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राज ठाकरे से नहीं संभल रही पार्टी

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र के उदीयमान राजनीतिक सितारे माने जानेवाले राज ठाकरे से अब उनकी पार्टी भी संभाले नहीं संभल रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने उनकी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में तगड़ी सेंध लगानी शुरू कर दी है। राज ठाकरे की पार्टी के एक विधायक हर्षव‌र्द्धन जाधव ने दो दिन पहले ही राज के रवैये से तंग आकर विधानसभा से त्

By Edited By: Published: Fri, 11 Jan 2013 09:57 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2013 09:59 PM (IST)
राज ठाकरे से नहीं संभल रही पार्टी

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र के उदीयमान राजनीतिक सितारे माने जानेवाले राज ठाकरे से अब उनकी पार्टी भी संभाले नहीं संभल रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने उनकी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में तगड़ी सेंध लगानी शुरू कर दी है।

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राज ठाकरे की पार्टी के एक विधायक हर्षव‌र्द्धन जाधव ने दो दिन पहले ही राज के रवैये से तंग आकर विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया था। लेकिन उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के समझाने पर त्यागपत्र वापस ले लिया। यदि उनका त्यागपत्र स्वीकार हो जाता, तो विधायक बनने के लिए उन्हें पुन: निर्दलीय या किसी अन्य दल से चुनाव लड़ना पड़ता। यह काम ज्यादा मुश्किल होता। लेकिन अब वह मनसे की सदस्यता रखते हुए ही शरद पवार की पार्टी राकांपा के एजेंट के रूप में काम करते रह सकते हैंऔर अगले विधानसभा चुनाव में राकांपा उन्हें अपने टिकट पर चुनवाकर ला सकती है। हर्षव‌र्द्धन की ही तर्ज पर कल्याण एवं घाटकोपर क्षेत्रों के विधायकों पर भी राकांपा ने डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। माना जा रहा है कि चुनाव नजदीक आने पर इनके अलावा और भी कई विधायक राज ठाकरे का साथ छोड़कर जा सकते हैं।

जब राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर अपना नया राजनीतिक दल बनाया था, तभी राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने उनकी जीवन शैली पर टिप्पणी करते हुए भविष्यवाणी कर दी थी कि राज ठाकरे के लिए पार्टी संभालना मुश्किल होगा। पवार की यह भविष्यवाणी पार्टी बनने के तुरंत बाद तब चरितार्थ होती दिखी, जब उनकी पार्टी का संविधान बनानेवाले आशीष कुलकर्णी एवं हरीश वरलीकर जैसे उनके साथी ही पार्टी छोड़कर अलग हो गए। पार्टी की पहली आमसभा में कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या लेकर आए राजा चौगुले ने भी उचित सम्मान न मिलने के कारण पार्टी को अलविदा कह दिया। दिवंगत भाजपा नेता प्रमोद महाजन के छोटे भाई प्रकाश महाजन भी मनसे के उपाध्यक्ष एवं महासचिव रह चुके हैं। लेकिन वह भी राज ठाकरे के व्यवहार से आहत होकर जा चुके हैं। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के न रहने पर मराठीभाषी लोग, राज में बाल ठाकरे की छवि देख रहे हैं। लेकिन राज अपने व्यवहार के कारण अपने लोगों को ही खुद से दूर करते जा रहे हैं।

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