देहरादून में उनके खिलाफ अदालती कार्रवाई पर उतर आयीं। साहब सिंह सैनी पर उत्तराखंड में मुकदमा भी दर्ज हो गया है।

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